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सेफ नहीं है टेलीग्राम? ये नया फ्रॉड आया है, एक क्लिक में बन रहा ये चेन किसी बड़ी ठगी की शुरुआत तो नहीं?

Cyber Crime के मामलों में स्कैमर्स ब्रेनवॉश की तरकीब अपनाते हैं. यानी कि आपको ये भरोसा दिलाया जाता है कि सामने वाला जो कह रहा है, आपके लिए वो करना जरूरी है. ऐसे में इस तरह Telegram हैक होने और संदेशों के इस चेन से किसी के लिए घबरा जाना आम बात है. इससे स्कैमर्स के लिए अपनी बात मनवाना आसान हो जाता है.

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टेलीग्राम के जरिए अलग तरह का स्कैम सामने आया है.

मैसेंजर ऐप टेलीग्राम (Telegram) को अब मैसेज करने के अलावा कई और कारणों से ज्यादा जाना जाता है. उस पर बाद में बात करेंगे. फिलहाल ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें देखा गया है कि आपके टेलीग्राम से कोई और मैसेज कर रहा है. और आपको इसका अंदाजा भी नहीं है. हाल में साइबर ठगी के जितने भी मामले सामने आए हैं, उनकी प्रक्रियाओं में कई ऐसे मौके देखे गए जहां इस बात के क्लू थे कि ये संदेहास्पद है. इन मामलों की बड़े स्तर पर रिपोर्टिंग भी हुई. इसके बावजूद कई पढ़े-लिखे और इन मामलों पर ठीक-ठीक जानकारी रखने वाले सजग युवा भी इसमें फंस गए. कारण क्या है? क्या ये संदेशों का एक चेन भर है? या ये किसी बड़े फ्रॉड की तैयारी है?

‘किसी अनजान लिंक पर क्लिक नहीं करना है. इससे ठगी होती है.' ये जानकारी कम से कम सोशल मीडिया पर सजग रहने वाले लोगों तक कभी न कभी, किसी न किसी माध्यम से पहुंची है. फिर भी मासूम मानव का ये जिज्ञासु मन, माने तो माने कैसे? लिंक क्लिक हो ही जाता है. और अगर मामला ऐसा हो कि लिंक आपके किसी भरोसेमंद व्यक्ति के टेलीग्राम से आया हो. जो ऐसे ठगों को लेकर बेहद सजग हैं. ऐसे में आप उस मैसेज पर संदेह नहीं करते और लिंक क्लिक कर देते हैं.

इस हैकिंग में फंसने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ा गया है. मसलन कि जो मैसेज भेजे जाते हैं वो आपके बेहद भरोसेमंद व्यक्ति के अकाउंट से बेहद रेलेवेंट होते हैं. जैसे, ऋषिकुल आयुर्वेदिक कॉलेज हरिद्वार में BAMS की पढ़ाई कर रहे छात्र रतन गिरी के अकाउंट से उनके दोस्तों को कुछ इस तरह के मैसेज भेजे गए,

“Here is the photos of me and my lover. (इस लिंक पर मेरे और मेरी प्रेमिका के फोटोज देखें.) Photos of you when you were a child. (इस लिंक पर अपने बचपन की तस्वीरें देखें.)

रतन के कुछ दोस्तों का कौतूहल मन मान नहीं पाया. उनके कुछ दोस्तों ने उनकी और उनकी प्रेमिका की तस्वीर देखने की अभिलाषा में लिंक पर क्लिक कर दिया. और मामला यहीं गड़बड़ा गया.

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ऐसे ही महाराष्ट्र के एक प्रमुख राजीतिक दल के लिए काम करने वाली स्पंदन दूबे के अकाउंट से उनके परिचितों के पास बचपन की तस्वीरें दिखाने का मैसेज भेजा गया. और बिहार के छपरा से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुके दिव्यांशु कुणाल के अकाउंट से भी कुछ ऐसा ही लिखा गया,

“There are your wonderful videos and pictures. (यहां आपके दिलचस्प वीडियो और फोटो हैं.)”

