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MRF कंपनी ने शेयर मार्केट में किया कमाल, पहली बार लखटकिया बना शेयर

23 सालों में 10 हजार गुना बढ़ोतरी! शेयर मार्केट में लिस्टेड किसी भी कंपनी के शेयर का भाव MRF जितना नहीं.

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MRF share crossed one lakh rupee price
साल 2000 में MRF के एक शेयर की कीमत 1000 रुपये थी. (तस्वीरें- इंडिया टुडे)
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प्रदीप यादव
10 मई 2023 (Updated: 13 जून 2023, 18:37 IST)
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MRF. इसे देखते ही सचिन तेंदुलकर के बल्ले की याद आ जाती है. MRF का बैट सचिन की पहचान बन गया था. इसी ब्रैंड नेम के बल्ले से खेलते हुए उन्होंने शतकों की झड़ी लगाई. कई लोगों को तो लगता था कि MRF बल्ले बनाने वाली कंपनी है. हालांकि ये देश की सबसे बड़ी टायर कंपनी का ब्रैंड नेम है जिसका पूरा नाम है ‘मद्रास रबर फैक्ट्री’. खबर ये है कि इस कंपनी ने शेयर मार्केट के मैदान में बहुत लंबा 'सिक्सर' मार दिया है.

दरअसल, MRF का  शेयर आज 13 जून को बीएसई पर पहली बार एक लाख रुपये के आंकड़े को पार कर गया.  कारोबार के दौरान  आज कंपनी का शेयर 1.37 फीसदी के उछाल के साथ   100300 रुपये पर पहुंच गया.  इसके साथ ही MRF शेयर मार्केट में लिस्टेड देश की पहली कंपनी बन गई है जिसके शेयर की कीमत एक लाख हुई है. MRF के शेयर का भाव पिछले साल 17 जून 2022 को एक साल के निचले स्तर 65,900  रुपये पर पहुंचा था. 

साल 2000 में 1000 रुपये था शेयर का दाम

अप्रैल 1993 में MRF के एक शेयर की कीमत 11 रुपये थी. तब से कंपनी ने लंबा सफर तय किया है. साल 2000 में MRF के एक शेयर की कीमत 1000 रुपये तक पहुंच गई थी. इसके बाद अगले करीब 23 साल की अवधि में स्टॉक ने 10,000 फीसदी से भी ज्यादा की जोरदार छलांग लगाई है. 2012 में MRF के एक शेयर की कीमत 10,000 रुपये के आसपास थी. 2014 में इस स्टॉक ने 25,000 रुपये का स्तर पार किया था. साल 2016 में कंपनी का शेयर 50,000 रुपये पर पहुंच गया. दो साल बाद 2018 में MRF का शेयर 75,000 रुपये का हुआ. बीते सोमवार को इसकी कीमत एक लाख रुपये के पार गई है और अभी भी उसके करीब है.

MRF का शेयर इतना महंगा क्यों है? 

दरअसल, MRF कंपनी के निदेशक मंडल ने कंपनी के शेयरों को कभी स्प्लिट नहीं किया, यानी विभाजित नहीं किया. आसान शब्दों में कहें तो किसी भी एक शेयर को तोड़ा नहीं है. आम तौर पर जब किसी कंपनी का शेयर बहुत बढ़ जाता है तो स्टॉक स्प्लिट के जरिए कंपनियां अपने शेयरों को एक से ज्यादा शेयरों में विभाजित करती हैं. देश की जानी मानी ब्रोकरेज फर्मों में से एक एंजल वन के मुताबिक 1975 के बाद से ही MRF ने आज तक अपने शेयरों को कभी स्प्लिट नहीं किया.

शेयर स्पिल्ट क्यों किया जाता है?

मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि आम तौर पर जब किसी कंपनी का शेयर काफी महंगा होता है तो छोटे निवेशक उसमें पैसा लगाने से कतराते हैं. इसलिए इन छोटे निवेशकों को लुभाने के लिए कंपनी अपने शेयर को स्प्लिट करती है.

वापस MRF पर आते हैं. हाल ही में जारी वित्तीय नतीजों में कंपनी को भारी मुनाफा हुआ है. वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही में MRF का शुद्ध मुनाफा, बोले तो नेट प्रॉफिट 162 फीसदी बढ़कर 410.66 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. इससे पहले वित्त वर्ष 2021-22 की जनवरी-मार्च तिमाही में कंपनी ने 165 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा कमाया था. यानी इसी अवधि के दौरान कंपनी का मुनाफा पिछले साल के मुकाबले दोगुना हुआ है.

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