साल 2003 में ऑस्ट्रेलिया में सेक्स वर्कर्स के काम की एक जगह ने स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट होने के लिए एक अनोखा तरीका अपनाया. लिस्टिंग से पहले, उन्होंने अपना प्रॉफ़िट 'द डेली प्लैनेट' नाम की कंपनी को ट्रांसफर किया, जिसने इसे एक रियल एस्टेट कंपनी में बदल दिया. डेली प्लैनेट स्टॉक मार्केट में अपने प्रीमियम इशू प्राइस से 20 फीसदी ज्यादा पर लिस्ट हुआ.
बड़े खेल की तैयारी में Ullu ऐप, धाकड़ OTT ऐप्स के बीच अपना उल्लू सीधा कैसे किया?
हम बात कर रहे हैं Ullu ऐप की जिसने 15 फरवरी 2024 को अपना आईपीओ लाने के लिए सेबी के पास जरूरी दस्तावेज (DRHP) जमा किए थे. साल 2019 में अस्तित्व में आए इस ऐप ने सिर्फ चार साल में OTT मार्केट में अपनी पहचान बनाई जहां पहले से कई तगड़े प्लेयर मजबूती से जमे हुए थे.
कट टू साल 2023. हमारे देश में भी एक कंपनी स्टॉक मार्केट में लिस्ट होने जा रही है. हालांकि ये कोई सेक्स वर्कर्स के काम की जगह नहीं है और ना कोई रियल एस्टेट कंपनी. हम बात कर रहे हैं adult entertainment ऐप Ullu की जिसने 15 फरवरी 2024 को अपना आईपीओ लाने के लिए सेबी के पास जरूरी दस्तावेज (DRHP) जमा किए हैं. आज 'उल्लू' की इसी स्मार्टनेस पर बात करेंगे.
तीन गुना 'लगान' वसूलासाल 2019 में अस्तित्व में आए इस ऐप ने सिर्फ चार साल में ऐसे मार्केट में अपनी पहचान बनाई जहां पहले से कई तगड़े प्लेयर मजबूती से जमे हुए थे. साल 22-23 में ऐप का रेवेन्यू 93 करोड़ रुपये था और मुनाफा हुआ 15 करोड़ रुपये. हर साल कंपनी के रेवेन्यू में तीन गुना जंप हुआ है. यहां एक बात का जिक्र बहुत जरूरी है कि ऐप पूरी तरह सब्सक्रिप्शन बेस्ड है. मतलब ऐप के इस्तेमाल के लिए पैसा देना ही होगा. ऐप ने बाहर से कोई इनवेस्टमेंट भी नहीं लिया है. मतलब सब घर का मामला है.
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बात जब प्रॉफ़िट की हो रही तो ये भी जान लीजिए कि साल 2023 में नेटफ्लिक्स इंडिया ने 2,214 करोड़ के रेवेन्यू पर महज 35 करोड़ का प्रॉफ़िट बनाया तो डिज़्नी हॉट स्टार घाटे में रहा. 4,340 करोड़ के रेवेन्यू पर ऐप को 748 करोड़ का घाटा हुआ. कहने का मतलब नफा-नुकसान के खेल में 'उल्लू' तेजी से उड़ रहा. साल 23-24 के पहले छह महीने भी ऐप के लिए बढ़िया रहे हैं. कंपनी ने 60 करोड़ का रेवेन्यू जनरेट कर लिया है. एक देसी ऐप के लिए ऐसा करना वाकई काबिल-ए-तारीफ है. अब ये समझते हैं कि ऐप ऐसा कर कैसे रहा.
फोकस बाबू भईया फोकस!नेटफ्लिक्स से लेकर हॉटस्टार जैसे ऐप्स तक, जहां अपने प्लेटफॉर्म पर तमाम तरीके का कॉन्टेन्ट उपलब्ध करवाते हैं वहीं 'उल्लू' इसके उलट सिर्फ एक किस्म के कॉन्टेन्ट पर फोकस करता है. आसान भाषा में कहें तो जहां दूसरे ऐप्स किराना दुकान या सुपर मार्केट जैसे, वहीं 'उल्लू' एक ब्रांड के एक्सक्लूसिव स्टोर जैसा. यही इस ऐप की सबसे बड़ी ‘ताकत’ मानी जाती है. इसके साथ कंपनी ने अपने सब्सक्रिप्शन को भी किफायती रखा है. जहां दूसरे ऐप्स के लिए 1500-2000 रुपये या उससे ज्यादा भी खर्च करना पड़ता है तो 'उल्लू' महज 495 रुपये साल में मिल जाता है.
कंपनी के लिए जो सबसे बड़ी चुनौती है वो है प्रोडक्शन कॉस्ट. इसके लिए कंपनी सब कुछ आउट सोर्स करती है. कंपनी प्री-प्रोडक्शन से लेकर तमाम ओरिजनल शो बाहर की कंपनियों से लेती है. सारा फोकस क्वालिटी कंट्रोल और कॉपीराइट पर होता है. कंपनी 40 फीसदी के अल्ले-पल्ले अपनी प्रोडक्शन कॉस्ट को मैनेज कर लेती है. ये सबसे बड़ा प्लस पॉइंट है. मगर अब बड़ा सवाल…
आईपीओ के बाद क्या?हाल फिलहाल तो ऐसा लगता है कि ऐप के पास पहले प्रॉफ़िट वाले देसी OTT ऐप बनने का पूरा मौका है. मगर आईपीओ के बाद स्केल बहुत बड़ा हो जाएगा. ऐसे में ऐप को अपने कॉन्टेन्ट को बड़ा नहीं बल्कि बहुत बड़ा करना होगा. इसके पीछे दूसरे OTT ऐप्स से मिल रही सीधी चुनौती भी है. 'द डेली प्लैनेट' भी ऐसी चुनौती को संभाल नहीं पाया और बंद हो गया. जो ऐप ने इसको संभाल भी लिया तो कानूनी पचड़े भी सामने हैं.
हाल में National Commission for Protection of Child Rights (NCPCR) ने आईटी मंत्रालय से ऐप को लेकर शिकायत की है. NCPCR इस बात को लेकर चिंतित है कि ऐप का इस्तेमाल करने वाले असल कस्टमर कौन हैं. लेकिन-वेकिन से इतर कंपनी आईपीओ से 135-140 करोड़ रुपये जुटाने का सपना देख रही.
कह सकते हैं कि 'उल्लू' ने दुनिया जहान के OTT ऐप्स को 'उल्लू' बनाकर अपना 'उल्लू' सीधा कर लिया.