सवाल है कि इनके पास ये मैसेज कैसे आए और ये लोग इन संदेहास्पद लिंक्स की पहचान क्यों नहीं कर पाएं? इस पर स्पंदन कहती हैं,

"मैंने  इससे पहले महाराष्ट्र के एक विधायक के साथ काम किया था. मैं काम के लिए तैयार हो रही थी, हड़बड़ी में थी. तभी मेरे टेलीग्राम पर उसी विधायक के पीए का मैसेज आया. उसमें लिखा था, ‘Proud of you as a child’. मैं साइबर ठगी के बारे में खबरें पढ़ती हूं लेकिन वो मैसेज मेरे पुराने एंप्लॉयर से जुड़ा था. और उसे देखना मुझे जरूरी लगा. मुझे लगा वो मैसेज मेरे काम के बारे में होगा. और अभी चुनाव का भी माहौल है. इसलिए मैंने वो मैसेज खोला. मुझे लगा उन्होंने फोटो या वीडियो का लिंक भेजा है. उस लिंक पर क्लिक करते ही मैं इंटरनेट ब्राउजर पर गई. वहां टेलीग्राम जैसी ही एक वेबसाइट खुली. मुझे वो टेलीग्राम ही लगा. फिर मुझसे मेरा मोबाइल नंबर मांगा गया. मुझे लगा मेरा टेलीग्राम लॉगआउट हो गया है. इसलिए मैंने मोबाइल नंबर और OTP डाल दिया. यही गलती हो गई."

देश के अलग-अलग हिस्सों में रहे स्पंदन, दिव्यांशु और रतन के साथ करीब-करीब एक जैसी ही घटना हुई. उन्हें भी उनके बेहद करीबी और भरोसेमंद व्यक्ति का मैसेज प्राप्त हुआ.

इसके बाद स्पंदन के दोस्तों ने उन्हें कॉल और मैसेज करके बताया कि उनके टेलीग्राम से संदेहास्पद मैसेज भेजे जा रहे हैं. और वो मैसेज उनके अकाउंट से ‘डिलीट फॉर मी’ कर दिए जा रहे थे. इसके कारण उनको भी इसकी खबर नहीं लग पा रही थी. स्पंदन ने टेलीग्राम के सारे एक्टिव सेशन को टर्मिनेट किया. टेलीग्राम को दिए सारे परमिशन कैंसिल किए और फिर टेलीग्राम अकाउंट डिलीट कर दिया. और बाकी सोशल मीडिया के जरिए अपने परिचितों को बताया कि इन लिंक्स पर ध्यान ना दें. लेकिन तब तक देर हो चुकी थी. स्पंदन के कई दोस्त इस चपेट में आ गए थे. दिव्यांशु और रतन ने भी जल्दी से अपनी समझ के अनुसार जरूरी कदम उठाया और करीब-करीब उनका मामला यहीं रूक गया.

लेकिन स्पंदन का मामला यहीं नहीं थमा. असली ठगी की कोशिश इसके बाद की गई. स्पंदन बताती हैं,

“मुझे काम पर जाना था तो मैं जल्दी में थी. इसलिए मैंने ध्यान नहीं दिया कि मेरे पास विदेश के किसी नंबर से कॉल आया था. ISD नंबर था इसलिए मैं वापस कॉल नहीं कर पाई. करीब दो घंटे बाद मेरे पास ईरान के नंबर से एक कॉल आया. और मुझसे कहा गया कि वो एक टेलीकॉम कंपनी से बोल रहे हैं. और मेरे नंबर का गलत इस्तेमाल हुआ है इसलिए अगले 30 मिनट के अंदर मेरा नंबर बंद कर दिया जाएगा. मैं इस तरह के फ्रॉड के बारे में भी जानती हूं. उस वक्त तो मैंने फोन काट दिया. लेकिन मेरे दिमाग में आया कि मेरा टेलीग्राम तो हैक हुआ था तो इस बात की संभावना है कि उसका गलत इस्तेमाल हुआ हो. मैं और डर गई. मैं ये भी अंदाजा नहीं लगा पा रही थी कि मेरे टेलीग्राम से किस-किस को क्या-क्या मैसेज भेजा गया है? तो मैंने लोकल थाने में शिकायत दर्ज कराने का फैसला लिया.”

