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GaN: स्मार्टफोन, लैपटॉप, टैबलेट, हेडफोन के लिए ये एक ही चार्जर काफी है

"GaN" मतलब चार्जिंग की वो तकनीक जिसमें सिलिकॉन के बजाय गैलियम नाइट्राइड का उपयोग किया जाता है. इस तकनीक वाले चार्जर साइज में छोटे लेकिन पावर में बड़े होते हैं.

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"GaN" चार्जर अब बजट में भी (सांकेतिक तस्वीर)

आपके पास एक स्मार्टफोन है, एक लैपटॉप भी है. हेडफोन से लेकर दूसरे प्रोडक्ट भी हैं. सभी को चार्ज करना पड़ता है और इसके लिए अलग-अलग चार्जर की जरूरत पड़ती है. फोन और दूसरे प्रोडक्ट तो फिर भी बेसिक चार्जर से चार्ज हो जाते हैं, मगर लैपटॉप के लिए तो बड़ा चार्जर चाहिए. इनको एक साथ ले जाना बड़ी मुसीबत है तो अलग से खरीदना अपने आप में जी का जंजाल. कितना अच्छा हो कि बस एक चार्जर से सारे प्रोडक्ट चार्ज हो जाएं. हो जाएंगे, बस आपको एक "GaN" तकनीक वाला चार्जर लेना होगा.

"GaN" मतलब चार्जिंग की वो तकनीक जिसमें सिलिकॉन के बजाय गैलियम नाइट्राइड का उपयोग किया जाता है. इस तकनीक वाले चार्जर साइज में छोटे लेकिन पावर में बड़े होते हैं. अच्छी बात ये है कि आजकल बजट में मिलने लगे हैं. काम कैसे करते हैं वो भी जान लेते हैं.

सिलिकॉन चार्जर का नया विकल्प

सिलिकॉन चार्जर मतलब वो चार्जर जो स्मार्टफोन से लेकर लैपटॉप और टैबलेट के साथ आता है. (सॉरी आजकल कुछ ही डिवाइस में आता है). साल 1980 से पहले तक वैक्यूम ट्यूब जैसी तकनीक का इस्तेमाल चार्जिंग के लिए होता था. लेकिन इसके बाद सिलिकॉन चार्जर पावर सप्लाई का सबसे बड़ा सोर्स बने. वजह इनकी एनर्जी को बेहतर तरह से नियंत्रित करने की क्षमता और सस्ती प्रोडक्शन कॉस्ट. आज भी कुछ सौ रुपये में एक बढ़िया चार्जर आराम से मिल जाता है. लेकिन जैसे हमने कहा, छोटे डिवाइस तो ठीक मगर बड़े डिवाइस का क्या? एक साथ कई डिवाइस चार्ज करना हो तब भी दिक्कत.  

ऐसे में "GaN" तकनीक वाले चार्जर ने मार्केट में दस्तक दी. साल 2020 के आसपास इस तकनीक वाले चार्जर ने अपनी पैठ बनाना चालू की. "GaN" मतलब गैलियम नाइट्राइड सेमीकंडक्टर. छोटे-छोटे महीन क्रिस्टल जैसा पदार्थ जो हाई वोल्टेज को बेहतर तरीके से संभालता ही नहीं बल्कि उससे पैदा हुई ऊर्जा को भी जल्दी ट्रांसफर करता है. सिलिकॉन चार्जर की तुलना में लगभग तीन गुना ज्यादा. गैलियम नाइट्राइड सिलिकॉन की तुलना में गर्म भी बहुत ही कम होता है.  

ऐसा नहीं है कि ये तकनीक सीधे चार्जर में आई है. बल्कि इसका पहले-पहल उपयोग 1990 के दशक में एलईडी के निर्माण में किया गया था. साल 2006 में GaN ट्रांजिस्टर का उत्पादन शुरू हुआ. "GaN" चार्जर सिलिकॉन चार्जर की तुलना में किसी डिवाइस को 10 गुना ज्यादा पावर सप्लाई कर सकते हैं. हालांकि ये उस डिवाइस की क्षमता पर निर्भर करेगा. "GaN" का एक और फायदा है. इन्हें अपने हिसाब से डेवलप किया जा सकता है. मतलब चाहे 65 वॉट हो या 120 वॉट. 240 भी बना लीजिए. आने वाले टाइम में बड़े-बड़े चार्जर इसी से बनेंगे.

65 वॉट का उदाहरण इसलिए क्योंकि तकरीबन हर लैपटॉप (विंडोज/मैकबुक) में चार्जिंग इतनी ही होती है. आप कहोगे फोन में तो 100 और 200 वॉट भी आती है. भईया हम कहेंगे वो आपको मुबारक क्योंकि आज भी सारे फ़्लैगशिप 50 वॉट के आसपास ही फटक रहे. इसलिए एक 65 वॉट "GaN" चार्जर आपके सारे काम कर देगा. लैपटॉप चार्ज कीजिए या फिर मोबाइल. रही बात चार्जिंग स्पीड की तो वो चार्जर खुद देख लेगा. कहने का मतलब अगर स्मार्टफोन है तो पूरा 65 वॉट नहीं बल्कि उसके हिसाब से पावर आउटपुट देगा.

इतना कुछ बता दिया, लेकिन कीमत का कोई जिक्र नहीं. वो इसलिए क्योंकि "GaN" चार्जर की कीमत में तकनीक का एक अहम पड़ाव छिपा हुआ है. तकनीक मतलब जो समय के साथ सस्ती हो और आसानी से मिले. यही हुआ है. पहले-पहल ऐसा चार्जर 10 हजार से कम में नहीं मिलता था. आजकल 2000 में मिलेगा वो भी अच्छी कंपनी का. चार्जर बनाने वाली तकरीबन हर कंपनी आजकल "GaN" चार्जर बनाती हैं. इसलिए अगर आपको भी चार्जरों से दिक्कत है तो बस एक लपक लीजिए. 

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