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ब्लैक में बिकते थे Xiaomi के स्मार्टफोन, अब लिवाल को तरस रही कंपनी, कैसे हो गई ऐसी गत?

एक समय में जिस कंपनी के स्मार्टफोन मार्केट में ब्लैक में बिके, आज उसकी हालत खस्ता है. टॉप पर रही कंपनी का मीटर डाउन ही नहीं बंद होने की कगार पर है. हम बात कर रहे हैं चाइनीज स्मार्टफोन मेकर Xiaomi की जिसके सेल्स के आंकड़े लगातार भरभरा रहे.

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Xiaomi की हालत खराब है

साल 2017 तक पब्लिक हौले-हौले ऑनलाइन मार्केट से स्मार्टफोन खरीदने में दिलचस्पी दिखाने लगी थी. इसी दौरान आया सितंबर का महीना और Flipkart की फेमस बिग बिलियन सेल. प्लेटफॉर्म  ने सिर्फ 48 घंटे में 13 लाख डिवाइस बेच डाले. इसके मेगा सेल के बाद एक कंपनी का रौला ऐसा जमा कि आने वाले कई सालों तक वो भारतीय बाजार में नंबर वन पर काबिज रही. इस कंपनी के फोन बेचकर दुकानदार मालामाल हुए तो यूजर अति प्रसन्न.

मगर वो साल दूसरा था और ये साल दूसरा है. टॉप पर रही कंपनी का मीटर डाउन ही नहीं बंद होने की कगार पर है. हम बात कर रहे हैं चाइनीज स्मार्टफोन मेकर Xiaomi की. जिसके सेल्स के आंकड़े लगातार भरभरा रहे. टेक एक्सपर्ट तो कंपनी की इंडिया में OBITUARY लिखने तक की बात कर रहे हैं. जानेंगे शाओमी के साथ क्या गलत हो गया.

सेल्स गिरी नहीं बल्कि लुढ़क गई है

साल 2025 की पहली तिमाही में कंपनी भारतीय बाजार में 38 फीसदी के बड़े नुकसान पर बैठी है. मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी के प्रोडक्ट की डिमांड इतनी गिर गई है कि उसका मार्केट शेयर 18 से 12 फीसदी पर आ गया है. ये नंबर भी असल कहानी नहीं बताते क्योंकि अभी दुकानों से और ऑनलाइन पोर्टल से असल में बिके डिवाइस के नंबर्स का आना बाकी है.

प्रीमियम सेगमेंट में तो वैसे भी उसका हाथ हमेशा से दबा हुआ है, लेकिन अब तो उसके मिडरेंज प्रोडक्ट मतलब Redmi और बजट रेंज Poco का भी कोई लिवाल नहीं है. गौर करने वाली बात ये है कि ये सब पिछले कुछ महीनों में हुआ है. जून 2024 तक कंपनी के पास भारतीय बाजार का 20.5 फीसदी हिस्सा था. नंबर वन कंपनी का तमगा था. मगर अब हालत वाकई खराब है.

कनबहरी ने कांड कर दिया

कहते हैं ना कि नंबर वन होना आसान है मगर वहां बने रहना बहुत मुश्किल. शाओमी के साथ भी यही हुआ है. 2014 में इंडियन मार्केट में कदम रखने वाली चीनी कंपनी को साल 2017 में आए Redmi Note 4 ने बाजार का सिरमौर बना दिया. दुकानदारों ने ऑनलाइन मार्केट से इसे खरीदा और डिमांड बढ़ने पर ब्लैक में बेचा.

Redmi Note 4
Redmi Note 4

मेटल बॉडी, कर्व स्क्रीन, एचडी डिस्प्ले, बढ़िया कैमरा और कीमत एकदम पॉकेट फ़्रेंडली. इसी फोन से बाजार को पता चला कि भईया यूजर को असल में क्या मांगता. फिर आया पोको. इसकी पहली और दूसरी सीरीज ने क्या कमाल किया! मगर फिर वही बात हो गई. ऊंचाई पर बैठकर कई बार नीचे का धुंधला नजर आता है. बादलों को देखकर जमीन का पता नहीं चलता. यही हुआ है इस कंपनी के साथ.

कंपनी को लगा कि बजट और मिडरेंज में सीट पर बैठे हैं तो प्रीमियम भी धाप लेते हैं. कंपनी ने इस कैटेगिरी को पकड़ने के लिए कई प्रयास किए. Redmi K20 सीरीज इस गलती का सबसे बड़ा उदाहरण हैं. इसके बाद कंपनी ने नाम के साथ भी खेला किया. प्रीमियम के लिए Mi नाम रखा मगर फोन ही टाइम पर नहीं दे पाए.

Mi 11 Ultra जैसे फोन बहुत देरी से इंडिया में आए और उसके बाद की कई सीरीज के कुछ सीमित डिवाइस ही बाजार को मिले. सिलसिला अभी भी नहीं रुका है. Xiaomi MIX Flip जैसा शानदार फोन जो Silicon-Carbon बैटरी के साथ आता है, इंडिया आया ही नहीं. बस खबरें आई कि अब आया या तब आया.

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नाम के साथ फिर गड़बड़ हुई जब कंपनी ने कहा कि प्रीमियम फोन Xiaomi के नाम से ही आएंगे. Leica जैसी नामी गिरामी कंपनी के साथ कैमरा फोकस फोन निकाले तो सही मगर कीमत से खेल कर दिया. यूजर शाओमी के नाम पर 1 लाख रुपये देने को तैयार नहीं था. मगर कंपनी लगातार प्रीमियम फोन निकालती रही. इसका असर उसके रेडमी ब्रांड पर पड़ा.

पिछले साल आई Redmi Note 14 सीरीज के धागे तो उसके अपने फैन क्लब ने भी खोल दिए. साल का ‘सबसे बेकार फोन’ का ताज पहना दिया. कंपनी इस मुगालते में रही अपना यूजर बेस तगड़ा है. मगर भूल गई कि कस्टमर किसी का नहीं होता.

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कंपनी के टॉप मैनेजमेंट में बदलाव भी कंपनी की इस हालत का एक बड़ा कारण माना जाता है. जब Hugo Barra ने कंपनी छोड़ी तो लगा दिक्कत होगी. मगर फिर Manu Kumar Jain ने सब संभाल लिया. कंपनी को टॉप पर लेकर गए. मगर जैसे ही वो गए तो फिर मुश्किल हो गई. रीढ़ की हड्डी मतलब प्रोडक्ट लाइन से Raghu Reddy, Sumit Sonal, Sudeep Sahu का जाना भी बड़ा डेन्ट था.

रही-सही कसर तब पूरी हो गई जब अभी के इंडिया हेड Muralikrishnan B ने ‘दूसरा’ डाल दिया. मतलब वो भी चले गए. जिस मिडरेंज में कंपनी का मिडिल स्टम्प कोई नहीं उखाड़ पाया, वहीं पर उसको Vivo और iQOO ने 'LBW' कर दिया.

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