The Lallantop
Advertisement

Hyundai Motor IPO: 15 अक्टूबर को खुलेगा देश का सबसे बड़ा आईपीओ, जान लें एक-एक बात

Hyundai India इंडियन मार्केट का अब तक का सबसे बड़ा IPO लाने जा रही है. कंपनी का इरादा इस IPO के जरिए 27870.16 करोड़ रुपये रुपये जुटाने का है.

Advertisement
Hyundai, IPO, Car IPO
Hyundai motors लेकर आ रहा है देश का सबसे बड़ा IPO (फोटो: PTI/X)
pic
रविराज भारद्वाज
14 अक्तूबर 2024 (Updated: 15 अक्तूबर 2024, 08:58 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

शेयर मार्केट में इंट्रेस्ट रखने वाले और पैसा लगाने वालों को एक IPO का बेसब्री से इंतजार है. वो IPO है ऑटो सेक्‍टर की दिग्‍गज कंपनी Hyundai का. जिसकी इंडियन यूनिट यानी Hyundai India इंडियन मार्केट का अब तक का सबसे बड़ा IPO (India's Largest IPO) लाने जा रही है. कंपनी का इरादा इस IPO के जरिए 27870.16 करोड़ रुपये जुटाने का है.

हुंडई मोटर्स इंडिया का IPO 15 अक्टूबर को सब्सक्रिप्शन के लिए ओपन होगा. अलॉटमेंट प्रोसेस के लिए तारीख 18 अक्टूबर की तय की गई है. वहीं, रिफंड प्रोसेस के लिए कंपनी ने 21 अक्टूबर की तारीख तय की है. Demat Accounts में शेयर 22 अक्टूबर को क्रेडिट किए जाएंगे.

Price Band क्या है?

कंपनी की तरफ से 1865 से लेकर 1960 रुपये का प्राइसबैंड तय किया गया है. लॉट साइज सात शेयरों का है. मतलब की इनवेस्टर्स को कम से कम इनवेस्टमेंट जो करना होगा, वो होगा 13,720 रुपये. प्राइसबैंड का मतलब है कि आपके द्वारा लगाई गई न्यूनतम बिड 1865 और अधिकतम बिड 1960 रुपये की होनी चाहिए.

ये भी पढ़ें: सिर्फ 8 लोगों की इस दिल्ली वाली कंपनी के IPO ने सब्सक्राइबर्स के बीच धूम मचा दी है, लेकिन क्यों?

अब जब ये सबसे बड़ा IPO होने वाला है तो इससे पहले कौन था, ये भी बताना जरूरी है. इससे पहले इंडियन मार्केट में सबसे बड़ा IPO लेकर आई थी LIC इंडिया. 21,000 करोड़ रुपये के साइज के साथ वो सबसे बड़ा इश्यू था. LIC का IPO मई 2022 में इंडियन मार्केट में आया था. वॉल्यूम के लिहाज से देखा जाए तो हुंडई मोटर्स फाइनेंशियल ईयर 2024 में मारुति सुजुकी के बाद देश की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है. कंपनी का मार्केट कैप तकरीबन 48 अरब डॉलर (4 लाख 3448 करोड़ रुपये) का है. 

hyundai ipo
Hyundai के IPO की इंडियन मार्केट में काफी चर्चा है (फोटो: AI)

इंडियन मार्केट में लगभग दो दशक बाद कोई ऑटोमेकर कंपनी IPO लेकर आ रही है. इससे पहले साल 2003 में मारुती सुजुकी का IPO आया था.

अब एक और बात जो किसी IPO के समय में इनवेस्टर्स के दिमाग में होती है, कि ग्रे मार्केट प्राइस क्या चल रहा है. ये एक चीज है जो Hyundai India के लिए चिंताजनक होने वाली है. इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी का ग्रे मार्केट यानी अनलिस्टेड मार्केट प्राइस लगभग 100 रुपये के आसपास चल रहा है, यानी इश्यू प्राइस से महज कुछ 5 प्रतिशत के आसपास. हालांकि ग्रे मार्केट महज एक संकेत होता है और इसकी स्थिति लगातार बदलती रहती है.

जिन लोगों को फाइनेंस और मार्केट की समझ है, वो तो सब खेला समझ रहे हैं. मगर मगर मगर… अगर आपको नहीं मालूम कि ये ग्रे मार्केट, इश्यू प्राइस, लॉट वगैरा-वगैरा क्या है और ये IPO क्या बला है, तो आपने बिल्कुल भी घबराना नहीं है. हम बारी-बारी से सबके बारे में बताने जा रहे हैं.

IPO क्या होता है?

