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दिल्ली की नई आबकारी नीति पर मचा बवाल, शराब से कमाई में कौन नंबर वन?

दिल्ली की नई आबकारी नीति को लेकर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल (LG) वीके सक्सेना के बीच काफी वाद विवाद जारी है. उपराज्यपाल ने दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई जांच के निर्देश दे दिए हैं.

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बार (प्रतीकात्मक तस्वीर)
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प्रदीप यादव
26 जुलाई 2022 (Updated: 28 जुलाई 2022, 10:04 IST)
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दिल्ली की नई आबकारी नीति 2021-2022 पर बवाल मचा हुआ है. इसको लेकर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल (LG) वीके सक्सेना के बीच काफी वाद विवाद जारी है. उपराज्यपाल ने दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई जांच के निर्देश भी दे दिए हैं. इतना ही नहीं उपराज्यपाल ने मुख्य सचिव को दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 तैयार करने वाले अधिकारियों और नौकरशाहों के नाम मांगे हैं. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि एलजी ने इस नीति को बनाने अधिकारियों और नौकरशाहों की भूमिका पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. नई एक्साइज पॉलिसी में कथित तौर पर गंभीर अनियमितिाओं और गड़बड़ियों के आरोपों की जांच के लिए उप-राज्यपाल वीके सक्सेना ने सीबीआई जांच की सिफारिश की है.

दिल्ली की New Excise Policy की खास बातें 

सबसे पहले दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति के बारे में तफसील से समझते हैं. नई आबकारी नीति की सबसे खास बात यह है कि दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को नई आबकारी नीति लागू करने के बाद से शराब बेचने के कारोबार से खुद को अलग कर लिया है. नई पॉलिसी लागू होने के बाद से दिल्ली सरकार की तरफ से चलाई जा रहीं लगभग 600 शराब की दुकानों को बंद किया जा चुका है. दिल्ली सरकार की इसके पीछे यह सोच थी कि शराब की खरीदारी को और अधिक आकर्षक बनाकर ज्यादा से ज्यादा राजस्व बढ़ावा देगी. नई नीति में, केजरीवाल सरकार ने 850 शराब की दुकानों को रिटेल लाइसेंस दिए थे. इसमें 266 शराब के ठेके प्राइवेट दिए गए थे. इन शराब की दुकानों को 32 जोन में  बांटा गया. इन शराब की दुकानों में पांच सुपर-प्रीमियम शॉप्स शामिल हैं. आप इसे मॉडल शॉप्स भी कह सकते हैं. 

होटल, क्लब और रेस्तरां बार को रात 3 बजे तक खोलने की अनुमति 

शराब का लाइसेंस पाने वाले कुछ लोगों को 24 घंटे खोलने की अनुमति दी गई जबकि कुछ होटल, क्लब और रेस्तरां में बार को रात 3 बजे तक खोलने की अनुमति दी गई है. होटल, क्लब और रेस्तरां को कुछ शर्तों के साथ भारतीय और विदेशी दोनों शराब बेचने का अधिकार है, वे चाहें तो बार अपने टेरेस या बालकनी में भी शराब सर्व कर सकते हैं. बैंक्वेट हॉल, फार्महाउस, मोटेल, वेडिंग/पार्टी/इवेंट वेन्यू के लिए एक नया लाइसेंस- एल-38 पेश किया है, जिसमें सालाना फीस पर परिसर में आयोजित सभी पार्टियों में भारतीय और विदेशी शराब सर्व करने की अनुमति है.

