लाइफटाइम शब्द सुनकर ही सबसे पहले एहसास होता है एक ऐसे रिश्ते का जो जीवन भर साथ चलेगा. बात चाहे एक इंसान की दूसरे इंसान से रिश्ते की हो या फिर एक बेजुबान जानवर से. लाइफटाइम शब्द एक मीठे एहसास और विश्वास का प्रतीक है. इस शब्द का कमाल ऐसा कि सजीव चीजों तो छोड़िए निर्जीव चीजों से भी विश्वास की डोर बंध जाती है. उदाहरण के लिए जब कोई कंपनी कहती है फलां प्रोडक्ट पर लाइफटाइम वारंटी है तो बस एक यकीन सा हो जाता है कि ये तो जिंदगी भर साथ निभाएगा. ऐसे ही कुछ सालों पहले हमारे स्मार्टफोन से हमारा रिश्ता जीवन भर के लिए जुड़ गया जब देश के नेटवर्क ऑपरेटर्स ने मोबाइल नंबर के लिए लाइफटाइम वैलिडिटी(lifetime recharge plan) की घोषणा की. अब सवाल उठता है कि साल 2022 में भी लाइफटाइम रिचार्ज में लाइफ बची है या खत्म हो गई?
लाइफटाइम रिचार्ज प्लान की लाइफ खत्म हो गई है क्या?
कुछ सालों पहले हमारे स्मार्टफोन से हमारा रिश्ता जीवन भर के लिए जुड़ गया जब देश के नेटवर्क ऑपरेटर्स ने मोबाइल नंबर के लिए लाइफटाइम वैलिडिटी की घोषणा की.

31 जुलाई 1995 को भारत में पहली बार मोबाइल इस्तेमाल होने के बाद शायद ये सबसे महत्वपूर्ण बदलाव था मोबाइल नंबर की दुनिया में. जनरेशन Z वालों आपमें से कई तो तब पैदा भी नहीं हुए होंगे जब 1995 में तत्कालीन केन्द्रीय टेलिकाम मंत्री सुखराम ने तब के पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति बसु से मोबाइल पर पहली बार बात की थी. आज जब मोबाइल नंबर के साथ फोन कॉल और एसएमएस तकरीबन मुफ़्त है, सिर्फ डेटा रिचार्ज के लिए ही पैसे देने पड़ते हैं. कुछ सालों पहले तक ऐसा बिल्कुल नहीं था. फोन कॉल से लेकर एसएमएस के पैसे तो लगते ही थे, मोबाइल नंबर को चालू रखने के लिए भी जेब ढीली करना पड़ती थी. मतलब वैलिडिटी का भी खास ख्याल रखना पड़ता था. खास रिचार्ज होते थे सिर्फ वैलिडिटी मैंटेन रखने के लिए. और डेटा का तो पूछो मत. थोड़ा ज्यादा डेटा इस्तेमाल कर लिया तो घर का बजट बिगड़ा समझो.

ऐसे में पहले मोबाइल कॉल के दस साल बाद 2005 में जब Tata Teleservices's ने Non-Stop Mobile के तहत जीवन भर के लिए फ्री इनकमिंग कॉल का वादा किया तो हंगामा ही मच गया. देखते ही देखते उस समय के सभी मोबाइल ऑपरेटर्स ने ऐसे प्लान बाजार में उतार दिए. फिर भले Airtel का लाइफ टाइम प्रीपैड रिचार्ज हो या फिर Hutch का 'हच चलता रहे'. MTNL ने 'जीवन साथी' तो Idea Celluar ने I-Power prepaid vouchers के नाम से प्लान पेश किए. देखा देखी रिलायंस इन्फोकॉम ने भी 'लाइफटाइम गिफ्ट' के नाम से प्लान बाजार में उतारा.

