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हर फ़ोन, लैपटॉप में जगह बनाने वाला टाइप-सी पोर्ट क्या है

टाइप-सी से जुड़ा सबकुछ आसान भाषा में समझ लीजिए.

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(सांकेतिक फोटो: Flickr Maurizio Pesce)
सोचिए, आप लैपटॉप पर काम कर रहे हैं. फ़ोन पास में चार्जिंग पर लगा है. फिर जैसे ही फ़ोन चार्ज हुआ, आपने वही केबल लैपटॉप में लगा दिया. लैपटॉप भी चार्ज हो गया. अब अपने केबल का सिरा चार्जर से निकालकर फ़ोन में लगा दिया. अब लैपटॉप और फ़ोन आपस में कनेक्ट हो गए. और ये सब होने वाला नहीं है, बल्कि ऑलरेडी हो रहा है. कैसे? यूएसबी टाइप-सी (USB Type-C) केबल, पोर्ट और कनेक्टर की मदद से. केबल बोले तो तार. पोर्ट का मतलब फ़ोन या लैपटॉप का वो होल, जिसमें केबल लगता है. और कनेक्टर वो चीज़ है, जो केबल और पोर्ट को जोड़ती है.
यूएसबी का आगाज़
“पतली पिन वाला चार्जर है?” ये वो सवाल है, जो किसी ज़माने में बहुत ही ज़्यादा घिस गया था. वो दौर नोकिया वाले 'लोहा लाट' फ़ोन का था. तब भांति-भांति के चार्जर अलग-अलग टाइप के पिन के साथ आया करते थे. चार्जर में कोई पोर्ट-वोर्ट नहीं होता था. बस एक जुड़ा हुआ तार होता था, जिसके दूसरी तरफ कनेक्टर होता था.
फिर आया स्मार्टफ़ोन का दौर. इनमें जगह बनाई यूएसबी या यूनिवर्सल सीरियल बस (Universal Serial Bus) पोर्ट ने. चार्जर में एक तरफ चौड़ा-सा यूएसबी-ए (USB-A) पोर्ट लग गया और फ़ोन में छोटा-सा यूएसबी पोर्ट, जिसे मिनी यूएसबी पोर्ट कहा जाता था. और इन दोनों को जोड़ता था एक यूएसबी केबल. मगर जैसे-जैसे टेक्नॉलजी आगे बढ़ी, फ़ोन का पोर्ट बदलता गया. मिनी यूएसबी को हटाकर आया माइक्रो यूएसबी कनेक्टर. अब गाड़ी टाइप-सी (Type-C) पर आकर रुक गई है.
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(फ़ोटो: Pixabay)

आज लगभग हर फ़ोन में यूएसबी टाइप-सी पोर्ट ही देखने को मिल रहा है. इसके साथ ही लैपटॉप और टैबलेट में भी ये पोर्ट धड़ल्ले से आ रहा है. मगर ये यूएसबी के अलग-अलग पोर्ट का खेल क्या है? और सबको यूएसबी टाइप-सी से ही इतना लगाव क्यों है? बस यही बताने वाले हैं हम.
यूएसबी टाइप-ए पोर्ट क्या है
टाइप-सी पोर्ट पर बात करने से पहले थोड़ी चर्चा टाइप-ए पोर्ट पर कर लेते हैं. ये कंप्यूटर या लैपटॉप में लगा हुआ वही खांचा है, जिसमें आप आमतौर पर पेन ड्राइव लगाते हैं. ये तब से चला आ रहा है, जब स्मार्टफ़ोन का इंडिया में नामो-निशान तक नहीं था. आज तो आप माउस या की-बोर्ड झट से यूएसबी-ए पोर्ट में लगा देते हैं, मगर पहले हर चीज़ के लिए एक अलग टाइप का कनेक्टर और पोर्ट आया करता था.
माउस और कीबोर्ड लगाने के लिए PS2 पोर्ट होता था और गेम कन्ट्रोलर लगाने के लिए तो 56 तरह के पोर्ट होते थे. मगर धीरे-धीरे यूएसबी-ए ने इन सब की जगह ले ली. फिर जब स्मार्टफ़ोन का नंबर आया, तो चार्जिंग केबल में एक तरफ यूएसबी-ए पोर्ट बैठ गया, दूसरी तरफ फ़ोन के कनेक्टर ने जगह लेली.
किस चिड़िया का नाम है यूएसबी टाइप-सी
बाकी के यूएसबी की तरह टाइप-सी वाले केबल भी एक कनेक्टर का काम करते हैं. चार्जर से फ़ोन कनेक्ट कर लें या फिर फ़ोन को लैपटॉप या कंप्यूटर से. पावर और डेटा, दोनों ट्रांसफर होते हैं. जैसा कि पहले बताया, इसके एक तरफ यूएसबी-ए (USB-A) कनेक्टर रहता है, जो बड़े डिवाइस, जैसे टीवी, चार्जर, लैपटॉप वग़ैरह में लगता है और दूसरी तरफ होता है यूएसबी-सी (USB-C) पोर्ट, जो स्मार्टफ़ोन या टैबलेट में लगता है.
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यूएसबी टाइप-सी (फ़ोटो: Pixabay)