ठेका मालिकों ने कहा, उठाना पड़ रहा नुकसान 

दिल्ली सरकार की नई आबकारी पॉलिसी पर विपक्ष क्यों हमलावर है अब इस बात की पड़ताल करते हैं. भाजपा और कांग्रेस ने दिल्ली में शराब कल्चर को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए कहा है कि इससे युवा गलत रास्ता अख्तियार करेंगे. विपक्ष का कहना है कि स्कूलों और डेवलपमेंट का वादा करने वाली केजरीवाल सरकार अब  शराब की दुकानें खोलकर किस तरह का विकास कर रही है. विपक्ष का यह भी आरोप है कि नई आबकारी नीति से दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. हालांकि, अगर आंकड़ों को देखें तो दिल्ली में शराब की दुकानों की संख्या लगातार घट रही है. 2021 में दिल्ली सरकार की तरफ से 849 शराब की दुकानों के लाइसेंस जारी किए गए थे, लेकिन वित्तीय नुकसान के कारण शराब की कई दुकानें बंद हो चुकी हैं. मई में दिल्ली में शराब की दुकानें 849 से घटकर 649 पर आ गई थीं जबकि जून में शराब की दुकानों की संख्या घटकर महज 464 रह गई.ठेका मालिकों का कहना है कि मोटी लाइसेंस फीस चुकाने के बाद बिल्कुल भी बचत नहीं हो रही है और कई शराब ठेका मालिकों का कहना है कि उन्हें नुकसान उठाना पड़ा है. 

शराब से कमाई में यूपी नंबर वन राज्य 

अब जानते हैं कि इतने विपक्ष के विरोध और जनता के विरोध के बावजूद राज्य सरकारें शराब क्यों बेचने को उतावली रहती हैं.  दरअसल, देश में जुलाई 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों को केन्द्र से स्टेट जीएसटी के मद में बड़ी रकम मिलती है लेकिन सिर्फ इस कमाई से राज्यों का खर्चा नहीं चल पाता है. इसलिए जीएसटी लागू करने से पहले इस बात पर सहमति बनी थी कि पेट्रोल डीजल, शराब और जमीन की खरीद फरोख्त से होने वाली कमाई पर राज्यों का अधिकार रहेगा. केन्द्र सरकार से स्टेट जीएसटी के मद में मिले पैसे के अलावा राज्यों की कमाई का सबसे बड़ा जरिया पेट्रोल पर वैट, शराब की बिक्री और घर की खरीदारी-बिक्री पर होने वाली स्टैंप ड्यूटी से आता है.  इंडिया टुडे की एक आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक यूपी में अप्रैल 2017 से मार्च 2021 के बीच यूपी सरकार ने शराब की बिक्री से करीब दोगुनी कमाई की.  वित्त वर्ष 2020-21 में यूपी ने शराब के लाइसेंस फीस और एक्साइज ड्यूटी के जरिये करीब 30 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई की और पहले नंबर पर रहा.

दक्षिणी राज्यों में शराब की बिक्री काफी ज्यादा 

RBI State Finance Report 2021-22 के मुताबिक, दक्षिण भारत के राज्यों में शराब की सबसे ज्यादा बिक्री होती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि कर्नाटक में राज्य सरकार शराब पर लगाए टैक्स से करीब 14.27 फीसदी की कमाई करती है. यानी अगर सरकार 100 रुपये की कमाई करती है तो उसमें से करीब 14 रुपये का राजस्व शराब से आता है. कर्नाटक ने वित्त वर्ष 2020 में शराब की बिक्री और लाइसेंस फीस के मद में करीब 21 हजार करोड़ रुपये की कमाई की है. शराब से कमाई के मामले में कर्नाटक दूसरे नंबर पर है. इसके बाद महाराष्ट का नंबर आता है. इसी तरह दिल्ली की बात करें तो दिल्ली सरकार अगर 100 रुपये की कमाई करती है तो उसमें से 11.37 रुपये शराब पर लगे टैक्स से कमाती है. यही कारण हैं कि राज्य सरकारों ने कोरोना महामारी के चलते लागू किए लॉकडाउन को पूरी तरह ओपेन होने से पहले शराब की बिक्री शुरू कर दी थी.

वीडियो: क्या अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में गली-गली शराब की दुकानें खोलीं, जानिए सच्चाई

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