थॉमस अल्वा एडिसन का नाम लेते ही सबसे पहले दिमाग का ‘बल्ब’ जलता है. जलना भी चाहिए क्योंकि इस अमेरिकी वैज्ञानिक ने साल 1879 में बल्ब का आविष्कार किया था. मगर इस महान आदमी ने साल 1912 में भी एक जबर काम किया था. अगर दुनिया उस काम को गंभीरता से लेती तो शायद आज कारों की कहानी कुछ और होती. तब भले दुनिया ने थॉमस के काम को हल्के में लिया. मगर अब उसी से जुड़ा एक काम दुनिया की सबसे बड़ी कार कंपनी Toyota (Toyota Electric Battery) करने वाली है. जिसे कोई हल्के में नहीं लेगा.
इलेक्ट्रिक कार अब सिर्फ 10 मिनट में होगी चार्ज, ये दावा है दुनिया की सबसे बड़ी कार कंपनी का
दुनिया की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी Toyota का दावा है कि उसने Electric Cars के लिए नए किस्म की बैटरी बना ली है, जो एक बार में 1200 किलोमीटर तक चलेगी और सिर्फ 10 मिनट में फुल चार्ज हो जाएगी.
पढ़कर आपको लगेगा जैसे हम कोई स्टोरी का मीटर बिठा रहे. मतलब कहां अमेरिकी थॉमस और कहां जापानी टोयोटा. गुरु हम कोई मीटर नहीं बिठा रहे बल्कि हम तो इलेक्ट्रिक कारों से जुड़ी टोयोटा की उस घोषणा की बात कर रहे जिसके हकीकत में बदलते ही इन कारों की सबसे बड़ी दिक्कत दूर हो जाएगी. कमाल बात तो ये है कि इसका थोड़ा बहुत संबंध थॉमस से भी है. दरअसल टोयोटा ने कुछ महीने पहले दावा किया कि,
उसने इलेक्ट्रिक कारों के लिए नए किस्म की बैटरी बना ली है जो एक बार में 1200 किलोमीटर तक चलेगी और सिर्फ 10 मिनट में फुल चार्ज हो जाएगी. कंपनी के प्रोडक्शन हेड Takero Kato ने कहा Let’s Change the Future of Cars
अब टोयोटा ने ऐसा कहा तो जाहिर सी बात है कि विश्वास करना ही पड़ेगा. आपके मन में सवाल होगा क्यों भला, टोयोटा कोई इलेक्ट्रिक कारों की डैडी है क्या. जनाब डैडी नहीं बल्कि दादा, परदादा कह लीजिए. सब बताते हैं लेकिन पहले जरा थॉमस अल्वा का बल्ब बंद करते है. मतलब उनका इलेक्ट्रिक कारों से नाता समझ लेते हैं फिर टोयोटा की सवारी करेंगे.
# बल्ब का ईजाद करने के लगभग 33 साल बाद साल 1912 में थॉमस ने तीन इलेक्ट्रिक कारें बनाई थीं. गैराज में खड़ी होने वाली नहीं बल्कि रोड पर चलने वाली. मगर उनका कोई व्यावसायिक उत्पादन नहीं हुआ और प्रोजेक्ट का फ्यूज़ उड़ गया. इसका एक कारण थॉमस के अच्छे दोस्त हेनरी फोर्ड भी रहे. फोर्ड ने करीबन उन्ही सालों में पेट्रोल कार बना ली थी जो जल्द ही खूब लोकप्रिय हुई. आज भी उतनी ही लोकप्रिय है. कारों की स्पीड तेज होती गई और फिर आया साल 1990.
यही वो साल था जब जापानी कार निर्माता टोयोटा ने दुनिया को पहली इलेक्ट्रिक कार से रुबरू करवाया. कार का नाम ‘Toyota Prius’. हालांकि ये पूरी तरह से इलेक्ट्रिक नहीं बल्कि हाइब्रिड कार थी. मतलब पेट्रोल और इलेक्ट्रिक दोनों से चलती थी. भले पूरी इलेक्ट्रिक नहीं लेकिन इतनी बवाल थी कि इसको "car for the 21st century" भी कहा गया. आखिरकार एक नई तकनीक रोड पर दौड़ने को तैयार थी.
# साल आया 1997 जब Toyota Prius बाजार में आई. इसके ठीक दस साल बाद यानी 2007 में Nissan ने LEAF के नाम से पहली फुल्ली इलेक्ट्रिक बनाई और साल 2010 में इसको रोड पर उतार भी दिया. ये दोनों कारें आज भी अपने नए मॉडल के साथ सड़कों पर हैं और इसके साथ दुनिया जहान की तकरीबन हर कार कंपनी की इलेक्ट्रिक कारें आजकल अपना जलवा बिखेर रहीं.