हालांकि अब तो ऐसे केबल भी आते हैं, जिनके दोनों तरफ टाइप-सी कनेक्टर होता है. इनका इस्तेमाल अभी काफ़ी कम है, मगर आगे चलकर शायद केबल में यूएसबी-ए वाला सिरा गायब ही हो जाएगा. क्योंकि अगर सारे डिवाइस में एक जैसा ही पोर्ट होगा, तो एक ही केबल से सारे काम हो जाया करेंगे. साथ ही लैपटॉप या टैबलेट बनाने वाली कंपनियों को भी 75 तरह के पोर्ट नहीं बनाने पड़ेंगे.
अब पूछेंगे कि अगर यूएसबी-ए वाला सिरा कंप्यूटर से गायब हो गया, तो आप पेन ड्राइव किसमें लगाएंगे? अरे पेन ड्राइव भी टाइप-सी कनेक्टर के साथ आ रहे हैं. सब कुछ टाइप-सी ही हो रहा है.
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यूएसबी-ए पोर्ट वाली पेन ड्राइव (फ़ोटो: Pixabay)

अब एक मासूम सवाल
आप कहेंगे कि USB टाइप A बता दिया, C बता दिया. B खा गए. ये खेल हो गया 'कृष' फिल्म वाला. 'कोई मिल गया' आई. फिर 'कृष' आई. फिर सीधे 'कृष 3' आ गई. क्योंकि अनकहे तौर पर कोई मिल गया को 'पार्ट 1' मान लिया गया. तो आपका जवाब ये है कि असल में USB टाइप-B के कई प्रकार हैं. माइक्रो और मिनी टाइप के. इतने प्रकार की वजह से उसको B टाइप बुलाने का कोई मतलब नहीं रह गया. लेकिन टाइप-C एक ही प्रकार का है, इसलिए ऑफिशियल नाम भी इसका टाइप-C ही है.
पुराने वाली यूएसबी केबल से कैसे अलग है टाइप-सी
यूएसबी केबल में टाइप-सी वाले सिरे को देखकर आप झटके में पहचान लेंगे कि बिड़ू ये तो अलग है. इसका मुंह बड़ा होता है और काफ़ी हद तक ओवल शेप जैसा होता है. और तो और, टाइप-सी वाला सिरा रिवर्सबल होता है. मतलब लगाते टाइम ये नहीं देखना पड़ता कि सीधा लगा रहे हैं या उल्टा. दोनों तरफ से फिट हो जाता है.
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यूएसबी-ए वाला सिरा (फ़ोटो: Pixabay)

