आजकल हर कार कंपनी का एक शगल है. इलेक्ट्रिक कार (Toyota electric car) बनाना. कंपनी देशी हो या विदेशी हो. सबने इलेक्ट्रिक कार बनानी है. इसके आगे बढ़ने के पहले एक अल्पविराम लेते हैं क्योंकि हमें पता है आपका सवाल आने वाला है. आप कहोगे भईया, सब में मारुति को मत ही गिनो. वो कहां इलेक्ट्रिक कार बना रही. बना रही है जनाब. नाम है मारुति EVX. इसी साल फरवरी में इसकी पहली झलक दिखाई गई थी. अगले साल सड़कों पर दौड़ती नजर आएगी. पूर्ण विराम. अब अपने मीटर पर वापस आते हैं.
दुनिया की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी Toyota इलेक्ट्रिक कार नहीं बनाना चाहती, वजह दिमाग घुमा देगी!
जब देश-दुनिया की हर कार कंपनी Electric Car में अपने फ्यूचर की स्पीड तलाश रही तो ऐसे में दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी Toyota को शायद (Toyota electric car) इसमें कोई खास स्पार्क नजर नहीं आता. आखिर क्या है वजह?
जब देश-दुनिया की हर कार कंपनी इलेक्ट्रिक कार में अपने फ्यूचर की स्पीड तलाश रही तो ऐसे में दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी Toyota को शायद इसमें कोई खास स्पार्क नजर नहीं आता. अरे रुकिए तो सही, आपके पूछने के पहले हम ही बता देते हैं. कंपनी का इलेक्ट्रिक कार का एक मॉडल आता है. Toyota BZ4X. सिर्फ एक. क्यों भाई. इसी का ब्रेक लगाते आज.
Toyota का हाइब्रिड प्रेमजापानी कार मेकर का परिचय देने की वैसे तो कोई जरूरत नहीं है. दुनिया की सबसे बड़ी कार निर्माता जो साल में 1 करोड़ से ज्यादा कारें बनाती है. बोले तो हर मिनट 18 कारें. भारतीय मार्केट में इसके खूब मुरीद मिलेंगे. एक जमाने में Qualis और आजकल Innova और Fortuner. लग्जरी और कंफर्ट का दूसरा नाम. मगर इस कंपनी का एक परिचय और है.
Toyota हाइब्रिड कारों की भी एक्सपर्ट है. हाइब्रिड मतलब Hybrid Electric Vehicle. इसमें कार के अंदर एक छोटी बैटरी लगी होती है. साथ में पेट्रोल और डीजल का भी प्रबंध होता है. बैटरी कार के चलने से चार्ज होती रहती है. जितनी देर बैटरी में दम होती है तो वो चलती है और फिर खुद से पेट्रोल पर शिफ्ट हो जाती है. बैटरी चार्ज होने के लिए इस्तेमाल होती है ‘regenerative braking तकनीक. जैसे ही आपने ब्रेक पर पैर रखा तो इलेक्ट्रिक मोटर उल्टा चलने लगती है और बैटरी को चार्ज कर देती है.
मतलब थोड़ा बहुत इलेक्ट्रिक और बाकी पारंपरिक ईंधन. Toyota के पास ऐसी कारों की बड़ी रेंज है. भारत में भी Toyota Urban Cruiser Hyryder से लेकर Toyota Camry और Toyota Innova Hycross जैसे मॉडल उपलब्ध हैं. कंपनी इसी को फ्यूचर मानती है और उसका फोकस हाइब्रिड कारों को किफायती बनाना है. मगर ये तो एक कारण हुआ. दूसरा कारण है इलेक्ट्रिक बैटरी बनाने में लगने वाला raw मैटेरियल और उसकी लागत.
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'Remember The Name', 2016 के वर्ल्ड T20 फाइनल में Ian Bishop की Carlos Brathwaite के लिए बोली गई ये लाइन आपको याद होगी. बस ऐसे ही एक और नाम याद कर लीजिए. लीथियम आयन (lithium-ion). यही वो बैटरी है जो इलेक्ट्रिक स्कूटर्स से लेकर स्मार्टफोन, इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर कार और इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तक में इस्तेमाल होती है. 1991 में सोनी के वीडियो रिकॉर्डर में पहली बार इस्तेमाल होने से लेकर आजतक लीथियम आयन बैटरी सबकी फेवरिट बनी हुई है. इसके पूरे साइंस को हमने विस्तार से समझाया है. आप लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं. आज इसके वित्तीय पक्ष को समझते हैं.
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लीथियम आयन बैटरी के सेल बहुत महंगे होते हैं. दुनिया में केवल 4 या 5 कंपनियां इन्हें बनाती हैं. भारत में तो ये बनते ही नहीं हैं. मेड इन इंडिया इलेक्ट्रिक कारों और स्कूटर्स के लिए इन्हें इम्पोर्ट करना होता है. इसकी कीमत और भी ज्यादा है. एक दर्द और है. Li-ion बैटरी के लिए पूरी दुनिया चीन पर निर्भर है. चीन पर इसी निर्भरता के चक्कर में जापान मात खा गया वरना उसने तो काफी पहले ही इलेक्ट्रिक गाड़ियां बना ली थीं. वैसे भी ये कोई रहस्य नहीं रहा कि इलेक्ट्रिक व्हीकल में सबसे महंगा पार्ट बैटरी ही होती है. कुल कीमत का 60-70 फीसदी. माने अगर कार 10 लाख की तो बैटरी 6 लाख के अल्ले-पल्ले.
खुद टोयोटा ने इसका गुणा-गणित किया और उनके मुताबिक,
इलेक्ट्रिक कार की एक बैटरी बनाने में जितना मैटेरियल और पैसा लगता है उतने में 90 हाइब्रिड कारें बन जाती हैं.
Forbes की रपट के मुताबिक, कंपनी के पूर्व CEO Akio Toyoda ने साल 2021 में ही साफ कर दिया था कि इलेक्ट्रिक कारें उनकी कंपनी के फ्यूचर प्लान का असल हिस्सा नहीं हैं. उन्होंने बैटरी की लागत के साथ इसके बनते समय होने वाले कार्बन उत्सर्जन को लेकर भी चिंता जताई थी. कंपनी अपनी बात पर आज भी कायम है और सिर्फ एक फुल इलेक्ट्रिक मॉडल इस साल लॉन्च किया है. आगे क्या कंपनी अपने निर्णय पर ब्रेक लगाए रहेगी या फिर…
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