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ये कुकीज... कुकीज... क्या है? ये कुकीज... कुकीज...

Google इसके लिए अपने प्लेटफॉर्म पर बाकायदा 'Reject All' बटन लेकर आया है.

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इंटरनेट कुकीज का स्वाद थोड़ा कड़वा और मीठा दोनों हैं. (image-pexels)

बिस्किट का स्वाद कैसा होता है....थोड़ा अंग्रेजीदा होकर पूछे तो कुकीज (cookies) का स्वाद.....सवाल खत्म होने से पहले जवाब आ जाएगा. वैसे भी ये वो सवाल है जिसका जवाब सभी को मालूम है. लेकिन अगर हम आपसे पूछे कि आपको इंटरनेट के कुकीज का स्वाद पता है. इस सवाल का जवाब देना थोड़ा मुश्किल होगा. जवाब पता भी हो लेकिन ये शायद बहुत कम लोग जानते होंगे कि ये कुकीज पकते कहां हैं और इनको खाना कैसे है. खाने पीने की बात बहुत हो गई, वो अपन रील्स वालों के लिए छोड़ देते हैं. टेक में यदि खाना मिलाया तो रूह आफजा मैगी और रसगुल्ला पकोड़ा बनना तय है. इसलिए हम बात करते हैं इंटरनेट कुकीज की.

आप पूछोगे कि ऐसा क्या हो गया जो कुकीज की रेसिपी बता रहे हो. तो जनाब हुआ यूं है कि Google इसके लिए अपने प्लेटफॉर्म पर बाकायदा एक बटन लेकर आया है. YouTube पर नजर आ रहे इस बटन में कुकीज के बारे में बताते हुए लिखा है 'Reject All'. वैसे इसके साथ ही Accept All और More options भी हैं. अब गूगल ने किया है तो कुछ तो वजह होगी. बैठे बिठाए एक और बटन डालने की क्या जरूरत आन पड़ी. दरअसल गूगल पर फ्रांस सरकार ने 150 मिलियन यूरो का भारी भरकम जुर्माना ठोका है कुकीज की बरगलाने वाली भाषा के लिए.

Reject All
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अब आप कहोगे अभी तक आपने कोई ऐसा बटन देखा नहीं. परेशान मत होइए. शुरुआत यूरोप से हुई है देर सबेर अपने यहां भी आ जाएगी. एक दिन महामारी की तरह. हां जब दिखेगा तब Reject या Accept करना है वो कैसे पता चलेगा. आप कहोगे कि इसकी ज़रूरत ही क्या है? बात आपकी सही है, क्योंकि अभी तक तो आप एक्सेप्ट ही कर रहे थे और जाने-अनजाने में इंटरनेट या यूं कहें कि उस वेबसाइट को अपना बिग बॉस बना देते थे. Google अपने मन से ये बटन नहीं लाया है बल्कि उनको लाना पड़ा है. क्लास लगाई गई है उनकी. और जब बात गूगल की हो तो आपका सब जानना बनता है. अब हम आपको बताएंगे कि ये कुकीज क्या बला है. ये क्या खिचड़ी पकाती है आपकी इंटरनेट ब्राउज़िंग पर और इससे बचने का कोई तरीका है भी या नहीं.

कुकीज है क्या?

जब भी आप कोई वेबसाइट विज़िट करते हैं तो आपने देखा होगा एक लाइन लिखी आती है. 'This website uses cookies in order to offer you the most relevant information. या फिर 'we use cookies to personalize your experience. मतलब ये कि हम आपके अनुभव को बेहतर बनाने के लिए कुकीज का इस्तेमाल करते हैं. साथ ही इसके नीचे लिखा होता है 'Yes i accept cookies या फिर 'Got it'. अब तक आपको याद आ गया होगा और साथ में ये भी कि कितनी ही बार आपने इसको ओके किया ही होगा. जैसे दिखा पॉपअप. आपने कर दिया ओके. यही होते हैं कुकीज. अगली बार जब ऐसा कोई पॉपअप दिखे तो थोड़ा ठहर कर नजर डलिएगा. ओके, गॉट इट के साथ सेटिंग्स बदलने का भी ऑप्शन होता है लेकिन रिजेक्ट का नहीं. असली खेल यहीं है.

Cookies
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कुकीज की रेसिपी क्या है?

