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अडानी के बाद हिंडनबर्ग ने लिया SEBI प्रमुख माधबी बुच से पंगा, एक-एक बात यहां जानें

रिपोर्ट आई तो खलबली मच गई. इनवेस्टर्स, मार्केट एनालिस्ट्स को लगा कि सोमवार को बाजार खुलेगा तो भारी बिकवाली दिखेगी. हालांकि अडानी के शेयरों को छोड़कर शेयर बाजार पर कुछ ज्यादा असर नहीं दिखा. अब देखने वाली बात ये है कि हिंडनबर्ग ने इस बार जो आरोप लगाए है उनका कोई लॉन्ग टर्म असर होगा या नहीं.

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Know every thing about Adani, SEBI Chairman and Hindenburg report
अडाणी, SEBI चेयरमैन मधाबी बुच और हिंडनबर्ग रिपोर्ट (तस्वीर-इंडिया टुडे)
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उपासना
12 अगस्त 2024 (Published: 24:21 IST)
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18 महीने पुरानी हिंडनबर्ग और अडानी की लड़ाई अब एक नई दिशा में मुड़ गई है. हिंडनबर्ग ने 10 अगस्त की रात एक रिपोर्ट जारी कर सिक्योरिटीज एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी SEBI को इसमें घसीट लिया है. उसने आरोप लगाया है कि SEBI की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने खुद अडानी ग्रुप के शेयरों में निवेश कर रखा है. इसीलिए अडानी ग्रुप को लेकर जांच इतनी धीमी है. क्योंकि अगर जांच तेजी से हुई तो अनियमितता के तार खुद माधबी बुच से जुड़े निकलेंगे.

रिपोर्ट आई तो खलबली मच गई. इनवेस्टर्स, मार्केट एनालिस्ट्स को लगा कि सोमवार को बाजार खुलेगा तो भारी बिकवाली दिखेगी. हालांकि अडानी के शेयरों को छोड़कर शेयर बाजार पर कुछ ज्यादा असर नहीं दिखा. अब देखने वाली बात ये है कि हिंडनबर्ग ने इस बार जो आरोप लगाए है उनका कोई लॉन्ग टर्म असर होगा या नहीं.

हिंडनबर्ग का SEBI चीफ से पंगा

SEBI दुनिया के पांचवें सबसे बड़े शेयर बाजार के नियम कायदों का जिम्मा देखता है. कैपिटल मार्केट में कोई गलमांची ना हो, कोई गड़बड़झाला ना कर पाए, निवेशकों के पैसे सुरक्षित रहें, ये सब देखना SEBI की ज़िम्मेदारी है. SEBI सिक्योरिटी मार्केट का रेफरी और चौकीदार दोनों है. उसने भी बयान जारी कर कहा है कि निवेशकों को घबराने की जरूरत नहीं है. उन्हें पूरा मामला समझ लेना चाहिए उसके बाद ही कोई फैसला करना चाहिए.

पहले इन दो सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं.

पहला सवाल- हिंडनबर्ग ने SEBI और चेयरपर्सन माधबी बुच को क्यों लपेटे में लिया है?
दूसरा सवाल- माधबी बुच और उनके पति ने आरोपों पर क्या सफाई दी है?

हिंडनबर्ग रिसर्च धांधलेबाजी के साथ कारोबार करने वाली कंपनियों को एक्सपोज करने के लिए जानी जाती है. 2017 में शुरू हुई ये कंपनी अब तक 63 कंपनियों पर रिपोर्ट जारी कर चुकी है. इनमें से तीन ने बैंकरप्सी के लिए भी फाइल कर दिया है. 10 अगस्त की सुबह 5.24 बजे हिंडनबर्ग ने एक्स पर एक पोस्ट किया. कहा, ‘जल्द ही कुछ बड़ा आने वाला है, इंडिया.’ उसी रात 9.57 बजे हिंडनबर्ग ने एक और पोस्ट किया. इस रिपोर्ट में उसने SEBI और उसकी वर्तमान चेयरपर्सन पर कई आरोप लगाए.

