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द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति बनीं, पीएम मोदी ने घर पहुंचकर दी बधाई

भारत की पहली आदिवासी और देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं द्रौपदी मुर्मू.

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draupadi murmu
द्रौपदी मुर्मू (फोटो- आजतक)
21 जुलाई 2022 (Updated: 21 जुलाई 2022, 20:42 IST)
Updated: 21 जुलाई 2022 20:42 IST
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द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) देश की अगली राष्ट्रपति बन गई हैं. गुरुवार 21 जुलाई को तीसरे राउंड की काउंटिंग के बाद उन्होंने 50 फीसदी वोट के आंकड़े को पार कर लिया है. द्रौपदी मुर्मू ने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को बड़े अंतर से पीछे छोड़ दिया है. अब बस उनकी जीत की औपचारिक घोषणा होना बाकी है. इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्रौपदी मुर्मू के मौजूदा आवास पहुंचे और उन्हें बधाई दी. हालांकि जल्दी ही द्रौपदी मुर्मू का आवास होगा- राष्ट्रपति भवन!

द्रौपदी मुर्मू भारत की पहली आदिवासी और देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति बनने जा रही हैं. मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है. नई राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 25 जुलाई को पद की शपथ लेंगी.

नतीजों के बाद यशवंत सिन्हा ने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति चुनाव जीतने की बधाई दी. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 

"राष्ट्रपति चुनाव 2022 में जीत हासिल करने पर द्रौपदी मुर्मू को बधाई देता हूं. भारत को उम्मीद है कि देश की 15वीं राष्ट्रपति के रूप में वो बिना डर और पक्षपात के संविधान के रक्षक की तरह काम करेंगी."

राष्ट्रपति चुनाव के लिए सोमवार सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे के बीच संसद भवन और राज्य विधानसभाओं के 30 केंद्रों समेत 31 जगहों पर मतदान हुआ था. 21 जून को एनडीए के प्रेजिडेंशियल कैंडिडेट के रूप में द्रौपदी मुर्मू का नाम सामने आया था. 

कौन हैं द्रौपदी मुर्मू?

द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के एक गांव बैडापोसी में हुआ. वे संथाल आदिवासी समुदाय से आती हैं. उनके पिता का नाम बिरांची नारायण तुडू था. वहीं पति का नाम श्याम चरण मुर्मू था. उनकी एक बेटी है जिनका नाम इतिश्री मुर्मू है.

द्रौपदी मुर्मू ने भुवनेश्वर के रामदेवी वीमन्स कॉलेज से बीए की पढ़ाई की. 1979-83 के बीच उन्होंने ओडिशा सरकार के सिंचाई और बिजली विभाग में बतौर जूनियर असिस्टेंट काम किया. बाद में अध्यापन का रुख किया. 1994 से 1997 तक द्रौपदी मुर्मू रायरंगपुर के श्री अरबिंदो इंटग्रेल एजुकेशन सेंटर में असिस्टेंट टीचर रहीं.

रास आ गई सियासत

1997 में उन्होंने रायरंगपुर से पार्षदी का चुनाव जीत लिया. 2002 से 2004 के बीच द्रौपदी मुर्मू ने ओडिशा सरकार में कई पदभार संभाले. मत्स्य पालन विभाग में स्वतंत्र प्रभार देखा, पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री का पद संभाला और ट्रांसपोर्ट एंड कॉमर्स डिपार्टमेंट में भी काम किया. इस दौरान वे रायरंगपुर से बीजेपी की विधायक भी बनीं. 2004 में द्रौपदी मुर्मू दूसरी बार बीजेपी के टिकट पर विधायकी का चुनाव जीती थीं. 2002 में वे बीजेपी के शेड्यूल्ड ट्राइब मोर्चा की उपाध्यक्ष भी बनीं. 2006 से 2009 के दौरान वे मोर्च की स्टेट प्रेजिडेंट भी रहीं.

बेदाग रहा सियासी सफर

2007 में उन्हें बेस्ट एमएलए ऑफ दी ईयर के रूप में 'नीलकंठ अवॉर्ड' दिया गया था. 2010 में पार्टी ने उन्हें मयूरभंज का जिलाध्यक्ष बना दिया. 2013 में वे फिर इस पद के लिए चुनी गईं और अप्रैल 2015 तक जिलाध्यक्ष रहीं. उस समय तक भी वे बीजेपी के एसटी मोर्चा के नेशनल एक्जिक्यूटिव का पद संभाल रही थीं.

2015 में द्रौपदी मुर्मू अपने करियर के सबसे बड़े ओहदे तक पहुंचीं, जब उन्हें झारखंड का गवर्नर नियुक्त किया गया. वे देश की पहली ट्राइबल नेता हैं जिन्हें भारत के किसी राज्य का गवर्नर बनाया गया था. बतौर राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू झारखंड के जनजातीय मामलों, शिक्षा, कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर हमेशा सजग रहीं. कई मौकों पर उन्होंने राज्य सरकार के फैसलों में संवैधानिक गरिमा और शालीनता के साथ हस्तक्षेप किया.

राज्यपाल के तौर पर द्रौपदी मुर्मू का 5 साल का कार्यकाल 18 मई 2020 को पूरा हो गया था, लेकिन कोरोना संकट की वजह से नई नियुक्ति नहीं हो पाई, इसलिए कार्यकाल का विस्तार हो गया था.

संघर्षों से भरा था शुरुआती जीवन

एक आदिवासी परिवार से ताल्लुक होने के चलते द्रौपदी मुर्मू का शुरुआती जीवन संघर्षों से भरा रहा है. वे ऐसे सुदूर इलाकों में पली-बढ़ीं जहां ठीक से विकास नहीं हुआ था. जाहिर है पढ़ाई करने में उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा. इसके बावजूद द्रौपदी मुर्मू का प्रोफेशनल और पॉलिटिकल करियर कामयाब रहा. 

देखें वीडियो- यसवंत सिन्हा ने द्रौपदी मुर्मू को कौन सी कसम दिलाई ?

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