पार्टी में टूट, मंत्रालयों में बारगेनिंग... BJP ने ऐसे मनवाईं शिंदे से अपनी शर्तें, 10 दिन की पूरी कहानी
Shivsena के विधायकों ने Eknath Shinde से मुलाकात कर उनसे सरकार में शामिल होने का आग्रह किया. शिवसेना नेताओं ने उनसे कहा कि अगर शिंदे डिप्टी सीएम नहीं बनते है तो शिवसेना के विधायकों की उपेक्षा हो सकती है.
महाराष्ट्र में 10 दिनों तक चले सियासी ड्रामे का 5 दिसंबर को पटाक्षेप (Maharashtra Elections Politics) हो गया. बीजेपी ने आखिरकार शिंदे की नाराजगी (Eknath Shinde) को डिकोड कर लिया. और उनको उप-मुख्यमंत्री बनने को राजी किया. जिसके बाद आजाद मैदान में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ दो डिप्टी सीएम अजित पवार और एकनाथ शिंदे का शपथ ग्रहण हो गया. आखिर नाराज होकर सतारा के ‘कोप भवन’ में गए शिंदे को मनाने के लिए बीजेपी ने क्या जुगत भिड़ाई, इसको समझने की कोशिश करते हैं. लेकिन इससे पहले उस मीटिंग का किस्सा जान लीजिए जिसके बाद शिंदे नाराज होकर सतारा चले गए थे.
अमित शाह से बैठक के बाद सतारा गएचुनाव नतीजे आने के बाद से ही शिवसेना शिंदे गुट की ओर से दबाव की रणनीति अपनाई गई. उनके प्रवक्ताओं ने लगातार बयान दिए कि चुनाव शिंदे के चेहरे पर लड़ा गया है. इसलिए उन्हें ही सीएम होना चाहिए. बिहार मॉडल की भी चर्चा हुई. लेकिन शिंदे खुद कुछ बोलने से बचते रहे. हालांकि, 27 नवंबर को ठाणे में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने चुप्पी तोड़ी और कहा कि उन्हें बीजेपी का सीएम मंजूर है.
फिर 28 नवंबर को दिल्ली में देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार और एकनाथ शिंदे की जेपी नड्डा और अमित शाह से मुलाकात हुई. यह बैठक ढाई घंटे तक चली. वरिष्ठ पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी के गल्फ न्यूज में प्रकाशित आलेख के मुताबिक, इस बैठक में अमित शाह ने एकनाथ शिंदे के सामने डिप्टी सीएम बनने का प्रस्ताव रखा. जिस पर शिंदे ने आपत्ति जताई कि उनके लिए मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद डिप्टी सीएम का पद स्वीकार करना मुश्किल है. फिर अमित शाह ने पास बैठे देवेंद्र फडणवीस की ओर इशारा करते हुए कहा. एक उदाहरण आपके पास बैठे हैं. और फिर कहने को कुछ नहीं बचा. शिंदे शाह का इशारा समझ गए.
28 नवंबर को अमित शाह के साथ बैठक के बाद अगले दिन होने वाली महायुति की बैठक टाल दी गई और एकनाथ शिंदे अचानक मुंबई से सतारा चले गए. दो दिन तक शिंदे अपने गांव में रहे. फिर 2 दिसंबर को मुंबई लौटे. उनके मुंबई लौटते ही बीजेपी की ओर से गिरीश महाजन को उनसे बातचीत के लिए भेजा गया. लेकिन बात नहीं बनी. फिर शाम को देवेंद्र फडणवीस ने CM आवास वर्षा में मुलाकात की. जो 30 मिनट तक चली. इंडियन एक्सप्रेस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, फडणवीस सहित बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने शिंदे से कहा कि उनको डिप्टी सीएम पद की शपथ लेनी चाहिए. उसके बाद भी विभागों को लेकर चर्चा जारी रह सकती है.
मंत्रालय को लेकर फंस रही थी बातसूत्रों के मुताबिक, शिंदे ने डिप्टी सीएम बनने को लेकर तो रजामंदी दे दी थी. लेकिन मामला मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर खिंच रहा था. शिवसेना गृह मंत्रालय और शहरी विकास मंत्रालय दोनों अपने पास रखना चाहती थी. पिछली महायुति सरकार में मुख्यमंत्री शिंदे के पास शहरी विकास मंत्रालय था. जबकि उपमुख्यमंत्री फडणवीस के पास गृह मंत्रालय था. इसके अलावा शिवसेना प्रमुख की आवास विभाग पर भी दावेदारी थी. लेकिन बीजेपी की ओर से कहा गया कि अगर आप गृह मंत्रालय चाहते हैं तो शहरी विकास मंत्रालय पर दावा छोड़ना होगा.
शिवसेना के विधायकों और नेताओं ने बनाया दबाव4 दिसंबर को शिवसेना के सभी नेताओं ने एकनाथ शिंदे से मुलाकात की. और उनसे सरकार में शामिल होने का आग्रह किया. इसके बाद उन्होंने वर्षा में पार्टी के विधायकों की एक बैठक की. जहां विधायकों ने उनसे सरकार में शामिल होने का अनुरोध किया.
शिवसेना के एक नेता ने बताया, हमने उनसे कहा कि अगर वह एक मजबूत नेता और पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते डिप्टी सीएम के तौर पर सरकार का हिस्सा बनेंगे तो यह पार्टी के लिए मददगार होगा. अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो शिवसेना के विधायकों की उपेक्षा हो सकती है. और फिर सरकार में उनकी ज्यादा भूमिका नहीं रहेगी.
पार्टी में अंदरूनी कलह का खतराशिंदे को ये समझाया गया कि अगर वो डिप्टी सीएम नहीं बनते हैं और उनकी जगह कोई और डिप्टी सीएम बनता है तो उनकी पार्टी में अंदरूनी कलह शुरू हो जाएगी. और उस पद के लिए कई लोगों में आपस में खींचतान होगी. उनकी पार्टी में कई लोग हैं जो बड़े पदों के लिए महत्वकांक्षी रहे हैं. इनमें उनके बेटे श्रीकांत शिंदे, शंभूराजे देसाई, उदय सांमत और दीपक केसरकर का नाम शामिल है.
सबसे बड़ी बगावत किताब के लेखक और वरिष्ठ पत्रकार जितेंद्र दीक्षित ने बताया,
बीजेपी ने नंबर गेम का भी हवाला दियाअभी शिंदे इस पार्टी के निर्विवाद नेता हैं. उनके नेतृत्व में उद्धव ठाकरे से बगावत हुई. और वो मुख्यमंत्री बने. अभी उनके कद का कोई नेता नहीं है. लेकिन शिंदे सरकार से बाहर रहेंगे और कोई दूसरा मुख्यमंत्री बनता है तो पार्टी में एक पैरलल पावर सेंटर बन जाएगा.
एकनाथ शिंदे को राजी करने के लिए बीजेपी ने दबाव की रणनीति भी अपनाई. बीजेपी की ओर से शिंदे को बताया गया कि उनके पास सिर्फ 57 विधायक हैं. जिनमें सात बीजेपी के एक्स- मेंबर हैं. जबकि बीजेपी के पास उनसे दोगुने से भी अधिक यानी 132 सीटें है. बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि निर्दलीय और छोटे सहयोगियों को मिलाकर बीजेपी के पास आसानी से 137 विधायक हो जाएंगे. और इसमें एनसीपी के 41 विधायक शामिल नहीं है.
वीडियो: एकनाथ शिंदे ने कहा कि BJP आलाकमान जिसे भी महाराष्ट्र का सीएम चुने उन्हें मंजूर होगा