बहुजन समाज पार्टी ने अपने सीनियर नेता नसीमुद्दीन सिद्दिकी और उनके बेटे अफजलसिद्दिकी को पार्टी से बाहर कर दिया है. एक समय पार्टी के सबसे विश्वसनीय नेताओंमें शुमार सिद्दिकी को लोगों से काम के बदले पैसा लेने के आरोप में निष्काषित कियाहै. पार्टी के जनरल सेक्रेटरी और राज्य सभा सांसद सतीश चंद्र मिश्रा के हवाले से यहखबर आई है. मिश्रा ने यह भी कहा है कि पार्टी में किसी भी तरह की अनुशासनहीनताबर्दाश्त नहीं की जाएगी.पिछले महीने पार्टी में बड़े फेरबदल करते हुए मायावती ने सिद्दीकी को यूपी प्रभारीके पद से हटा दिया था. उसके बाद से इस बड़े मुस्लिम चेहरे को मध्य प्रदेश काइंचार्ज बनाया गया था. पार्टी को हाल ही में हुए चुनावों में बड़ी हार मिली है. 403सीटों वाली यूपी विधानसभा में मायावती की इस पार्टी को सिर्फ 19 सीटें मिलीं थी.वहीं 2014 के लोक सभा चुनाव में 80 में से एक भी सीट नहीं मिली थी.चुनावों से पहले 28 साल के अफजल सिद्दीकी को पार्टी ने काफी प्रमोट किया था. बसपाने अपने चुनावी कैंपेन को धर्म की धार लगाई थी. और मायावती ने इसकी जिम्मेदारीसौंपी थी अपने नंबर-2 नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी के बेटे अफज़ल सिद्दीकी को. और इलाकादिया गया था वेस्ट यूपी का. यानी आगरा, अलीगढ़, मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद औरबरेली. इन 6 जोन में अफज़ल ने मुसलमानों को 'मोबिलाइज़' करने की कोशिश भी की थी. इससबक की शुरुआत खुद मायावती ने की थी. तारीख़ थी 9 अक्टूबर. जगह थी लखनऊ. रैली मेंउन्होंने कहा था,'मुस्लिम बहुल इलाक़ों में मुसलमानों और दलितों के वोट मिलने से ही बीएसपी केउम्मीदवार चुनाव जीत जाएंगे. मुसलमान उन सीटों पर अपना वोट सपा और कांग्रेस को देकरमुस्लिम समाज के वोट न बांटें. ऐसा करने से पिछले लोकसभा चुनाव की तरह बीजेपी को हीफ़ायदा होगा.'मुसलमानों को जोड़ने के लिए बसपा सबसे ज्यादा आक्रामक और बेचैन दिखी थी. वेस्टयूपी के जिन 6 ज़ोन की जिम्मेदारी अफज़ल सिद्दीकी को सौंपी गई थी, वहां 140 विधानसभासीटें हैं. ये मुस्लिम बहुल इलाके हैं. यहां कुछ सीटों पर मुस्लिम वोट 70 फीसदी तकहै. और इस बार के चुनावों में बसपा ने 125 मुसलमानों को उम्मीदवार बनाया था. इन125 में से आधे तो इन 6 जोन से चुनाव लड़े. बिजनौर जिले की आठ में छह सीटों पर बसपाने मुसलमानों को खड़ा किया था. जबकि बाकी की दो सीटें आरक्षित थीं. बिजनौर की 4सीटों पर मुस्लिमों का होना इस बात को भी जाहिर कर रहा था कि वो दंगों का खौफदिखाकर मुसलमानों को अपने दामन में समेट लेने की कोशिश में थे.28 साल के अफजल सिद्दीकी बैठक में जाते और कहते थे, 'समाजवादियों का असली चेहरासामने आ गया है. उनके पास मत जाओ. ना भूले हैं, ना भूलने देंगे. आप लोगों को लवजिहाद और गोहत्या के नाम पर पीटा गया. अब एक होने का वक्त है. यह आपकी मौजूदगी कीलड़ाई है.'अफजल राजनीति में चार साल पहले ही एक्टिव हुए थे. 2012 विधानसभा चुनावों मेंमायावती की रैलियों की जिम्मेदारी उनके ही पास थी. इस चुनाव में भले ही बसपा हारीहो, लेकिन अफजल सिद्दीकी के काम करने की काबिलियत ने मायावती का दिल जीत लिया. अफजलकी स्कूली पढ़ाई देहरादून के बोर्डिंग स्कूल में हुई. इसके बाद नोएडा से लॉ कीपढ़ाई की. और फिर मीट सप्लायर बन गए. उन्हें सेना से भी सप्लाई कॉन्ट्रैक्टमिला. उनके यूपी और हरियाणा में स्लाटर हाउस हैं. अफजल अपने भरोसे के 20 लोग साथरखते हैं. ये सब मिलकर बसपा के लिए सोशल मीडिया पर भी काम करते हैं. अफजल ने 2014में फतेहपुर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा. लेकिन हार गए. चुनाव प्रचार से पहले 'इंडियनएक्सप्रेस' की एक रिपोर्ट के मुताबिक अफजल के रणनीतिकारों का मानना है कि मुसलमानोंने पहले भी मायावती को वोट किया है लेकिन एक बड़ा हिस्सा सपा को गया है. बसपा को यहबात पता है कि यूपी के कुल मतों के 40 प्रतिशत मुसलमान और दलित हैं और अगर ये साथ आजाएं, तो खेल बदला जा सकता है. इसीलिए मुस्लिमों पर फोकस किया जा रहा है.ये अफज़ल का ही दिमाग था, जो पिछले दिनों बसपा नेताओं ने चुनावी बैठकों में कुरान केहवाले दिए. हदीसों को बयान किया. ताकि मुसलमानों के दिमाग सोचना बंद कर दें औरचुनाव में ठप्पा बसपा पर लगाएं. धर्म का इतने सही ढंग से इस्तेमाल चुनाव के लिएशायद ही किसी ने किया हो. अफज़ल रैली या बैठकों के लिए ऐसी जगह चुनते हैं जोमुसलमानों के लिए बेहद अहम हो.अमरोहा जिले में अफजल की रैली होने वाली थी. उसके लिए उन्होंने जगह चुनी थी ईदगाह.लेकिन वहां ये रैली नहीं हो पायी. ये कहकर प्रशासन ने मना कर दिया कि ईदगाह की जमीनकिसी राजनीतिक काम के लिए नहीं दी जा सकती. रैली के लिए ईदगाह की जगह का चुनाव करकेजो मैसेज उन्हें मुसलमानों को देना था, वो दे दिया. भले ही दूसरी जगह रैली करनीपड़ी. https://www.youtube.com/watch?v=xPugbbPSKlc--------------------------------------------------------------------------------ये भी पढ़ेंबसपा ने कुरान पढ़ना शुरू कर दिया हैअखिलेश यादव का सामान कमरे से निकाल फ़ेंका था शिवपाल ने!