मगर एक गरारी आज भी अटकी है
कार किसी भी कंपनी की हो, मतलब एलन मस्क वाली Tesla की रेंज भी बमुश्किल 600 किलोमीटर होती है. ये भी आदर्श कंडीशन में. रेंज से इतर इनको चार्ज होने में भी घंटों लगते हैं. स्लो चार्जर की तो बात ही नहीं करते, फास्ट चार्जर भी 3-4 घंटे लेते हैं बैटरी फुल चार्ज करने में.
इसी दर्द की दवा लेकर आ गई है टोयोटा
जैसे हमने ऊपर ही बता दिया. कंपनी का दावा है कि उनकी बनाई हुई सॉलिड स्टेट बैटरी एक बार में 1200 किलोमीटर चलने वाली है. चार्ज होगी 10 मिनट में. माने कि इलेक्ट्रिक कार को लंबी दूरी तक चलाने की दिक्कत खत्म-खत्म-खत्म.
आपको लगेगा इतने उत्साहित क्यों हो रहे. भाई टोयोटा ने बोला है और दुनिया जहान के बड़े-बड़े मीडिया संस्थानों जैसे
लिथियम आयन (lithium-ion) यही वो बैटरी है जो इलेक्ट्रिक स्कूटर्स से लेकर स्मार्टफोन, इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर कार और इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तक में इस्तेमाल होती है. इलेक्ट्रॉनिक कॉन्फिग्रेशन के हिसाब से समझें तो लीथियम की बाहरी सेल में एक इलेक्ट्रॉन होता है जिसे लूज करके लीथियम आयन Li+ बनता है. ये एक तरल पदार्थ होता है जिसे लिक्विड इलेक्ट्रोलाइट कहते हैं. अब चूंकि ये तरल पदार्थ है तो इसके गर्म होने पर बैटरी के फूलने और फटने का दर्द हमेशा बना रहता है. हमने लिथियम आयन बैटरी के बारे में डिटेल में बताया है आप यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं.
तरल की बात जानबूझकर की क्योंकि इसी तरल की जगह टोयोटा लाने वाली है सॉलिड स्टेट बैटरी. सॉलिड मतलब सॉलिड इलेक्ट्रोलाइट. गर्म होने से लेकर प्रेशर झेलने की कई गुणा ताकत. ये वजन में भी हल्की और साइज में छोटी होगी. इसका फायदा बस इतने से समझ लीजिए कि आज की इलेक्ट्रिक कारों में बहुत सारा वजन बैटरी और उसको संभालने वाले तामझाम का होता है. तकनीक वाकई में क्या है वो अभी टोयोटा ने बताया नहीं. समझ भी आता है. कंपनी कार में फिट करके ही सारे राज खोलेगी.
# कब आएगी. ये दुखी करने वाली बात है क्योंकि कंपनी के मुताबिक इस बैटरी को कार में फिट करने में अभी तीन साल लगेंगे. वो भी कंपनी की प्रीमियम कार मॉडल Lexus में. साफ-साफ कहें तो पब्लिक को ये वाली बैटरी मिलने में 7 साल लगेंगे. सब ठीक रहा तो साल 2030 तक. कंपनी ने इसके लिए नई प्रोडक्शन यूनिट भी ओपन कर दी है.
# कीमत: ये भी एक दुख. अभी की बैटरी से महंगी. वजह बहुत पैसा, मेहनत और उन्नत तकनीक लगी है. हालांकि तकनीक का एक सुखद पहलू है. समय के साथ ये सुलभ और किफायती होती जाती है. आमतौर पर ऐसा ही होता है. वैसे हम बस मन बहलाने के लिए नहीं कह रहे. सालिड स्टेट बैटरी बनाने के पीछू तीन और बड़ी कंपनियां भी पड़ी हुई हैं. नाम है निसान, बीएमडबल्यू और Mercedes-Benz. इसके साथ में सोडियम से भी इलेक्ट्रिक बैटरी बनाने पर काम चल रहा.
कहने का मतलब अगर इसमें से कुछ भी पहले हो गया तो टोयोटा को इलेक्ट्रिक झटका लगेगा और नहीं हुआ तो हमें मतलब ज्यादा पैसे देना होंगे. जो भी हो इलेक्ट्रिक कारों की सबसे बड़ी दिक्कत खत्म हो चुकी है. वैसे आपको अभी पेट्रोल कार लेना चाहिए या फिर EV. कंफ्यूजन को हम दूर कर देते हैं. बस इधर क्लिक कर लीजिए.
वीडियो: कौन-कौन सी हैं इंडिया की टॉप इलेक्ट्रिक कारें?