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दुनिया के हर कैमरे का मुखड़ा गोल ही होता है तो फिर तस्वीरें चौकोर क्यों आती हैं

किसी भी कैमरे के लेंस पर गौर फरमाइये. मुआ गोल ही होता है तो फिर फ़ोटो चौकोर क्यों आते हैं. तिकोने, पचकोने और षट्कोणे क्यों नहीं आते. पता है आपने इतना पढ़ते ही अपने स्मार्टफोन कैमरे को पक्का देख लिया होगा. दिमाग़ चौकोर हुआ मगर जवाब नहीं मिला. हम लेंस पर प्रकाश डालते.

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कैमरा लेंस गोल मगर तस्वीर चौकोर (तस्वीर साभार: Vivo Tech Day)

आपके पास स्मार्टफोन है? क्या ही सवाल है क्योंकि आमतौर पर होगा ही सही. क्या आपके स्मार्टफोन में कैमरा या कैमरे हैं? क्या ही सवाल है क्योंकि भले तीन या चार कैमरे नहीं हों मगर एक लेंस तो जरूर लगा होगा. क्या आपके पास एक कैमरा है. मतलब पुराने रील वाले से लेकर आजकल के डिजिटल वाले. जवाब हां और ना, दोनों में हो सकता है. मगर क्या आपने कैमरा देखा है. इसका जवाब तो हां भाई हां ही होगा. इतना पढ़कर आप कहोगे कि क्या कर रहे हो. फ़ोटो खींचना है तो जल्दी करो. गोल-गोल क्यों घुमा रहे.

जनाब गोल-गोल हम नहीं घुमा रहे बल्कि कैमरे का लेंस घुमा रहा. जरा गौर फरमाइये किसी भी कैमरे के लेंस पर. मुआ गोल ही होता है तो फिर फ़ोटो चौकोर क्यों आते हैं. तिकोने, पचकोने और षट्कोणे क्यों नहीं आते. पता है आपने इतना पढ़ते ही अपने स्मार्टफोन कैमरे को पक्का देख लिया होगा. दिमाग़ चौकोर हुआ मगर जवाब नहीं मिला. हम लेंस पर प्रकाश डालते.

इतिहास और फिजिक्स का कॉम्बो

कैमरे का गोल-गोल लेंस जितना फिजिक्स के अंदर धंसा है उतना ही इसका गहरा इतिहास भी है. इतना ही नहीं इसके गोल होने के पीछू आसान तरीके से काम करने की भी जरूरत है. जरूरत लाइट के सही तरीके से डिस्ट्रीब्यूशन की और कम से कम 'Aberrations' की. माने कि लेंस एक किस्म का दोष जो प्रकाश किरणों को एक बिंदु पर केन्द्रित होने से रोकता है और जिसके परिणामस्वरूप विकृत या धुंधली छवि बनती है, उसे 'Aberration' कहते हैं. हालांकि लेंस को किसी भी आकार में बना सकते हैं मगर गोल आकार प्रकाश को सही तरीके से पकड़ने और फिर इसे फ़ोकस करने के लिए एकदम मुफ़ीद है. वैसे भी लेंस बनाने की प्रेरणा इंसानी आंखों से ली गई है तो पहले-पहल वो गोल ही बनाया गया. गोल लेंस होने का सबसे बड़ा फ़ायदा ये हुआ कि प्रकाश की किरणें चारों दिशाओं से कलेक्ट होती हैं और फिर अंदर लगे सेंसर में सही तरीके से फोकस हो पाती हैं. ऑप्टिक्स मतलब फिजिक्स की वो ब्रांच जो लाइट के बारे में बताती है, उसके मुताबिक़ भी जब किरणों को एक फ़ोकस पर केंद्रित करके फैलाया जाता है तो वो सभी दिशाओं में बराबर से फैलता है. गोल-गोल बहुत घुमा दिया. मतलब लेंस गोल क्यों है वो जान लिया. अब तस्वीर के चौकोर या rectangular होने का कारण जानते हैं.

Why Camera Lenses Are Round, But Pictures Are always Rectangular
कैमरा लेंस (तस्वीर साभार: Vivo Tech Day)
पैसे का चक्कर बाबू भइया

आप एकदम सही पढ़े. तस्वीरों के चौकोर होने के पीछे साइंस कम और अर्थ मतलब धन ज़्यादा है. साइंस ये कि भले लेंस गोल होता है मगर इसके अंदर जो सेंसर लगा होता है वो हमेशा से चौकोर ही रहा है. अब सेंसर चौकोर है तो तस्वीर भी वैसे ही शेप में आएगी. साइंस ये भी है कि इंसानी आंखे चौकोर शेप को आसानी से देख पाती हैं क्योंकि हमारी आंखों का field of vision (FOV) भले पूरी तरह से रेक्टेंगुलर नहीं हो मगर चौड़ा खूब होता है. तक़रीबन 270 डिग्री तक. ऐसे में चौकोर शेप की तस्वीरें ज़्यादा नेचुरल लगती हैं.

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अब बात करें अर्थ की तो कैमरे में सबसे पहले जो रील लगाई गई वो भी रेक्टेंगुलर ही थी. चलन चला सो चलता ही गया. रेक्टेंगुलर तस्वीरों को प्रिंट करना, फ्रेम करना और कहीं पर पर डिस्प्ले करना भी आसान है. इसी के चलते अगर कोई तस्वीर गोल भी है तो उसको चौकोर ही प्रिंट किया जाता है. ऐसा करने में कागज की बर्बादी भी कम होती है. मतलब हर लिहाज से तस्वीर का चौकोर होना ही सही.

बस क्या जानकारी समाप्त. अब फ़ोन उठाइए और खिचक-खिचक करना स्टार्ट कीजिए. 

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