हर महीने तमाम तरीके के रिचार्ज के लिए जद्दोजहद करते यूजर्स के लिए ये खबर राहत देने वाली थी. कैसी भी स्थति हो, कम से कम इनकमिंग तो बंद नहीं होगी. लेकिन सब अच्छा-अच्छा हो ऐसा भी नहीं था. कहने को तो ये प्लान लाइफटाइम मतलब जीवन भर की इनकमिंग वैलिडिटी के साथ आते थे लेकिन गड़बड़ झाला भी कम नहीं था. आपको कुछ सालों में या कुछ महीनों में एक रिचार्ज तो कराना ही पड़ता था. अब ये कब कराना पड़ता था वो आप किस ऑपरेटर के साथ हैं उस पर निर्भर करता था. लाइफटाइम रिचार्ज नॉर्मल प्लान से काफी महंगा तो था ही, टॉक टाइम भी कम मिलता था. दर्द ये भी कि हर फोन कॉल के लिए भी नॉर्मल रिचार्ज की तुलना में ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते थे.
गोलमाल तो था लेकिन एक लंबी वैलिडिटी भी मिलती थी तो यूजर्स ने इन प्लान को हाथों हाथ लिया. टेलीकॉम ऑपरेटर्स की गला काट स्पर्धा का फायदा भी मिला जब कुछ सालों के बाद लाइफटाइम के दाम कम हुए. 2013 में तो रिलायंस कम्यूनिकेशन ने कमाल कर दिया. इस रिचार्ज का दाम सिर्फ 25 रुपये हो गया.
2016 में मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज ने Jio लॉन्च करके टेलीकॉम बाजार का गणित ही बदल डाला. तब से लेकर आजतक अब सिर्फ बात होती है कि कौन सा ऑपरेटर क्या ज्यादा दे रहा. जैसा हमने पहले ही कहा कि सिर्फ डेटा का पैसा देना पड़ता है. बाकी सब तो फ्री है साथ में कई दूसरी सर्विस भी मुफ़्त मिल रही. लाइफटाइम वैलिडिटी तो जैसे कहीं अंधेरे में गुम हो गई. आपको जानकार धक्का लग सकता है कि आज की तारीख में सिर्फ एयरटेल के दो प्लान ही लाइफटाइम वैलिडिटी के साथ आते हैं. बाकी कंपनियां या तो ऐसे प्लान बंद कर चुकी हैं या उनको दूसरे प्लान में माइग्रेट कर दिया. जैसे कि BSNL ने नवंबर 2021 में लाइफटाइम प्लान को बंद करके 107 रुपये प्रीमियम पर मिनट प्लान में मिला दिया. लाइफटाइम की जगह अब लॉन्ग टर्म प्लान ने ले ली है. लॉन्ग टर्म से मतलब कुछ दिनों जैसे कि 84 से लेकर 365 दिन वाले प्लान सभी कंपनियों की तरफ से मार्केट में उपलब्ध हैं.
Slectra ने बाकायदा सभी मोबाइल ऑपरेटर्स की लिस्ट
तैयार की है जिसमें एयरटेल के दोनों लाइफटाइम प्लान और दूसरी कंपनियों के लॉंग टर्म प्लान का जिक्र है.
अब आपको लगेगा कि कंपनियों ने ऐसा क्यों किया तो बात बिल्कुल साफ है. कुछ सालों पहले तक मोबाइल फोन जरूरत नहीं बल्कि विलासिता की वस्तु माने जाते थे. ऐसे में कंपनियों को अपने ग्राहकों को खुद से जोड़े रखना बहुत बड़ी चुनौती थी. लाइफटाइम प्लान से इसमें बड़ी मदद मिली. आज जमाना बदल गया है. मोबाइल स्मार्टफोन में तब्दील हो गए हैं. क्या आम और क्या खास, स्मार्टफोन सबके हाथ में नजर आता है और जीवन की सबसे जरूरी चीज बनकर उभरा है. आप भले फीचर फोन ही क्यों ना चलाते हों फिर भी कई काम सिर्फ मोबाइल से होते हैं. ऐसे में रिचार्ज करना ही पड़ता है. जब रिचार्ज होगा तो वैलिडिटी आनी ही है. इसलिए लाइफटाइम रिचार्ज भले बंद हो गया लेकिन स्मार्टफोन से लाइफटाइम रिश्ता जरूर बन गया है.
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