शुरुआत करते हैं IPO से. जैसे सब्जी मंडी होती है, उसी तरह शेयर्स की भी मंडी होती है: स्टॉक एक्सचेंज. भारत में दो बड़ी मंडियां हैं. माने दो बड़े स्टॉक एक्सचेंज. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बंबई स्टॉक एक्सचेंज (BSE). कोई व्यक्ति दोनों जगह शेयर खरीद-बेच सकता है. BSE और NSE के अलावा कलकत्ता, अहमदाबाद, इंडिया इंटरनेशनल एक्सचेंज, मेट्रोपॉलिटन स्टॉक एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया जैसी अन्य मंडियां भी हैं.

अब फ़र्ज़ कीजिए कि एक कंपनी है, कुछ समय से चल रही है. उन्हें लगा कि अब लेवल-अप किया जाए. उसके लिए चइए पइसा. तो पैसे जुटाने के लिए वो अपना कुछ शेयर बेचेंगे. माने स्वामित्व के छोटे-छोटे टुकड़े. कंपनी का शेयर खरीदते ही आपकी कंपनी में हिस्सेदारी हो जाती है. कंपनी अच्छा करेगी, तो आपका मुनाफ़ा. इसका उल्टा भी होता है. 

तो इन्हीं मंडियों में कंपनियां अपने शेयर बेचती हैं, आप-हम खरीदते हैं. मगर आपको कैसे पता चलता है कि अमुक कंपनी को धंधे के लिए पैसा चाहिए? इसी प्रक्रिया को कहते हैं - IPO. इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग. जब कोई कंपनी पहली बार शेयरों के जरिए पैसे जुटाने के लिए प्रस्ताव लाती है, तो कहते हैं वो IPO लाई है. ऑफर सीधा - शेयर ले लो, पैसे दे दो.

अब लगे हाथ कुछ और टर्म्स का मतलब भी समझ लीजिए:

- कंपनी IPO के एलान के साथ शेयर्स का शुरुआती दाम बताती है. इसे ‘इशू प्राइस’ कहते हैं.
- इसमें कम से कम कितने शेयरों को खरीदना जरूरी होगा, उसकी संख्या कहलाती है ‘लॉट’.
- शेयर जिस दाम पर एक्सचेंज पर रजिस्टर होते हैं, उसे ‘लिस्टिंग प्राइस’ कहते हैं.
- अगर लिस्टिंग प्राइस इशू प्राइस से कम हो, तो निवेशकों को घाटा लगता है और अधिक हो तो फायदा.

hyundai india
Hyundai India  ला रही है देश का सबसे बड़ा IPO (फोटो: IPO)
Grey Market क्या है?

ग्रे मार्केट और कुछ नहीं, IPO शेयर्स खरीदने का सेकंड हैंड बाजार है. इसका सिस्टम अनाधिकृत और अनियंत्रित होता है. यहां काम करने वाले ब्रोकर, ट्रेडर या सेलर कहीं रजिस्टर्ड नहीं होते. कोई नियम-कानून नहीं. केवल आपसी भरोसे के आधार पर काम होता है. यहां होता क्या है? सीधे शेयर एक्सचेंज से खरीदने के बजाय अपने जैसे ही किसी निवेशक से IPO के शेयर खरीदना.

ऐसे समझिए, जब भी कोई कंपनी पहली बार शेयर बाजार में रजिस्टर होती है, तो IPO लाती है. उसे खरीदने के लिए SEBI रजिस्टर्ड ब्रोकरेज फर्म्स के पास एप्लीकेशन जमा करनी होती है. मगर जैसे ही ये खबर फैलती है कि अमुक कंपनी IPO ला रही है, तो निवेशक हो जाते हैं उत्साहित. अनुमान लगाने लगते हैं कि इस कंपनी के शेयर्स की जबरदस्त डिमांड होगी, तो वो इन शेयर्स को ब्रोकरेज फर्म के अलावा किसी खरीदार से भी खरीद सकते हैं.

भले ही मार्केट ग्रे हो, लेकिन ये एक तरह का संकेत भी होता है. किसी के IPO शेयर को ग्रे मार्केट में कितना भाव मिल रहा है, कितने खरीदार दिख रहे हैं, उसी के आधार पर कंपनियां अंदाजा लगाती हैं कि IPO की लिस्टिंग कैसी होगी. स्टॉक मार्केट, कमॉडिटी मार्केट जैसे फाइनेंशियल मार्केट की तरह ही ग्रे मार्केट में भी शेयरों के दाम डिमांड और सप्लाई के हिसाब से घटता-बढ़ता है. अगर खरीदार ज्यादा हैं, तो दाम बढ़ जाएंगे, और कम खरीदार हैं तो घट जाते हैं.

वीडियो: खर्चा पानी: ओला इलेक्ट्रिक का IPO आया, भाविश अग्रवाल की नेटवर्थ कितनी बढ़ी?

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement