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स्मार्टफोन की दुनिया का पहला 'सुनील गावस्कर' कौन बनने वाला है?

Smartphone कंपनियों की नई चाहत का नाम है 10000 mAh बैटरी. रेस है स्मार्टफोन का 'सुनील गावस्कर' बनने की. जाहिर सी बात है कि जो ऐसा सबसे पहले कर लिया वो इतिहास में अपना नाम दर्ज करवाएगा. मगर कौन? अभी रेस कहां पहुंची है?

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मार्च 1987 को अहमदाबाद में पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट मैच के दौरान जब Sunil Gavaskar ने बॉल को कट करके दो रन लिए तो वो कोई आम दो रन नहीं थे. ये वो मुकाम था जो उनके पहले किसी ने हासिल ही नहीं किया था. ग्रेट गावस्कर टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में 10 हजार रन बनाने वाले पहले खिलाड़ी बन गए थे. तब से अब तक 14 प्लेयर ये मुकाम हासिल कर चुके हैं, मगर सनी सर का जलवा कायम है. कुछ ऐसे ही एक मुकाम हासिल करने की दौड़ में स्मार्टफोन कंपनियां भी लगी हुई हैं. हां मानते हैं कि स्मार्टफोन के लिए सनी सर की मिसाल देना थोड़ा अजीब है, लेकिन मामला ‘दस हजारी’ ही है तो क्या करें!

स्मार्टफोन कंपनियों की इस चाहत का नाम है 10000 mAh बैटरी. रेस है स्मार्टफोन का ‘सुनील गावस्कर’ बनने की. जाहिर सी बात है कि जिसने ऐसा सबसे पहले कर लिया वो इतिहास में अपना नाम दर्ज करवाएगा. मगर कौन? अभी रेस कहां पहुंची है?

25 फीसदी रेस ही बाकी है
हाल के दिनों में दो स्मार्टफोन भारत में लॉन्च हुए जिनमें एक स्पेशल बात है. iQOO Z10 और Vivo T4 5G में पूरे 7300 mAh की बैटरी लगी हुई है. आज यानी 29 अप्रेल को चीन में लॉन्च हुए iQOO Z10 Turbo में तो  7,620mAh की बैटरी लगी है. स्मार्टफोन के इतिहास को ध्यान में रखें तो ये वाकई में बहुत बड़ी बात है. एक जमाने में दुनिया भर में करोड़ों की संख्या में बिके Nokia 6600 में भी सिर्फ 1020 mAh बैटरी थी. पहले स्मार्टफोन के आने के तकरीबन 35 साल के बाद बैटरी 7300 mAh पर पहुंची है. इसमें दिलचस्प बात ये है कि ये कारनामा परंपरागत Li-ion बैटरी की वजह से नहीं बल्कि हाल के वर्षों में डेवलप हुई Silicon-Carbon बैटरी की वजह से हुआ है.

iQOO Z10
iQOO Z10

नई तरह की बैटरी जिसमें परंपरागत लिथियम आयन की जगह सिलिकॉन और कार्बन का इस्तेमाल किया गया है. ऐसा नहीं है कि इस तकनीक से बनी बैटरी Li-ion को खत्म ही कर देगी, मगर फिर भी इससे स्मार्टफोन को काफी फायदा होगा. इस बैटरी को लगाने से फोन में ज्यादा जगह मिलेगी या फिर ज्यादा ताकत. 

आसान भाषा में कहें तो परंपरागत बैटरी के मुकाबले 12.8 फीसदी एक्स्ट्रा ताकत मिलेगी. माने कि अगर एक फोन में 4000 mAh की Li-ion बैटरी लगी है और उसकी जगह silicon-carbon कार्बन बैटरी लगा दी तो कुल ताकत 4512 mAh हो जाएगी. 

सिलिकॉन-कार्बन बैटरी की एक और खूबी है, ये तापमान में होने वाली उठा-पटक भी आसानी से झेल जाती है. मतलब थार रेगिस्तान की गर्मी हो या लद्दाख की ठंड, फोन चालू रहेगा.  

मतलब फोन के बैक पैनल की जगह का जैसा मन करे, वैसा इस्तेमाल कर लो. पहले-पहल लगा कि स्मार्टफोन कंपनियां फोन को बेहद पतला करने पर फोकस करेंगी, मगर ऐसा हुआ नहीं. पिछले साल की दूसरी तिमाही में लॉन्च हुए अधिकतर फ्लैग्शिप डिवाइस में 5500-6000mAh बैटरी लगी हुई थी. ना-ना, वो फ्लैग्शिप नहीं जो आप सोच रहे. वहां तो मामला अभी भी 5000 भी नहीं पहुंचा है.

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स्मार्टफोन डिजाइन और फीचर्स में हमेशा से अगुआ रहे चाइनीज ब्रांड ने इस मौके का भरपल्ले फायदा उठाया और बैटरी को बड़ा करते चले गए. मगर सवाल था, आखिर कहां तक. अब कई स्मार्टफोन 7500 के पास हैं तो फिर 10 हजार दूर नहीं लगता. अगर ऐसा हुआ तो सही मायने में फोन दो दिन चलेगा. क्योंकि दावे भले कितने हों, 5000mAh में एक दिन ही मुश्किल से निकलता है. 7500 में शायद डेढ़ दिन मिल जाएगा.

रिपोर्ट्स के मुताबिक Realme GT 8 Pro में बैटरी का नंबर 8000mAh तक जा सकता है. Oppo भी कुछ ऐसा ही करने की तैयारी कर रहा है. मतलब साल 2025 खत्म होते-होते हमें स्मार्टफोन के ‘सनी’ सर मिल सकते हैं. अगर ये खबर आप तलक पहुंच जाए तो प्लीज इसे थोड़ा एप्पल और सैमसंग तक भी सरका देना. You Know What I mean.

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