रिपोर्ट में हिंडनबर्ग ने कहा है, जनवरी 2023 में हमने अडानी ग्रुप स्कैम पर एक खुलासा किया था. जो कॉरपोरेट इतिहास का सबसे बड़ा खुलासा था. लेकिन डेढ़ साल से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी अडानी ग्रुप पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

हिंडनबर्ग की अडानी पर रिपोर्ट

जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप पर रिपोर्ट जारी की थी. जिसमें आरोप लगाया गया कि अडानी ग्रुप शेल कंपनियों के जरिये अपने ही पैसों को फिर से अपनी ही कंपनियों में लगाकर शेयरों के दाम बढ़ाने की कोशिश कर रही है. इस रिपोर्ट की वजह से अडानी ग्रुप के शेयरों को 150 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था. सुप्रीम कोर्ट ने SEBI को जांच के आदेश दिए, जो अभी भी जारी है.

हिंडनबर्ग ने कहा, “इसके पुख्ता सबूत दिए 18 महीने से ज्यादा का समय हो गया कि कैसे अडानी ग्रुप शेल कंपनियों का इस्तेमाल करके अरबों डॉलर के अनडिस्क्लोज्ड रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन, अनडिसक्लोज्ड इनवेस्टमेंट और स्टॉक मैनिपुलेशन कर रहा है. 40 से ज्यादा इंडिपेंडेंट मीडिया संगठनों ने भी इस रिपोर्ट को सही पाया. कायदे से SEBI को इस मसले को गंभीरता से लेकर जांच करनी चाहिए थी. रिपोर्ट जमा करनी चाहिए थी. मगर SEBI ने 27 जून 2024 को उसने उल्टा हमें ही कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया.”

हिंडनबर्ग ने SEBI की कार्रवाई पर एक तरह से नाउम्मीदी तो जताई ही, साथ में उस पर नए आरोप मढ़ दिए. कहा कि अडानी ग्रुप ने अपने शेयरों के दाम को बढ़ाने के लिए जिन ऑफशोर फंड्स का इस्तेमाल किया था, उनमें SEBI की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति खुद उन इनवेस्टर रह चुके हैं. अमेरिकी फर्म ने कहा कि ये सीधे 'कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट' का मसला है. हिंडनबर्ग ने बुच दंपति का अडानी ग्रुप से कनेक्शन साबित करने के लिए कुछ जानकारी भी पेश की है.

रिपोर्ट के मुताबिक बुच दंपति ने IPE प्लस फंड 1 में 2015 में इनवेस्ट किया था. और 2018 में अपनी होल्डिंग बेच दी. हिंडनबर्ग ने विसलब्लोअर के हवाले से कहा है कि 'IPE प्लस फंड 1' वही फंड है जिसकी मदद से अडानी ग्रुप ने कथित तौर पर पैसे इधर से उधर किए हैं. उसके मुताबिक IPE प्लस फंड 1 में ग्लोबल डाइनैमिक अपॉर्चुनिटीज फंड (GDOF) ने पैसे लगाए थे. रिपोर्ट कहती है कि GDOF में गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी ने अपनी कंपनी ATIL (असेट ट्रेड एंड इनवेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड) के जरिये पैसे लगाए थे.

इस पर फाइनेंशियल टाइम्स ने एक रिपोर्ट छापी थी. GDOF के पैरेंट फंड का नाम ग्लोबल अपॉर्चुनिटी फंड है. फाइनेंशियल टाइम्स ने बताया था कि अडानी ग्रुप से जुड़ी कुछ ऑफशोर कंपनियों ने इसी ग्लोबल अपॉर्चुनिटी फंड के जरिये ग्रुप के शेयरों में पैसा लगाया था.

रिपोर्ट में IPE प्लस फंड 1 का एक और ‘अडानी कनेक्शन’ होने का दावा किया गया है. इसके मुताबिक मॉरिशस में रजिस्टर्ड ये फंड इंडिया इन्फोलाइन (IIFL) के अंडर आता है जिसे अनिल आहूजा ने शुरू किया था. जिस समय ये फंड शुरू हुआ, अनिल उसी समय अडानी एंटरप्राइजेज के डायरेक्टर भी थे. वहां उन्होंने 9 सालों तक अपनी सेवाएं दी थीं.

