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ब्रिटेन में समय से पहले चुनाव, क्या भारत के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की बात बिगड़ जाएगी?

ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने समय से पहले देश में आम चुनाव कराए जाने की अचानक से घोषणा कर दी है. उनके इस फैसले के बाद भारत और ब्रिटेन के बीच FTA टलने की आशंका है.

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साल 2023 में भारत ब्रिटेन का 12वां सबसे बड़ा बिजनेस पार्टनर था. (सोर्स- बिजनेस टुडे)
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प्रदीप यादव
24 मई 2024 (Updated: 25 मई 2024, 09:42 IST)
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बे-पिए ही शराब से नफ़रत! ये जहालत नहीं, तो फिर क्या है? साहिर लुधियानवी का ये शेर हो या फिर अब्दुल हमीद अदम का मशहूर शेर - साक़ी शराब ला कि तबीअत उदास है या फिर जगजीत सिंह की गाई ग़ज़ल या ख़्ययाम की रुबाइयां, सबका सार यही है - शराब पी नहीं, तो ज़िंदगी जी नहीं. शायद इसीलिए दुनिया में सबसे ज़्यादा शराब भारत में पी जाती है. वैसे भारत में कई तरह की शराब पी जाती लेकिन यहां स्कॉटलैंड की स्कॉच व्हिस्की की भी जबरदस्त डिमांड रहती है. लेकिन इसकी बोतल के ऊपर प्राइस टैग को देख कर हर आदमी इसे अफोर्ड नहीं कर पाता है. लेकिन अगर भारत और ब्रिटेन के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) हो जाता तो शायद भारत में स्कॉच काफी सस्ती मिलने लगती. जाहिर है इससे भारत में स्कॉच के शौकीन लोगों के साथ ब्रिटेन को भी फायदा होता.

सिर्फ स्कॉच की बात नहीं है, भारत लंबे समय से ब्रिटेन के साथ बिजनेस बढ़ाना चाहता है. फिर चाहे ब्रिटेन को कपड़ा बेचने की बात हो, या खाने-पीने की चीजें, दवाइयां, तंबाकू, लेदर का सामान और चावल और दूसरे कृषि उत्पाद. भारत चाहता है कि इन चीजों का ज्य़ादा एक्सपोर्ट ब्रिटेन को कर सके. इसके अलावा भारत की चाहत है कि ज्यादा भारतीय छात्र ब्रिटेन में पढ़ने जा सके और भारतीय प्रोफेशनल्स को नौकरी के अवसर अधिक मिल सके. ये सब मुद्दे तब आसान हो जाते जब भारत और ब्रिटेन के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट हो जाता. अक्टूबर 2022 में जब भारतीय मूल के ऋषि सुनक ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री का पद संभाला था, तो उस समय ये कहा जा रहा था कि ब्रिटेन के साथ इसको लेकर कुछ बात जरूर बनेगी. कई दौर की बातचीत के बाद अब भारत और ब्रिटेन के बीच FTA लटकता नजर आ रहा है.

प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के एक फैसले ने भारत को बुरा फंसा दिया है. सुनक ने समय से पहले देश में आम चुनाव कराए जाने की अचानक से घोषणा कर दी है. उनके इस फैसले के बाद भारत और ब्रिटेन के बीच FTA टलने की आशंका है. ब्रिटेन में आम चुनाव जनवरी 2025 में होने थे, लेकिन सुनक सरकार ने 4 जुलाई को इलेक्शन कराने का एलान कर दिया है. इस तरह से देखें तो जिस दिन भारत में लोकसभा चुनाव के रिजल्ट (4 जून) आएंगे, उसके ठीक एक महीने बाद ब्रिटेन में इलेक्शन होगा.

फ्री ट्रेड एग्रीमेंट क्या होता है? 

फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को संक्षेप में FTA कहते हैं और हिन्दी में इसे मुक्त व्यापार समझौता कहा जाता है. FTA दो देशों के बीच ऐसा समझौता होता है, जिसका पहला मकसद दोनों देशों के बीच व्यापार को आसान बनाना होता है. मुख्य उद्देश्य आयात और निर्यात में आने वाली बाधाओं को दूर करना होता है. जब दो देश फ्री ट्रेड एग्रीमेंट करते हैं तो कस्टम ड्यूटी या तो कम कर देते हैं या पूरी तरह हटा देते हैं. साथ ही आयात-निर्यात के नियम कायदों में भी सख्ती नहीं बरती जाती है. एक दूसरे के देश में जो छात्र पढ़ाई के लिए आना या जाना चाहते हैं, उन्हें भी आसानी से वीजा मिल जाता है. नौकरी पेशा लोगों को भी वीजा और जॉब्स वगैरह मिलने में आसानी होती है.

25 अक्टूबर 2022 को ऋषि सुनक के पीएम बनने से भारत के साथ ब्रिटेन के कारोबारी रिश्ते आसान होने की उम्मीद शुरू हुई. लेकिन अब तक भारत और यूके के बीच डील फाइनल नहीं हो सकी है. सुनक भारत और ब्रिटेन के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के समर्थक रहे हैं. अपने चुनाव अभियान के दौरान भी सुनक ने कहा था,

 "मैं यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि हमारे स्टूडेंट्स के लिए भारत में पढ़ाई करना आसान हो. हमारी कंपनियों और भारत की कंपनियों के लिए एक साथ काम करना आसान हो. यह दोतरफ़ा संबंध है और इस तरह का बदलाव मैं भारत और ब्रिटेन के रिश्ते में लाना चाहता हूं." 

उनके इस बयान से लगा था कि भारत और ब्रिटेन के बीच जल्द ही मुफ्त व्यापार समझौता हो जाएगा. लेकिन उनकी ताजपोशी को डेढ़ साल से भी ज्यादा का समय बीत चुका है और अब तक दोनों देशों के बीच फ्री ट्रेड डील परवान नहीं चढ़ सकी है.

भारत और ब्रिटेन के बीच FTA की पूरी कहानी

मई 2021 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने संभावित व्यापक मुक्त व्यापार समझौते के पहले चरण के रूप में "बढ़ी हुई व्यापार साझेदारी" की घोषणा की थी. इसके बाद 13 जनवरी 2022 को दोनों देशों के बीच एफटीए को लेकर औपचारिक बातचीत शुरुआत हुई. उस वक्त लिज ट्रस ब्रिटेन की विदेश मंत्री थीं. भारत और ब्रिटेन ने जुलाई 2023 में एफटीए के लिए पांचवें दौर की बातचीत की थी और दिवाली तक इस समझौते को पूरा करने की डेडलाइन रखी गई थी. लेकिन ब्रिटेन की गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने इस डील में अड़ंगा डाल दिया था. ब्रेवरमैन ने कहा था कि फ्री ट्रेड एग्रीमेंट साइन होते ही ब्रिटेन में भारतीयों की भीड़ बढ़ जाएगी. इतना ही नहीं, उन्होंने यहां तक कह डाला था कि कई भारतीय वीजा खत्म होने के बाद भी ब्रिटेन में डटे रहेंगे. साथ ही ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के इस्तीफे की वजह से भी बात आगे नहीं बढ़ पाई.

हालांकि, ऋषि सुनक के कार्यकाल के दौरान दोनों देश आगे बढ़े लेकिन कुछ मसलों का अभी तक पूरी तरह समाधान नहीं हो पाया है. भारत और ब्रिटेन एफटीए पर 13 दौर की बातचीत कर चुके हैं और इसका 14वां दौर जनवरी में शुरू हुआ था. हाल में भारत और ब्रिटेन ने एक सालाना ‘भारत-ब्रिटेन रणनीतिक वार्ता’ में एफटीए को लेकर प्रतिबद्धता जाहिर की थी. इस समझौते में 26 चैप्टर हैं. इसमें गुड्स, सर्विसेज, इन्वेस्टमेंट और इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट शामिल हैं. भारतीय उद्योग, आईटी और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों के अपने कुशल पेशेवरों के लिए ब्रिटेन में जॉब्स के मौकों की मांग कर रहा है. इसके अलावा भारत अपनी कई चीजों के एक्सपोर्ट पर जीरो टैक्स चुकाना चाहता है. दूसरी ओर ब्रिटेन, स्कॉच व्हिस्की, इलेक्ट्रिक वाहन, भेड़ के मांस, चॉकलेट और कुछ कन्फेक्शनरी वस्तुओं जैसे सामानों पर इम्पोर्ट ड्यूटी में भारी कटौती की मांग कर रहा है. ब्रिटेन भारत को बड़ी मात्रा में स्कॉच व्हिस्की बेचने का इच्छुक है और ब्रिटेन चाहता है कि इस पर भारत मौजूदा 150 परसेंट के आयात शुल्क में भारी कटौती करे.