हम सीधे गूगल की भाषा में बताते हैं. गूगल के मुताबिक, कुकीज वो छोटा या बहुत छोटा सा टेक्स्ट है जो ब्राउजर के द्वारा उस वेबसाइट पर भेजा जाता है जिसको आप देख रहे होते हैं या विजिट कर रहे होते हैं. अभी आप कहोगे ऐसा कोई टेक्स्ट तो कभी दिखा नहीं. तो यहां टेक्स्ट से मतलब एसएमएस से नहीं बल्कि सिस्टम की भाषा से है.

कुकीज खाता क्या है?

अब जैसे हमने पहले कहा, ये वो कुकीज है जो खाया नहीं जाता उल्टा ये हमसे कुछ खा लेता है. खाने से मतलब कुकीज वेबसाइट को आपसे जुड़ी जानकारी याद रखने में मदद करता है. जानकारी जैसे कि आपने कब-कब साइट विजिट की. आपकी पसंद की भाषा क्या थी? आप क्या खोज रहे थे? बोले तो ब्राउजर पर आपने जो पकाया मतलब विजिट किया वो इन कुकीज के रूप में दर्ज हो जाता है. वैसे ये भी खुद गूगल ने बताया है. अब इससे क्या होता है वो अभी तक आपको पता चल चुका होगा. भई आपकी पसंद और ज़रूरतों के मुताबिक विज्ञापन दिखाने में वेबसाइट को मदद मिलती है. उनको ये भी पता चलता है कि कितनी बार और किसने साइट विजिट की. कोई सर्विस साइन इन करना है तो भी ये कुकीज काम आते हैं, इनके पास आपसे जुड़ी जानकारी होती ही है. हमने आपको रेसिपी बता दी, अब बारी है जानने कि इसमें होता क्या है. मतलब मसालों से लेकर तमाम सामग्री क्या डलती है इसको बनाने में.

कुकीज के इंग्रेडिएंट

फंक्शनालिटी

कुकीज में सबसे महत्वपूर्ण नाम है 'NID' और ये गूगल की ज्यादातर सर्विस के लिए इस्तेमाल होती है. इसका काम है हर यूजर की एक युनीक प्रोफाइल तैयार करना जिसके अंदर आपकी भाषा से लेकर एक बार में कितने पेज ओपन हुए, उसका ब्योरा होता है. यदि यूजर ने छह महीने तक उस वेबसाइट पर विजिट नहीं किया तो ये 'NID' खत्म हो जाता है. VISITOR_INFO1_LIVE नाम का कुकीज YouTube पर यही काम करता है. वैसे ये YouTube पर कोई समस्या होने और उसको ठीक करने में भी इस्तेमाल होता है. यूट्यूब पर ऑटोप्ले से लेकर, शफल, रिपीट मोड और वॉल्यूम तक का ठौर ठिकाना 'PREF' नाम के कुकी से तय होता है. 'PREF' की उम्र आठ महीने की होती है. अब हर कुकी महीनों काम करे ऐसा भी नहीं है. YSC और pm_sess नाम के कुकीज एक छोटे सेशन का डेटा याद रखने का काम करते हैं और काम खत्म...आदमी खत्म...वाली स्टाइल में काम करते हैं. कुछ कुकीज जैसे CGIC गूगल पर सर्च रिजल्ट को बढ़ाने का भी काम करते हैं. ऑटोकंप्लीट फीचर इसी कुकीज का पकाया हुआ है.

सिक्योरिटी

यूजर की असली पहचान पता करने में भी कुछ कुकीज इस्तेमाल होते हैं. 'SID' और 'HSID' के पास आपके गूगल अकाउंट का आईडी इनक्रिप्टेड तरीके से सेव रहता है जो लास्ट साइन इन का वक्त भी याद रखता है. ऐसे कुकीज बहुत से डेटा चोरों को ब्लॉक करने का काम करते है. YSC और pm_sess भी ऐसे ही द्वारपाल का काम करते हैं जब कोई छोटा ब्राउज़िंग सेशन चल रहा होता है.

