The Lallantop

WhatsApp वाली फोटो को डाउनलोड महंगा पड़ सकता है, ऑनलाइन ठगों से ऐसे बचाएं अपना अकाउंट

WhatsApp image download scam: आपके डिजिटल वॉलेट पर स्कैमर्स की नज़र टिकी हुई है. अब उन्होंने चालाकी की सारी हदें पार कर दी हैं. WhatsApp पर ‘Steganography’ नाम की हाई-टेक तकनीक के ज़रिए ये ठग ऐसी साजिश रच रहे हैं, जिसकी आपको भनक तक नहीं लगेगी. अब सवाल ये है, आखिर ये हाई-टेक स्कैम काम कैसे करता है?

post-main-image
स्कैमर्स वॉट्सऐप पर एक नए तरीके से स्कैम को अंजाम दे रहे हैं (सांकेतिक तस्वीर: आजतक)

सोचिए क्या हो अगर, एक सुबह आपकी नींद एक अनजान कॉल से टूटे... कुछ ऐसा ही हुआ 28 साल के प्रदीप जैन के साथ. उन्हें एक अजनबी नंबर से कॉल आया. फोन पर एक अजीब बात कही गई, "आपको एक तस्वीर भेजी गई है, ज़रा देखिए और बताइए क्या आप इस शख्स को पहचानते हैं?" कुछ ही पलों में उसी नंबर से उनके WhatsApp पर एक मैसेज आया. उसमें एक बुजुर्ग व्यक्ति की तस्वीर थी और नीचे लिखा था: "क्या आप इस व्यक्ति को जानते हैं?"

शुरुआत में प्रदीप ने इसे Spam Message समझकर इग्नोर कर दिया. लेकिन जब कॉल बार-बार आने लगे, तो उन्होंने झुंझलाकर इमेज डाउनलोड कर ली. बस... यही एक क्लिक (Click on Image Scam) उनकी सबसे बड़ी भूल साबित हुआ.

उस इमेज में छिपा था Steganography-based Malware, जिससे हैकर्स को उनके फोन का पूरा एक्सेस मिल गया (Phone Access via Malware). कुछ ही मिनटों में उनके बैंक अकाउंट से ₹2 लाख से अधिक गायब हो गए (Bank Account Fraud via WhatsApp Image Scam). 

जांच में क्या निकला?

पता चला कि ठगों ने उनके मोबाइल को हैक कर नेट बैंकिंग चालू कर दी और फिर रकम को हैदराबाद स्थित एक बैंक खाते में ट्रांसफर किया. वहां से ATM के ज़रिए पैसा निकाल लिया गया.

घटना के बाद प्रदीप ने तुरंत साइबर सेल और कोतवाली थाना जाकर शिकायत दर्ज कराई (Cyber Crime Complaint Filed). अब बड़ा सवाल ये है — आखिर स्कैमर्स इस हाई-टेक स्कैम को अंजाम कैसे देते हैं?

क्या होता है स्टेगनोग्राफी?

'स्टेगनोग्राफी' शब्द ग्रीक मूल का है. इसका मतलब है ‘छिपा हुआ लेखन’. इस तकनीक का इस्तेमाल मीडिया फाइलों के अंदर मैलवेयर या सीक्रेट कोड छिपाने के लिए किया जाता है. ये कोड इतने शातिर तरीके से छुपाया जाता है कि सामान्य एंटीवायरस भी इसे पकड़ नहीं पाते. ऐसे में आप जैसे ही उस फाइल को खोलते हैं, वायरस आपके फोन में घुस जाता है. इसके बाद यह आपके फोन का एक्सेस हैकर्स को दे देता है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट की मुताबिक, साइबर एक्सपर्ट तुषार शर्मा का कहना है कि ये कोई नया कॉन्सेप्ट नहीं है. 2017 में, हैकर्स ने WhatsApp पर शेयर की गई GIF फाइलों के अंदर ऐसे ही खतरनाक कोड को एम्बेड किया था. उन्होंने कहा,

“डाउनलोड होने पर, छिपा हुआ कोड बैकग्राउंड में चलता रहता था और सुरक्षा सेटिंग्स को दरकिनार करते हुए यूजर्स के डेटा तक पहुंच जाता था. हालांकि, इस तरह के स्कैम को जल्द ही पहचान लिया गया था, लेकिन इस तकनीक ने 2019 में ज्यादा एडवांस तरीकों के साथ वापसी की.”

तुषार शर्मा ने बताया कि ज्यादातर इमेज रंग के लिए तीन बाइट्स का यूज करती हैं- लाल, हरा और नीला. मैलवेयर आमतौर पर इनमें से एक या चौथे बाइट में छिपा होता है, जिसे अल्फा चैनल कहा जाता है. मैलवेयर एक तरह का सॉफ्टवेयर होता है, जिसे कंप्यूटर सिस्टम या नेटवर्क को नुकसान पहुंचाने या डेटा चुराने के लिए डिजाइन किया गया है. उन्होंने आगे कहा,

"जब आप इंफ्केटेड इमेज को खोलते हैं, तो मैलवेयर चुपचाप इंस्टॉल हो जाता है और आपके संवेदनशील डेटा तक पहुंच जाता है."

ये भी पढ़ें : साल 2024 का सबसे बड़ा स्कैम, जिसने बड़े से बड़े यूट्यूबर को 'हनी-ट्रैप' कर दिया

इस स्कैम से कैसे बचें?

तुषार शर्मा ने सुरक्षित रहने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव शेयर किए हैं:

अंजान नंबरों से बचें : अंजान नंबरों से फाइलें न डाउनलोड न करें.

‘ऑटो-डाउनलोड’ ऑफ करें : WhatsApp सेटिंग में चेंज करके अज्ञात मीडिया को अपने आप सेव होने से रोकें. 

OTP कभी शेयर न करें : स्कैमर्स अक्सर जाने-पहचाने कॉन्टैक्ट होने का दिखावा करते हैं. इसलिए उनके कहने पर भी उनसे OTP शेयर न करें.

अंजान ग्रुप्स में जुड़ने से बचें : संदिग्ध ग्रुप्स में शामिल होने से बचने के लिए ग्रुप परमिशन को 'माई कॉन्टैक्ट' पर सेट करे.

अंजान कॉलर्स से बचें : स्पैम और घोटाले से बचने के लिए WhatsApp सेटिंग में जाकर 'Silence Unknown Callers' सुविधा को एक्टिव करें.

वीडियो: वीडियो कॉल पर स्कैम, 73 साल के बुजुर्ग से 1.34 करोड़ की ठगी