बुच दंपति की सफाई

इन आरोपों पर माधबी पुरी बुच ने कहा कि हिंडनबर्ग उन्हें बदनाम करने की कोशिश कर रही है. माधबी और उनके पति धवल बुच ने 15 पॉइंट्स के साथ इस मसले पर सफाई दी. दंपति ने कहा कि उन्होंने आम नागरिक की हैसियत से फंड में 2015 में पैसे लगाए थे. तब वो सिंगापुर में रहते थे. उस समय माधबी ने SEBI को जॉइन भी नहीं किया था. बता दें कि माधबी ने 2017 में SEBI को बतौर फुल टाइम मेंबर की तरह जॉइन किया था और 2022 में SEBI की चेयरपर्सन बनी थीं. 

सफाई में आगे कहा गया, “हमने IPE में इसलिए इनवेस्ट किया था क्योंकि उसके चीफ इनवेस्टमेंट ऑफिसर अनिल आहूजा, धवल के बचपन के दोस्त हैं. दोनों ने स्कूल और आईआईटी दिल्ली में साथ में पढ़ाई की है. अनिल ने सिटीबैंक, जेपी मॉर्गन और 3आई ग्रुप में काम किया है. और उनके पास इनवेस्टिंग में कई दशकों का अनुभव है. सिर्फ इसी वजह से हमने फंड में इनवेस्ट किया था. जब 2018 में आहूजा ने इस फंड से इस्तीफा दिया तो हमने भी अपने इनवेस्टमेंट बेच दिए.”

हिंडनबर्ग ने बुच दंपति के जवाबों को लपकते हुए फिर से अटैक किया. 11 अगस्त को एक्स पर पोस्ट करके हिंडनबर्ग ने कहा कि बुच दंपति की तरफ से बयान आने का मतलब है वो हमारी रिपोर्ट को मानते हैं. लेकिन साथ ही कुछ नए सवाल भी उठते हैं. हिंडनबर्ग ने नए आरोप लगाते हुए कहा कि माधबी बुच के SEBI मेंबर बनने से कुछ सप्ताह पहले ही उनके पति धवल बुच ने मॉरिशस फंड के एडमिनिस्ट्रेटर ट्राइडेंट को लेटर लिखा और अकाउंट को ऑपरेट करने के सारे अधिकार अपने नाम ट्रांसफर करने की मांग की. रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा इसलिए किया गया ताकि ग्लोबल डाइनैमिक अपॉर्चुनिटीज फंड के दस्तावेजों से माधबी का नाम हट जाए. इसी के कुछ सप्ताह बाद बुच ने SEBI को फुल टाइम मेंबर की तरह जॉइन किया था.

आरोपों के सिलसिले में आगे कहा गया है कि माधबी सिंगापुर में रहते हुए दो इक्विटी फर्म चलाती थीं. अगोरा पार्टनर्स, जो सिंगापुर में रजिस्टर्ड थी. और दूसरी अगोरा एडवाइजरी लिमिटेड, जो इंडिया में रजिस्टर्ड थी. रिपोर्ट कहती है कि मार्च 2022 तक सिंगापुर वाली इकाई के 100 पर्सेंट शेयर माधबी के पास ही थे. और मार्च 2022 में जब उन्हें SEBI चेयरमैन बनाया गया तो उन्होंने सारे शेयर अपने पति के नाम कर दिए.

हिंडनबर्ग ने कहा है कि सिंगापुर की कंपनियों को अपने फाइनेंशियल स्टेटमेंट दिखाने नहीं होते. इसलिए ये नहीं पता चल सकता है कि माधवी के इस फर्म का क्लाइंट कौन था और उससे कितनी कमाई हुई. वहीं, इंडिया वाली इकाई अगोरा एडवाइजरी में उनके पास अभी भी पूरी हिस्सेदारी है और ये अब भी एक्टिव है. हिंडनबर्ग ने कहा कि बुच अभी भी इससे कमाई कर रही हैं, जो फिर 'कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट' है.

