फक्कड़ बाबा याद हैं? अभी पिछले दिनों खबर आई थी उनके बारे में. 16वीं बार चुनावलड़ने जा रहे हैं. इससे पहले आठ बार लोकसभा चुनाव और सात बार विधायकी का चुनाव लड़चुके हैं. कहने की जरूरत नहीं कि हर बार हारे ही हैं. 73 साल के हैं और अभी आगे भीचुनाव लड़ने की ख्वाहिश है.फक्कड़ बाबाअपने यहां ऐसे बहुत से उदाहरण हैं. हर स्टेट में आपको 8-10 ऐसे किरदार मिल जाएंगे,जो बार-बार जमानत जब्त कराते हैं और हर पांच साल बाद पूरी बेशर्मी के साथ तालठोंकने आ जाते हैं. ये हर चुनाव लड़ते हैं. इनका खर्चा कभी पांच अंकों में नहींपहुंचता और वोट चार अंक तक पहुंच जाएं, वही बहुत है. और 1993 के यूपी विधानसभाचुनाव में तो ऐसे लोगों का मेला ही लग गया था.वो ऐतिहासिक चुनाव था. हर लिहाज से. मुलायम सिंह यादव ने कांशीराम से हाथ मिला लियाथा. 177 सीटें जीतने के बावजूद बीजेपी सत्ता से दूर थी. यूपी में बीजेपी-विरोधीमोर्चा तैयार हो गया था. और इस चुनाव में साढ़े आठ हजार कैंडिडेट्स की जमानत जब्तहो गई थी.कांशीराम के गले मिलते मुलायम1993 विधानसभा चुनाव में 9,716 प्रत्याशी मैदान में थे. भारत के अब तक के इतिहासमें किसी चुनाव में सबसे ज्यादा कैंडिडेट. एक सीट का औसत निकालें, तो हर सीट पर 23लोग खड़े हुए थे चुनाव जीतने के लिए. आगरा कैंट की सीट पर तो रिकॉर्ड ही बन गया था.वहां 77 कैंडिडेट खड़े हुए थे विधायक बनने के लिए. और उस साल 8,645 कैंडिडेट अपनीजमानत भी नहीं बचा पाए थे. अब इत्ती भसड़ होगी, तो जनता कितनों को कितने वोट देगी.https://www.youtube.com/watch?v=xPugbbPSKlc&t=1sजमानत जब्त होने के मामले में ये एक रिकॉर्ड है. अच्छा, एक रोचक बात ये भी कि इसकेठीक तीन साल बाद जब 1996 में चुनाव हुए, तो कैंडिडेट्स की संख्या इसकी आधी भी नहींरह गई थी. करीब डेढ़ साल सरकार चलने के बाद सपा से खींचतान की वजह से मायावती नेसमर्थन वापस ले लिया था. इस पर लखनऊ के गेस्ट हाउस में उनके साथ ऐसी बदसलूकी हुई कियूपी के इतिहास में एक काला अध्याय जुड़ गया. फिर माया और मुलायम दो अलग ध्रुव होगए, जो कभी एक नहीं हो सकते थे.https://www.youtube.com/watch?v=byNdhmK_t4E&t=39s1996 के चुनाव में सिर्फ 4,429 कैंडिडेट ही चुनाव में थे. 2002 के चुनाव में 5,533लोगों ने चुनाव लड़ा था. 2007 में 6,086 और 2012 में 6,839 कैंडिडेट मैदान में उतरेथे. 2012 में समाजवादी पार्टी एंटी-इन्कम्बेंसी का फायदा उठाते हुए 224 सीटों केसाथ सत्ता पर काबिज हुई थी. अखिलेश के सिर सेहरा बांधा था मुलायम ने, जिन्होंने अबउनसे पार्टी ही 'छीन ली'. तब हर सीट पर औसतन 17 कैंडिडेट्स ने चुनाव लड़ा था. देखतेहैं इस बार कितने अपनी किस्मत आजमाने उतरते हैं.--------------------------------------------------------------------------------ये भी पढ़ें:इस तरकीब से मुलायम ने बीजेपी को दी थी ऐसी पटखनी कि वो कभी उबर नहीं पाईआजम खान में ऐसा क्या है, जो उनकी बाप-बेटे दोनों से छनती हैअखिलेश, तुम्हारा एक पन्ने का विज्ञापन लिखने वाला तुम्हारा सबसे बड़ा दुश्मन हैभितरघात की ये पांच खबरें मोदी-शाह के माथे पर पसीना ले आएंगी