अब जानते हैं कि दोनों देशों के बीच कितना कारोबार होता है. साल 2023 में भारत ब्रिटेन का 12वां सबसे बड़ा बिजनेस पार्टनर था. 2022-23 में दोनों देशों की बीच कुल व्यापार का आंकड़ा बढ़कर 20.42 अरब डॉलर हो गया. यानी 1 लाख 70 हजार करोड़ रुपये. 2021-22 में द्विपक्षीय व्यापार 1 लाख 45 हजार करोड़ रुपये का था. वहीं, 2020-21 में करीब 1 लाख 12 हजार करोड़ रुपये रहा था. एफटीए के  तहत, दोनों देशों के बीच साल 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार 100 अरब डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है.

हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों ने भरोसा जताया है कि दोनों देशों के आम चुनाव के रिजल्ट्स कुछ भी हों, कारोबारी संबंधों में खास बदलाव नहीं होगा. हां, ये जरूर है कि जो समझौता सुनक के नेतृत्व वाली ‘कंजर्वेटिव पार्टी’ की सरकार में होने की उम्मीद थी वह चुनाव के चलते कुछ लेट हो सकता है. लेकिन ब्रिटेन में ज्यादातर सर्वेक्षणों में विपक्षी दल ‘लेबर पार्टी’ आगे दिख रही है. हालांकि ‘लेबर पार्टी’ ने भी इस समझौते को अंतिम रूप देने की प्रतिबद्धता जताई है, लेकिन ट्रेड डील की समय सीमा को लेकर अभी कुछ कहा नहीं जा सकता.

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मीडिया रिपोर्ट्स में लंदन स्थित थिंक टैंक ‘इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज’ में दक्षिण एवं मध्य एशियाई रक्षा रणनीतिक कूटनीति के वरिष्ठ फेलो राहुल रॉय चौधरी ने कहा कि ऋषि सुनक द्वारा 4 जुलाई को चुनाव की चौंकाने वाली तारीख की घोषणा ने कंजर्वेटिव सरकार द्वारा भारत के साथ लंबे समय से इंतजार वाले एफटीए के अंतिम रूप दिए जाने वाली संभावना को फिलहाल के लिए टाल दिया है.

आपको बता दें कि करीब दो महीने पहले ही भारत ने यूरोप के चार देशों के साथ एक फ्री ट्रेड एग्रीमेंट किया है. 10 मार्च को यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन यानी EFTA के साथ यह कारोबारी समझौता हुआ था. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे एक ऐतिहासिक पल बताया था. पीएम ने कहा था कि इस समझौते से भारत के युवाओं के लिए नौकरियां पैदा होंगी.

इसकी जानकारी देते हुए भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने सोशल माीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बताया था कि इस समझौते से आने वाले समय में भारत में इन चार देशों से 100 अरब डॉलर का निवेश आएगा. भारतीय रुपये में बात करें तो आज की तारीख में यह रकम करीब 8 लाख 30 हजार करोड़ रुपये बैठेगी. उन्होंने कहा था कि ये डील 16 साल की लंबी कवायद के पूरी हो पाई है. यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन के जिन चार देशों के साथ भारत ने डील फाइनल की है, उन देशों में स्विट्ज़रलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और लिनसेस्टाइन शामिल हैं. ये चारों ही देश यूरोपीय संघ का हिस्सा नहीं है. इस ट्रेड समझौते लिए साल 2008 में बातचीत शुरू की गई थी.

(इस खबर को लिखने में हमारे साथ इंटर्नशिप कर रहे रोहित ने सहयोग किया है.) 

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