The Lallantop
Advertisement

बीएड पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असर, डीएलएड डिग्री के लिए आवेदनों की बाढ़

प्राइमरी स्कूलों में बीएड डिग्री धारकों को अयोग्य करार दिए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब बीएड डिग्री धारक नए कोर्स की तैयारी में लग गए हैं.

Advertisement
B.Ed BTC Exams
बीएड बीटीसी परीक्षा.
pic
रणवीर सिंह
24 अगस्त 2023 (Updated: 24 अगस्त 2023, 17:22 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

सुप्रीम कोर्ट ने हाल में अपने एक फैसले में बीएड डिग्री धारकों को प्राइमरी स्कूल के शिक्षक पद के लिए अमान्य करार दिया था. इसके बाद से नौकरी तलाश रहे छात्र एक बार फिर पढ़ाई करने की तैयारी में लग गए हैं. एक तरफ छात्र जगह-जगह धरना देकर केंद्र सरकार से अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को बदलने की मांग कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ बीएड डिग्री वाले छात्र अब डीएलएड (बीटीसी) की डिग्री लेने के लिए आवेदन भी कर रहे हैं. पहले जहां डीएलएड में कुल सीटों के हिसाब से आवेदन ही आधी सीटों के आते थे, वहीं इस बार कुल सीटों से कहीं ज़्यादा आवेदन आ चुके हैं. अभी इसमें बढ़ोतरी होने की भी पूरी सम्भावना है.

सीटों से ज़्यादा आए आवेदन

उत्तर प्रदेश में डीएलएड (बीटीसी) की 2023 में कुल सीटें 2 लाख 33 हज़ार हैं. अब तक कुल 3 लाख 40 हज़ार से ज़्यादा आवेदन डीएलएड के लिए आ चुके हैं. माना जा रहा है कि अभी और ज़्यादा आवेदन आ सकते हैं. इन 3 लाख 40 हजार आवेदनों में से 2 लाख 20 हज़ार आवेदन मात्र एक हफ़्ते के भीतर आए हैं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले वाले दिन यानी 11 अगस्त से 18 अगस्त तक आ गए. 

दरअसल यूपी में डीएलएड के आवेदन 31 जुलाई तक किए जाने थे. तय तारीख़ तक 2 लाख 33 हज़ार सीटों के लिए एक लाख से भी कम आवेदन आए. इसको देखते हुए आवेदन की तारीख़ 21 अगस्त तक बढ़ा दी गई. फिर अगले 11 दिनों में यानी 1 अगस्त से 11 अगस्त तक 20 हज़ार और अभ्यर्थियों ने आवेदन कर दिया. इसके बावजूद लगभग 1 लाख 10 हज़ार सीटें ख़ाली थीं. 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से लेकर 18 अगस्त तक आवेदनों की संख्या तेजी से बढ़कर 3 लाख 40 हज़ार पहुंच गई.

कोर्ट के फ़ैसले ने डीएलएड का आकर्षण बढ़ाया 

नियम के मुताबिक़ डीएलएड करने वाले छात्र प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने के लिए योग्य माने जाते हैं. वहीं सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के पहले तक बीएड डिग्री वाले प्राइमरी के साथ साथ माध्यमिक और पूर्व माध्यमिक में भी आवेदन कर सकते थे. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फ़ैसले में प्राइमरी में पढ़ाने के लिए बीएड डिग्री धारकों को अयोग्य क़रार दिया. ऐसे में बीएड कर चुके छात्र अब डीएलएड की डिग्री लेने के प्रयास में लग गए हैं.

बात करें 2021 की तो यूपी में 2 लाख 28 हज़ार सीटों के लिए कुल आवेदन ही एक लाख 64 हज़ार आए थे. इनमें भी एडमिशन सिर्फ 96 हज़ार छात्रों ने लिया. वहीं अगले साल यानी 2022 में कुल सीटें 2 लाख 16 हज़ार थीं, जिनके लिए कुल एक लाख 60 हज़ार आवेदन आए और एडमिशन लेने वालों की संख्या मात्र 55 हज़ार थी. 2023 में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद 2 लाख 33 हज़ार सीटों के लिए अब तक 3 लाख 40 हज़ार आवेदन आ चुके हैं. आवेदन करने की आख़िरी तारीख़ 21 अगस्त थी लेकिन 18 अगस्त को वेबसाइट में ख़राबी की वजह से 18 अगस्त के बाद आवेदन नहीं हो सके. अब आयोग की तरफ से शासन को चिट्ठी लिखकर आवेदन करने की अवधि एक हफ़्ते बढ़ाने की शिफारिश की गई है, जिसकी मंज़ूरी एक दो दिन में मिल सकती है.

सुप्रीम कोर्ट ने बीएड पर क्या कहा?

साल 2018 में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने गैजेट जारी करके बीएड को प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने के लिए योग्य माना था. एनसीटीई का आदेश पूरे देश में मान्य होता है. शर्त थी ज्वाइनिंग के 2 साल के अंदर 6 महीने का ब्रिज कोर्स करने की. लेकिन 2021 में राजस्थान शिक्षक पात्रता परीक्षा में सिर्फ बीएसटीसी (डीएलएड) को ही परीक्षा में बैठने की अनुमति दी गई. फिर मामला पहुंच गया राजस्थान हाईकोर्ट. कोर्ट ने भी बीएड को योग्य नहीं माना. फिर मामला सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच तक पहुंच गया. सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 'गुणवत्तायुक्त' शिक्षा के अधिकार का हवाला देते हुए बीएड डिग्री धारकों को प्राइमरी में पढ़ाने के लिए अयोग्य क़रार दे दिया.

इस फ़ैसले के बाद एक तरफ डीएलएड करने वाले छात्र खुश हैं तो वहीं दूसरी तरफ बीएड वाले छात्र अपने भविष्य को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. छात्रों की तरफ से केंद्र सरकार से अध्यादेश लाकर उन्हें राहत देने की मांग की जा रही है. साथ साथ बीएड वाले छात्र अब डीएलएड में एडमिशन लेकर भविष्य में आने वाली भर्तियों के लिए अपने को योग्य बनाने के लिए अब डीएलएड में आवेदन भी कर रहे हैं.

वीडियो: 'राजनीति के लिए अध्यादेश तो B.Ed क्यों नहीं...' लखनऊ में प्रदर्शन, मोदी सरकार पर क्यों बरसे छात्र?

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement