एक होती है आम ABC जो Z तक जाती है. फिर आती है टेक जगत की ABC जो C से आगे नहीं जाती क्योंकि इसमें यहीं पर सी-सी-सी हो जाता है. सी का मतलब यहां मिर्च लगने से नहीं बल्कि 3C से है. टेक दुनिया के तीन सबसे जरूरी प्रोडक्ट मतलब Computer, Communication और Consumer Goods. सब कुछ इसी C के इर्दगिर्द घूमता है. वैसे तो ये तीनों प्रोडक्ट अलग-अलग हैं. मगर इनके बीच एक चीज कॉमन है. मेमोरी, फिर भले स्मार्टफोन में हो या कंप्यूटर में या फिर स्मार्ट टीवी में. आज इसी मेमोरी की याददास्त को समझते हैं.
मोबाइल की स्पीड बढ़ानी है? RAM में LPDDR और DDR का मतलब जान लीजिए, क्लॉक स्पीड बढ़ जाएगी
RAM या Random Access Memory कहते हैं, उसको लेकर कई कन्फ्यूजन हैं. मसलन रैम तो रैम है फिर ये स्मार्टफोन में और कंप्यूटर में अलग-अलग क्यों होती है. ये DDR और LPDDR क्या बला है. जब LPDDR स्मार्टफोन के लिए बनी है तो MacBook में कैसे फिट है. परेशान नहीं होते बल्कि रैम में रम जाते हैं.

ऐसा इसलिए क्योंकि मेमोरी जिसे रैम या Random Access Memory कहते हैं, उसको लेकर कई कन्फ्यूजन हैं. मसलन रैम तो रैम है फिर ये स्मार्ट फोन में और कंप्यूटर में अलग-अलग क्यों होती है. ये DDR और LPDDR क्या बला है. जब LPDDR स्मार्टफोन के लिए बनी है तो MacBook में कैसे फिट है. परेशान नहीं होते बल्कि रैम में रम जाते हैं.
क्या है RAMडिवाइस का वो पार्ट जिसका काम चीजों को याद रखना है. हमारे शरीर के दिमाग जैसे. डिवाइस का दिल है प्रोसेसर और मेमोरी है रैम. इसी प्रोसेसर से डेटा कितनी तेजी से ट्रांसफर होगा, वही रैम का काम है. इस स्पीड को clock rate कहते हैं. क्लाक रेट इसलिए क्योंकि खेला सेकंड में ही होता है. 0 से 1 सेकंड के बीच डेटा की स्पीड जितनी ज्यादा रैम उतनी तगड़ी. जब सबकुछ इतनी जल्दी घट रहा है तो ये कुछ स्टोर नहीं करता भले नाम मेमोरी है. आसान भाषा में कहें तो डिवाइस का वो हिस्सा जो ऐसी जानकारी को स्टोर करता है जो आप अभी तो इस्तेमाल नहीं कर रहे, लेकिन थोड़ी देर में कर सकते हैं. इसके बारे में आप डिटेल में नीचे क्लिक करके पढ़ सकते हैं. रैम की एबीसी हो गई अब DDR और LPDDR समझते हैं.
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क्या है DDRDouble Data Rate जो 90 के दशक से चलन में है. तब के दौर में 1 सेकंड में 1Mbps डेटा ही ट्रांसफर होता था. मगर जैसे-जैसे प्रोसेसर की ताकत बढ़ी, वैसे ही DDR की स्पीड भी. मसलन DDR2, DDR3, DDR4 और DDR5. आज तो सबसे ज्यादा चलन वाले DDR4 से 3200Mbps डेटा इधर से उधर हो जाता है. बोले तो एक सेकंड में 4 फिल्मों जितना डेटा. DDR 5 में स्पीड 5600Mbps तक जा सकती है. DDR रैम कंप्यूटर और लैपटॉप में लगी होती है और इसे बढ़ाया जा सकता है क्योंकि ये सिस्टम में चिपकी नहीं बल्कि फिक्स होती है. साइज भी इनका बड़ा होता है. हालांकि इसको ज्यादा बैटरी या पावर की जरूरत होती है जो लैपटॉप या कंप्यूटर में आसानी से मिल जाती है.

Low Power Double Data Rate. मोबाइल में भी इनका क्रम MDDR, LPDDR2, LPDDR3, LPDDR4, LPDDR5 रहा. मतलब LPDDR5 आज की लेटेस्ट जो फ़्लैगशिप डिवाइस में लगी होती है. नाम से ही पता चल जाता है कि ये कम बैटरी खाती होगी. हालांकि ये फिक्स होती है और इसे बढ़ाया नहीं जा सकता है. साइज तो इनका होता ही नहीं. प्रोसेसर अपनी पूरी दम दिखाए तो LPDDR5 से 6,400 Mbps की स्पीड पर डेटा ट्रांसफर हो सकता है. मतलब DDR5 से थोड़ा ही कम. यही है जवाब उस सवाल का कि क्यों MacBook में LPDDR रैम लगाई गई है.

MacBook Pro में LPDDR
सारे मैकबुक मॉडल में नहीं लेकिन MacBook Pro में 16GB की LPDDR रैम लगी है. इसमें कोई भयंकर तकनीक नहीं है बस पहले जिसने सोच लिया उसनें कर दिया. इतनी ताकतवर रैम वो भी कम बैटरी खाने वाली. साइज में भी छोटी. भले कुछ इंच की बात हो मगर उतनी स्पेस को भी कहीं और इस्तेमाल किया जा सकता है. मैकबुक में तगड़ी बैटरी पहले से लगी है. इसलिए लगा दी LPDDR. हालांकि इसको अभी 16जीबी पर सीमित रखा गया है. 32 जीबी रैम मॉडल में अभी भी DDR4 ही फिट है. लेकिन जल्द ही कई कंपनियों के लैपटॉप में भी LPDDR रैम लगी मिलेगी. माइक्रोसॉफ्ट से इसकी शुरुवात होगी.
तगड़ी क्लॉक स्पीड के लिए तैयार रहिए.
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