एनेलिटिक्स

इसको आप रेसिपी का नमक कह सकते हैं. जैसे खाने में नमक नहीं हो तो उसका कोई स्वाद नहीं होता वैसे ‘_ga’ नाम का कुकी नहीं हो तो गूगल का स्वाद बिगड़ा रहेगा.‘_ga’ ही वो कुकी है जो साइट पर विजिटर इंगेजमेंट का डेटा वेबसाइट को देटा है. इस डेटा के आधार पर ही वेबसाइट के मालिक को पता चलता है कि विजिट करने वाला आखिर क्या चाहता है. इन भाई साब की उम्र भी खूब होती है. पूरे दो साल. Youtube पर यही काम VISITOR_INFO1_LIVE’ करता है.

एडवर्टाइजिंग

नमक की बात हो गई, अब बात मुह मीठा करने की. सारा डेटा है और वेबसाइट पर विज्ञापन भी है लेकिन उसको खाने की तरह तो नहीं परोस सकते. कहने का मतलब ढेर सारा नहीं, बल्कि मिठाई की तरह थोड़ा-थोड़ा. आपके हिसाब से विज्ञापन दिखाने, कितनी बार दिखाने, म्यूट करने और विज्ञापन का प्रभाव जानने के लिए 'NID' कुकी इस्तेमाल होती है. वैसे ये कुकी सिर्फ गूगल पर देखी जाने वाली वेबसाइट पर काम करता है. अब आप किसी दूसरे ब्राउजर पर हो तो फिर धनिया और मिर्च की तरह आते हैं ‘IDE’ और ‘ANID' जो यही काम करते हैं. गूगल में पर्सनलाइज़ ऐड का ऑप्शन होता है. अगर आपने इसको इनेबल किया है तो यूरोपियन इकोनॉमिक एरिया (EEA), स्विटज़रलैंड और यूनाइटेड किंगडम में आपका डेटा 13 महीने और बाकी दुनिया में 24 महीने तक सेव रहता है. अगर आप पर्सनलाइज़ ऐड का ऑप्शन नहीं रखते हैं तो ये डेटा 2030 तक सेव रहता है. 2030 मतलब आज की डेट से भी अगले आठ सालों तक. पर्सनलाइज़ ऐड सेटिंग के लिए भी एक कुकी है जिसका नाम है 'DSID'. ये बस इस बात को याद रखता है अपने इसको इनेबल किया या नहीं. इनकी उम्र 2 हफ्ते होती है. ‘_gads’ और ‘_gac_’ गूगल के इतर दूसरी वेबसाइट पर विज्ञापन का लेखा जोखा रखते हैं. इनकी उम्र क्रमशः 13 महीने और 90 दिन होती है.

कुकीज को सड़ने से रोक सकते हैं?  बिल्कुल वैसे ही जैसे खाने को मतलब एक लिमिट तक. अब पूरी तरह से रोक दिए तो गूगल से लेकर बाकी सभी वेबसाइट का दाना-पानी उठ जाएगा. इसलिए वेबसाइट्स इसका ऑप्शन देती तो हैं लेकिन थोड़ा घुमा कर. याद कीजिए ओके के साथ सेटिंग बदलने वाला ऑप्शन. अब आम यूजर जो डर्बी के घोड़े पर सवार है मतलब जिसे फिनिश लाइन तक पहुंचने की जल्दी है वो कहां सेटिंग्स को जांचेगा या परखेगा. वो तो ओके दबाकर आगे निकल जाता है. हां आप सेटिंग्स में जा सकते हैं तो तमाम ऑप्शन हैं आपके लिए. उदाहरण के लिए, Google क्रोम की सेटिंग आपको मौजूदा कुकीज़ को हटाने की अनुमति देती है. ब्लॉक करने से लेकर अलाउ करने और अपनी पसंद के मुताबिक कुकीज सेट करने का भी.

Cookies Settings In Chrome
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रिजेक्ट ऑल क्या है?

अब आपको भले ना हो फिकर और आप दबाते रहे ओके बटन और विज्ञापन का रेला चलता रहे वेबसाइट पर. लेकिन सरकारों को इसका ख्याल है, इसलिए गूगल को कहा गया कि ओके और सेटिंग्स के साथ रिजेक्ट ऑल का बटन भी दीजिए. अब ये बटन सामने होगा तो कौन भला नहीं दबाएगा. अभी ये YouTube पर दिख रहा है, आने वाले समय में सभी जगह नजर आएगा. अब गूगल से लेकर YouTube पर विज्ञापन देने वाले इससे कैसे निपटेंगे वो देखना होगा क्योंकि उनका पेट तो कुकीज खाकर ही भरता है.

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