स्मार्टफोन से लेकर दूसरे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स में समय के साथ बहुत कुछ बदला है मगर एक जगह गरारी अभी भी फंसी हुई है. बैटरी का मामला आज भी कुछ ज़्यादा अच्छा हुआ नहीं. हालांकि बैटरी की कैपेसिटी जरूर बढ़ी है और आजकल कई स्मार्टफोन तो 6000mAh बैटरी के साथ भी आते हैं. इतना होने पर भी बैटरी दिन भर ही साथ निभाती है. बहुत हुआ तो देर शाम तक टिकती है. मतलब यहां अभी भी दुख प्रो मैक्स वाला मामला है. लेकिन इसी बैटरी के साथ एक अच्छी बात भी है. वो है 1 फ़ीसदी वाला दम.
स्मार्टफोन की बैटरी का आखिरी 1% इतनी देर तक साथ कैसे देता है?
आपने नोटिस किया होगा कि भले फ़ोन की बैटरी सर्र-सर्र ख़त्म हो. 100 से 50 और 50 से 10 होने में भले ज़्यादा टाइम नहीं लगे मगर जब बैटरी सिर्फ़ 1 फ़ीसदी बची होती है तब वो खूब दम भरती है. आसानी से आपका साथ नहीं छोड़ती. एक इमरजेंसी कॉल या मैसेज करने का जुगाड़ बना ही देती है.
आपने नोटिस किया होगा कि भले फ़ोन की बैटरी सर्र-सर्र ख़त्म हो. 100 से 50 और 50 से 10 होने में भले ज़्यादा टाइम नहीं लगे मगर जब बैटरी सिर्फ़ 1 फ़ीसदी बची होती है तब वो खूब दम भरती है. आसानी से आपका साथ नहीं छोड़ती. एक इमरजेंसी कॉल या मैसेज करने का जुगाड़ बना ही देती है. क्यों भाई ऐसा क्या है इस एक फ़ीसदी में. जानने की कोशिश करते हैं.
एक फ़ीसदी का दमअब तक आपने ये चैक कर लिया होगा या फिर याद कर लिया होगा कि हां यार ऐसा होता तो है. अब होता क्यों है उसके लिए नक़ली वाली उल्टी गिनती करते हैं. नक़ली वाली इसलिए क्योंकि असली वाली गिनती तो बैटरी करती नहीं है. मतलब हमारे स्मार्टफोन में जो लिथियम-आयन (Li-ion) बैटरी लगी होती है वो 100-99-98 या 10-9-8 के हिसाब से डाउन नहीं होती. स्क्रीन पर भले आपको 20 फ़ीसदी दिखे मगर एकाएक वो 5 हो जाती है. ऐसा कई वजहों से होता है. जैसे बैटरी कितनी पुरानी है या फ़ोन में कितने ऐप्स एक साथ चल रहे हैं.
फ़ोन ऊंचे तापमान में चल रहा है या फिर बेहद ठंडे मौसम में. बोले तो तमाम वजहें होती हैं बैटरी के नंबर्स गिरने की. एक समय में तो आइफ़ोन इसके लिए खूब जाने जाते थे. फ़ोन की बैटरी इतनी तेजी से नीचु आती थी कि मानो कोई पंप लगाकर उसे चूस रहा हो. खैर जो भी हो, बैटरी कितनी नीचे गिरे मगर जब वो एक फ़ीसदी पर आती है तो उसमें दम आ जाता है. मानो कह रही हो कि अपनी आखिरी सांस तक साथ रहूंगी.
ऐसा होता है सॉफ्टवेयर की वजह से. फ़ोन का सॉफ्टवेयर जानता है कि तुस्सी भले फ़ोन बंद होने पर उसे छोड़ दो मगर उसको अपना काम करना होता है. काम से मतलब फ़ोन भले डैड है फिर भी उसकी सांस चल रही होती है. उसकी घड़ी से लेकर ट्रैकिंग सिस्टम काम कर रहे होते हैं. कहने का मतलब भले बैटरी एक फीसदी दिख रही मगर सॉफ्टवेयर उसको ऑप्टिमाइज़ करता है और अपनी ताक़त बचाकर रखता है. इसलिए तो जब आप कई बार पुराना फ़ोन महीनों बाद भी स्टार्ट करते हैं तो घड़ी सही टाइम बता रही होती है.
मतलब हो सकता है कि बैटरी 5 फ़ीसदी बची हो लेकिन फ़ोन सीधे एक फ़ीसदी दिखाने लगे. इसका एक प्रभाव आपके दिमाग पर भी पड़ता है. जैसे ही एक दिखा तो आप चार्जिंग तलाशते हैं या फिर जरूरी कॉल या मैसेज निपटाते हैं. यही है फ़ंडा एक फ़ीसद का.
हालांकि इसका ये मतलब कतई नहीं कि आप चैन की बंसी बजाओ. समय रहते फ़ोन चार्ज रखो और हां बैटरी सेवर मोड या लो-पॉवर मोड नहीं चलाना. वो नुकसानदेह है. कैसे तो आप यहां क्लिक करके जान लीजिए.
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