वहीं बुच दंपति ने अपनी सफाई में कहा था,

“हमें किसी भी वित्तीय दस्तावेज का खुलासा करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है. माधवी जब चेयरपर्सन बनीं तब नियम के हिसाब से उन्होंने सारी जानकारी सार्वजनिक कर दी थी. इसमें उन इवेस्टमेंट की भी डिटेल शामिल हैं जो हमने एक सामान्य नागरिक रहते हुए किए थे. कोई भी अधिकारी उन्हें मांग सकता है.”

एक अन्य आरोप में हिंडनबर्ग धवल बुच पर भी आरोप लगाती है. धवल बुच ग्लोबल असेट मैनेजमेंट कंपनी ब्लैकस्टोन में एडवाइजर हैं. रिपोर्ट के मुताबिक माधबी के SEBI चेयरपर्सन रहते हुए रियल एस्टेट इंवेस्टमेंट ट्रस्ट के नियमों में ‘ढील’ दी गई जिससे ब्लैकस्टोन को फायदा हुआ है.

इस पर दंपति ने सफाई दी. कहा कि धवल की ब्लैकस्टोन में नियुक्ति माधवी की SEBI में नियुक्ति से पहले ही हो चुकी थी. और धवल ने ब्लैकस्टोन में कभी भी रियल एस्टेट विंग में काम ही नहीं किया है. धवल को सप्लाई चेन मैनेजमेंट में अनुभव के लिए ब्लैकस्टोन ने हायर किया था.

SEBI ने क्या कहा?

SEBI ने माधबी बुच को डिफेंड करते हुए बयान जारी किया. कहा कि चेयरपर्सन माधवी बुच ने समय-समय पर अपने इनवेस्टमेंट से जुड़े जरूरी खुलासे किए हैं. उन्होंने संभावित हितों के टकराव से जुड़े मामलों से खुद को अलग कर लिया था. SEBI का कहना है कि उसके पास 'कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट' से डील करने के लिए पर्याप्त मेकैनिज्म है. मार्केट नियामक पर अडानी मसले में ‘सुस्ती’ के जो आरोप लगाए गए थे, उस पर SEBI ने कहा कि 24 में से 22 जांच पूरी हो चुकी हैं. एक जांच 24 मार्च 2024 को पूरी हुई. और आखिरी जांच पूरी होने की कगार पर है.

SEBI ने निवेशकों को नसीहत भी दी. कहा कि निवेशकों को शांति बनाए रखनी चाहिए. और ऐसी रिपोर्ट्स पर प्रतिक्रिया देने से पहले सही ढंग से तैयारी कर लेनी चाहिए.

अनिल, अडानी और '360' ने क्या कहा?

इस मामले में SEBI और बुच दंपति के अलावा जिन लोगों के नाम आए हैं, उन्होंने भी हिंडनबर्ग के आरोपों को ‘आधारहीन’ करार दिया है. अनिल आहूजा, जिन्होंने IPE प्लस फंड को शुरू किया था, ने इकोनॉमिक टाइम्स से बातचीत में कहा,

“हमारे फंड ने अडानी ग्रुप की कंपनियों के किसी भी बॉन्ड, शेयर या डेरेवेटिव में कोई इनवेस्टमेंट नहीं किया. मैं तो पिछले 6 सालों से अंडरप्रिविलेज्ड बच्चों को पढ़ा रहा हूं. धार्मिक ग्रंथों की पढ़ाई कर रहा हूं. इस तरह के आरोपों को सुनकर तो मैं हिल गया हूं.”

वहीं IIFL, जो अब 360 WAM बन चुकी है, उसने भी अलग से एक स्टेटमेंट जारी किया. कंपनी के अनुसार फंड सभी जरूरी मानकों और कॉरपोरेट गवर्नेंस के नियमों का पूरी गंभीरता के साथ पालन करता है. कंपनी ने किसी भी फंड के जरिये डायरेक्टली या इनडायरेक्टली अडानी के किसी भी शेयर में कोई इनवेस्टमेंट नहीं किया है. अडानी ग्रुप ने भी इन आरोपों को खारिज किया. कहा कि ये आरोप पूरी तरह बदले की भावना से लगाए गए हैं. कंपनी ने पलटवार किया कि हिंडनबर्ग ने अपने फायदे के लिए इस तरह के आरोप लगाए हैं. रिपोर्ट में जिन नामों का जिक्र किया गया है उससे ग्रुप का कोई कारोबारी संबंध नहीं है.