ये तो रही आसानी की बात. अब आते हैं टेक्निकल पार्ट पर. पुराने यूएसबी की तुलना में टाइप-सी की चार्जिंग और डेटा ट्रांसफ़र स्पीड काफ़ी तेज़ है. ये यूएसबी 3.1 टेक्नॉलजी पर काम करता है और 10 GBPS की रफ़्तार से डेटा इधर से उधर कर सकता है. चूंकि टाइप-सी कनेक्टर ज़्यादा करंट पास कर सकता है, फ़ोन के फास्ट चार्जिंग टेक में इसी पोर्ट का इस्तेमाल देखने को मिलता है.
किसने बनाया है इसको
असल में यूएसबी-सी को किसी एक कंपनी ने नहीं बनाया है. इसके पीछे 700 से ज़्यादा कंपनियां हैं, जिनमें ऐपल, माइक्रोसॉफ़्ट, सैमसंग, एचपी, इंटेल और डेल आदि शामिल हैं. इन कंपनियों ने मिलकर USB Implementers Forum (USB-IF) नाम का एक संगठन बनाया, जिसने टाइप-सी कनेक्टर को बनाया और सर्टिफ़ाई किया. इसीलिए इतनी सारी कंपनियों के लैपटॉप और स्मार्टफ़ोन में टाइप-सी पोर्ट नज़र आता है.
आईफोन में टाइप-सी क्यों नहीं है
टाइप-सी पोर्ट को सबसे पहले ऐपल ने ही लगाया था. 2015 में आए हुए 12-इंच वाले मैकबुक में. आज के टाइम में ऐपल के आइपैड और मैकबुक में टाइप-सी पोर्ट तो देखने को मिलते हैं, मगर आईफोन में अभी भी वही पुराना लाइटनिंग पोर्ट चौकड़ी जमाए बैठा है. लोग आईफोन में टाइप-सी पोर्ट मांगने में पड़े हैं, मगर ऐपल ने चुप्पी साध रखी है. बता भी नहीं रहा कि टाइप-सी क्यों नहीं देगा.
Lt Lightning Cable Pixabay
Lightning Cable (फ़ोटो: Pixabay)

लेकिन बाबू भैया, इसमें हमें तो साफ-साफ पैसे का ही चक्कर दिख रहा है. अगर आपके आईफोन की लाइटनिंग केबल खराब होता है, तो आपको दूसरा खरीदना पड़ेगा कि नहीं? ऐपल का केबल सस्ता तो होता नहीं है, पैसा तो वो कमाएगा इस खरीद पर. लेकिन अगर आईफोन में टाइप-सी पोर्ट हो, तब तो आप केबल खराब होने पर घर पर पड़ा कोई भी टाइप-सी केबल चार्जर में घुसा देंगे. फिर इसमें कंपनी का नहीं, आपका फायदा हो गया ना.
फ्यूचर!
जैसे धीरे-धीरे यूएसबी-ए ने बाकी दर्जनों पोर्ट को आउट करके अपनी जगह बनाई थी, यूएसबी टाइप-सी भी वही काम कर रहा है. इस वक़्त ये चार्जिंग और डेटा ट्रांसफ़र के लिए डिफ़ॉल्ट पोर्ट बना हुआ है. और अब इसने यूएसबी-ए को भी रिप्लेस करना शुरू कर दिया है. जब ये बदलाव पूरा हो जाएगा, तो हमारी और आपकी सहूलियत काफ़ी बढ़ जाएगी.
फिलहाल तो कई लैपटॉप में यूएसबी-सी पोर्ट दिया जा रहा है, मगर उसका इस्तेमाल सिर्फ और सिर्फ डेटा ट्रांसफ़र तक ही सीमित है. चार्जिंग के लिए अभी भी बड़ा-सा चार्जर इस्तेमाल करना पड़ता है. मगर कुछ मशीनें ऐसी भी आ रही हैं, जो यूएसबी-सी पोर्ट से डेटा ट्रांसफर भी कर रही हैं और चार्जिंग भी. हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले कुछ बरस में यूएसबी-सी का इस्तेमाल और बढ़ेगा, और हम एक सिंगल तार से ही सारे काम कर सकेंगे.


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