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Zepto बनाम Mohammad Arshad 'Zepto': दिल्ली हाई कोर्ट में आया ट्रेडमार्क का अनोखा केस

मामला क्विक कॉमर्स कंपनी Zepto और Mohammad Arshad Zepto के बीच ट्रेडमार्क विवाद (Zepto vs Mohammad Arshad Zepto) से जुड़ा था. यह केस Delhi High Court तक जा पहुंचा. तकरीबन एक साल तक चले इस मुकदमे में जज अमित बंसल ने अपना फैसला सुनाया.

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Zepto Vs Mohammad Arshad Zepto

Zepto के साथ कुछ-कुछ JioHotstar जैसा कांड हो गया है. वैसा वाला नहीं मतलब Zepto को किसी ने खरीदा नहीं है. नाम में क्या ही रखा है टाइप वाला मामला. एकदम वैसे ही जब JioHotstar का आधिकारिक मर्जर हुआ था वो पता चला इसका डोमेन तो किसी और के पास है. खबर इंडिया में फैलती, उसके पहले खबर मिलती है कि अब डोमेन दुबई के दो बच्चों के पास है. खैर वो मामला सेटल हो गया. मगर ऐसा ही कुछ Kiranakart के साथ हुआ. Kiranakart मतलब Zepto की पेरेंट कंपनी जो ट्रेडमार्क (Zepto vs Mohammad Arshad Zepto) में उलझ गई.

दरअसल मामला Zepto और Mohammad Arshad Zepto के बीच ट्रेडमार्क को लेकर था. मामला पहुंचा दिल्ली हाई कोर्ट. तकरीबन एक साल चले इस मामले में जज अमित बंसल ने किसके पक्ष में फैसला सुनाया. जानते हैं क्या?

Zepto vs Mohammad Arshad Zepto

Quick Commerce कंपनी Zepto नाम का इस्तेमाल साल 2021 से ही कर रही है. Stanford University से drop-out Aadit Palicha and Kaivalya Vohra ने 10 मिनट में डिलेवरी करने के लिए किराना कार्ट नाम से कंपनी बनाई और साथ ही Zepto नाम से ऐप. क्विक कॉमर्स कंपनी उतनी ही तेजी से आगे बढ़ी और साल 2023 में इसको यूनिकॉर्न का दर्जा भी मिल गया.

माने कंपनी का वैल्यूऐशन 1 बिलियन डॉलर (8 हजार करोड़ रुपये) से ऊपर का हो गया. सब ठीक मगर तभी कंपनी पर ट्रेडमार्क को लेकर केस हो गया. केस किया Mohammad Arshad नाम के शख्स ने. दिल्ली हाई कोर्ट में दायर इस केस में बताया गया कि Zepto नाम तो साल July 14, 2014 ही मोहम्मद अरशद के पास रजिस्टर है.

Zepto
Zepto

अरशद ने Class 9 और  35 के तहत ट्रेडमार्क रजिस्टर करवाया था. इस क्लास में स्मार्टफोन डिस्ट्रब्यूशन, फोन एसेसरीज, कम्पुटर सॉफ्टवेयर जैसी सर्विसेस आती हैं. अरशद के मुताबिक वो 1 अप्रैल 2011 से ही इस नाम का इस्तेमाल कर रहे थे. अरशद Zepto से सेटलमेंट चाह रहे थे जिसे कंपनी ने जुलाई 2024 में नकार दिया था. अरशद ने रजिस्ट्रेशन के आठ साल बाद भी इस ट्रेडमार्क का कोई इस्तेमाल नहीं किया. वो कोर्ट में भी नहीं आए. 

पेरेंट कंपनी किराना कार्ट ने दलील दी कि ये सब कंपनी को परेशान करने के लिए किया जा रहा है. नतीजतन फैसला किराना कार्ट वाली Zepto के पक्ष में गया.

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कोर्ट ने ट्रेड मार्क ऐक्ट Section 47(1)(b) का हवाला दिया. इसके मुताबिक ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन के 5 साल के बाद और कोर्ट केस के 3 महीने के अंदर उसका कॉमशियल इस्तेमाल नहीं किया तो उस ट्रेडमार्क को हटाया जा सकता है.

मतलब Zepto के लिए यहां भी मामला Quick ही सेटल हो गया.  

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