शुरू है राजनीति

इधर कारोबारी लड़ाई को राजनीतिक गलियारे में भी हवा मिलने लगी है. संसद में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा कि छोटे खुदरा निवेशकों की संपत्ति की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले SEBI की प्रतिष्ठा को उसके चेयरपर्सन पर लगे आरोपों ने गंभीर रूप से ठेस पहुंचाई है. उन्होंने ये भी कहा कि माधबी पुरी ने अभी तक इस्तीफा क्यों नहीं दिया है. अगर निवेशकों के पैसे डूबते हैं तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने भी मामले में जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी से जांच कराने की मांग की है.

उधर 12 अगस्त को वित्त मंत्रालय की तरफ से भी पहला बयान आया. इकोनॉमिक अफेयर्स सेक्रेटरी अजय शेठ ने कहा कि इस मसले पर SEBI और संबंधित पार्टियों ने बयान जारी कर दिया है. सरकार को इसमें कुछ और नहीं कहना है. बाद में बीजेपी सांसद और पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट को पूरी तरह आधारहीन बताया.

उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा,

"हिंडनबर्ग की रिपोर्ट शनिवार को रिलीज हुई, रविवार को हल्ला मचा ताकि सोमवार को पूरे कैपिटल मार्केट को अस्थिर किया जा सके."

 उन्होंने कहा,

“सुप्रीम कोर्ट के क्षेत्राधिकार में अपनी जांच पूरी करने के बाद SEBI ने हिंडनबर्ग के खिलाफ जुलाई में एक नोटिस जारी किया था. अपने बचाव में जवाब देने की बजाय हिंडनबर्ग ने ये रिपोर्ट पेश की, ये पूरी तरह आधारहीन है.”

'कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट' क्या है?
जब किसी पद पर बैठा कोई शख्स उसका इस्तेमाल अपने निजी फायदे के लिए करता है तो इसे कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट माना जाता है. ये स्थिति ना बने इसके लिए सरकारी और निजी दोनों कंपनियां कड़े नियमों का पालन करती हैं. SEBI की चेयरपर्सन पर 'कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट' से जुड़े जो आरोप लगे, उन पर कारोबारी गलियारे दो फाड़ हैं. SEBI के एक पूर्व फुल टाइम मेंबर ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा,

"किसी को नहीं पता है कि जब जांच चल रही थी तो उन्होंने (माधबी) ने खुद को इससे अलग कर लिया था या नहीं. आदर्शानुसार, उन्हें खुद को इस जांच से अलग कर लेना चाहिए था. और, इसका खुलासा कर देना चाहिए था कि जिस फंड स्ट्रक्चर को लेकर जांच चल रही थी उसमें उन्होंने निवेश किया था."

 हालांकि जैसा कि हमने पहले भी बताया, बुच दंपति ने कहा है कि उसने सभी जानकारी SEBI को बता रखी थी. खुद SEBI और आयकर विभाग ने भी इसकी पुष्टि की है.

इस बीच 12 अगस्त को शेयर बाजारों में रिपोर्ट का कुछ खास असर नहीं दिखा. सेंसेक्स 56.99 अंक नीचे 79,648.92 पर बंद हुआ. और निफ्टी 20.50 अंक नीचे 24,347 पर बंद हुआ. अडानी ग्रुप के शेयरों में जरूर ज्यादा नुकसान दिखा. अडानी के 10 में से 8 शेयर घाटे में बंद हुए. ग्रुप के शेयरों में 7 फीसदी तक की गिरावट दर्ज हुई है. इसके चलते निवेशकों को लगभग 53,000 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है.

वीडियो: हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट, SEBI चेयरमैन पर क्या आरोप लगाए?

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