आजकल कार कंपनियां एक फीचर के बारे में काफी बात करती हैं. बात ही नहीं करतीं, बल्कि बढ़ा चढ़ाकर इसका लेवल बताती हैं. मसलन हमारी कार में इसका लेवल 1 है तो हमारी कार में लेवल 2. अंदाजा आपने लगा लिया होगा कि हम कारों के ADAS फीचर की बात कर रहे हैं. मुआ फीचर ना हुआ रौला जमाने का जुगाड़ हो गया. कंपनी से लेकर कार एक्सपर्ट इसके बारे में बात जरूर करते हैं. लेकिन ये ADAS है क्या? इसके लेवल कैसे निकले हुए हैं? क्या ये वाकई में कोई काम का है या सब हवाबाजी है?
क्या है कारों में आने वाला ADAS सिस्टम, जिसके लेवल हर कार कंपनी निकाल रही?
ADAS मतलब Advanced Driver Assistance Systems. इसकी बात हर कार कंपनी करती है. बात ही नहीं करतीं बल्कि बढ़ा चढ़ाकर इसका लेवल भी बताती हैं. ये काम कैसे करता है?
हमें लगा इसके बारे में बात कर ही लेनी चाहिए. ADAS मतलब Advanced Driver Assistance Systems. इसके सारे लेवल निकालकर देख लेना चाहिए. क्या पता इसी बहाने हमारा भी लेवल निकल जाए. बोरिंग तुकबंदी के लिए माफी.
क्या है ADAS?क्या आप घुप्प अंधेरे में देख सकते हैं? नहीं, लेकिन RADAR देख सकता है. क्या आप डॉल्फिन और चमगादड़ के माफिक ये सेंस कर सकते हैं कि पीछे से कौन आ रहा? नहीं, लेकिन SONAR ऐसा कर सकता है. क्या आप अपने चारों तरफ एक साथ देख सकते हैं? नहीं, लेकिन कैमरे ऐसा कर सकते हैं. ऐसे ही अंधेरे में देखने वाली आंखों और सेंसर का संयोजन है - ADAS. मतलब ये कोई एक प्रोडक्ट या फीचर नहीं है.
एक ऐसा सिस्टम, जो कार के अंदर ड्राइवर की आंख और कान का काम करता है. इसके देखने और सेंस करने की क्षमता जितनी ज्यादा, उतना ही इसका लेवल ऊपर. इस तकनीक में सेंसर, कैमरे और कई तरह के डिवाइस का इस्तेमाल किया जाता है. ये तकनीक किसी भी तरह की संभावित दुर्घटना को पहचानकर ड्राइवर को इससे बचने की सलाह देती है.
ADAS में कई फीचर्स एक साथ काम करते हैं, जैसे लेन डिपार्चर वार्निंग, एडेप्टिव क्रूज कंट्रोल, ऑटोमेटिक इमरजेंसी ब्रेकिंग और ब्लाइंड स्पॉट डिटैक्शन. मोटा-माटी ये हुई ADAS की एबीसीडी लेकिन क्या ये कोई नया सिस्टम है और काम कैसे करता है. जवाब है नहीं, क्योंकि ADAS का इस्तेमाल तो कारों में 1970 से ही हो रहा है.
अमेरिका में हुआ स्टार्ट1970 के आसपास अमेरिका में कारों में ADAS का इस्तेमाल हुआ. पहले पहल इस सिस्टम का हिस्सा था - anti-lock braking system. मतलब दुर्घटना की स्थति में ब्रेक एकदम से नहीं लगे. ऐसा होने से कार एकदम से रुक जाती थी और कार में बैठे लोगों को बुरी तरह से झटका लगता था और पीछे से आ रहे वाहन से टक्कर की भी आशंका बनी रहती थी. anti-lock braking system की वजह से ब्रेक तुरंत नहीं लगते और कार सड़क पर घिसटती जाती थी. ये फीचर काफी कारगर साबित हुआ.
समय के साथ इसमें electronic stability control, ब्लाइंड स्पॉट डिटैक्शन, लेन डिपार्चर वार्निंग, adaptive cruise control जैसे कई सेफ़्टी फीचर्स जुड़ते गए. इनके लिए कारों में 360 कैमरे से लेकर राडार और SONAR जैसे सिस्टम लगाए गए जो हमेशा काम करते रहते हैं और ड्राइवर की मदद करते हैं. किस गड्डी में कितने फीचर काम कर रहे हैं, उसके हिसाब से इसका लेवल तय होता है. कुल जमा 6 लेवल अभी तक कारों में इस्तेमाल होते हैं.
# लेवल 0- गाड़ी में anti-lock brakes जैसे सिस्टम तो होते हैं मगर इनका कंट्रोल ड्राइवर के पास होता है. कहने का मतलब इसके होने का कोई खास मतलब नहीं.
# लेवल 1- कार में adaptive cruise control मिलता है मतलब आगे चलने वाले वाहन की स्पीड के हिसाब से अपनी स्पीड को कंट्रोल करने का प्रबंध.
# लेवल 2- ऐसे ADAS में गाड़ी खतरा जानकर खुद से इमरजेंसी ब्रेक लगा लेती है. मगर इसमें ड्राइवर का स्टेरिंग पर होना जरूरी है. इसके साथ बाजू में कौन कितने दूर चल रहा, लाइन चेंज करने का अलार्म जैसे सेफ़्टी फीचर्स काम पर लग जाते हैं. आजकल की प्रीमियम कारों में इसका ही इस्तेमाल होता है.
# लेवल 3- इसमें गड्डी समझदार हो जाती है. बोले तो अपने आसपास के ट्रैफिक और कंडीशन को भांपकर ADAS काम करता है.
# लेवल 4- खुद से चलने वाली गड्डी. हालांकि इसमें भी गाड़ी के अंदर कोई होना चाहिए. गाड़ी किस रास्ते पर चलेगी, किस स्पीड से चलेगी. वो सब पहले से फिक्स होता है. मसलन Tesla की कारें.
# लेवल 5- इसका अभी तक पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं हुआ है. ये वाला ADAS वैसी गाड़ियों के लिए है जिसमें ड्राइवर की जरूरत नहीं. बोले तो पूर्णतः ऑटोमैटिक. इसकी टेस्टिंग अभी कुछ गाड़ियों में चल रही है.
भारत जैसे देश में, जहां हर साल लाखों लोग सड़क दुर्घटना में मारे जाते हैं और ज्यादातर समय गलती चालक की होती है. वहां ADAS बहुत काम का है. इसलिए गाड़ी लेने जाएं तो इसके बारे में जरूर पता करें.
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