फोन नंबर ब्लॉक करने की धमकी देने के मामले पहले से आते रहे हैं. ऐसे भी बहुतेरे मामले आए हैं जिसमें फोन नंबर का ड्रग्स या मानव तस्करी या किसी बड़े अपराध में इस्तेमाल होने की बता कही जाती है. इसके बाद डिजिटल अरेस्ट जैसे अपराध को अंजाम दिया जाता है. ऐसे कई मामले आए हैं जिसमें कई पढ़े-लिखे या रिटायर्ड लोगों को डिजिटल अरेस्ट की धमकी देकर करोड़ों की चपत लगाई गई है. बहरहाल, स्पंदन पुलिस थाने पहुंचती हैं.

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पुलिस इन मामलों को लेकर कितनी सजग है?

इसके बाद कानून की पढ़ाई कर चुके अपने एक सहयोगी के साथ पीड़िता अस्टी पुलिस थाना पहुंची. इसके बाद की कहानी वो बताती हैं,

“एक पुलिसवाले ने मुझे बताया कि उनके परिवार के किसी सदस्य के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ है. और उन्होंने कंप्लेन लिखने से मना कर दिया. उन्होंने कहा कि ये साइबर क्राइम का मामला है. इसलिए मुझे जिला मुख्यालय में स्थित पुलिस थाने में जाना होगा. और उन्होंने ही बताया कि मुझे अपना फोन दो से चार घंटों के लिए पुलिस को देना होगा. मैं काम पर थी और मेरे लिए ऐसे वक्त में मोबाइल फोन जमा कराना संभव नहीं था. और 30 मिनट भी बीत चुके थे. स्कैमर्स ने इतने ही समय का अल्टीमेटम दिया था. मैंने देखा तो मेरा फोन ठीक चल रहा था. नंबर ब्लॉक नहीं हुआ था. मैं काम पर लौट गई.”

साइबर क्राइम की वेबसाइट से कितना सहयोग मिला?

पीड़िता बताती हैं कि उन्होंने साइबर क्राइम की वेबसाइट पर शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की. उन्होंने कहा,

“मैंने कई बार प्रयास किया. लेकिन इंटरनेट या सर्वर या पता नहीं किस कारण से वो शिकायत सबमिट ही नहीं हो रही थी. और मैं इतनी घबराई थी कि मुझे ये भी याद नहीं रहा कि कई प्रयासों के बाद भी शिकायत दर्ज हुई या नहीं. मेरे पास कोई मेल नहीं आया या किसी अधिकारी ने भी मुझसे संपर्क नहीं किया.”

संदेशों का चेन क्यों बनाया गया?

साइबर क्राइम के मामलों में स्कैमर्स ब्रेनवॉश की तरकीब अपनाते हैं. यानी कि आपको ये भरोसा दिलाया जाता है कि सामने वाला जो कह रहा है, आपके लिए वो करना जरूरी है. ऐसे में इस तरह टेलीग्राम हैक होने और संदेशों के इस चेन से किसी के लिए घबरा जाना आम बात है. इससे स्कैमर्स के लिए अपनी बात मनवाना आसान हो जाता है. इन तीनों और इनसे जुड़े दर्जनों केस में लल्लनटॉप ने पाया कि ये सब युवा या तो पढ़ाई कर रहे हैं या एक-दो साल के भीतर ही नौकरी की शुरुआत की है. एक मामला ऐसा है जिसमें व्यक्ति दो साल से अधिक समय से नौकरी कर रहा है. ऐसे में ये भी संभव है कि संदेशों के इस चेन से और उनमें घबराहट पैदा करने से वो इस बात का अंदाजा लगा रहे हो कि सामने वाले को ठगना संभव है या नहीं? क्योंकि जितने रेलेवेंट मैसेज यूजर के अकाउंट से भेजे जाते हैं, उससे ये साफ होता है कि उनके पास यूजर्स की व्यक्तिगत जानकारी होती है. मसलन कि आपके कॉन्टेक्ट लिस्ट में ऐसा कौन है जिस पर आप ठीक-ठीक भरोसा करते हैं. या वो कौन हैं जो आप पर भरोसा करते हैं. फिर उन्हीं के हिसाब से मैसेज कस्टमाइज किए जाते हैं.

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टेलीग्राम से कितनी मदद मिलती है?

रतन गिरी ने इस मामले की शिकायत टेलीग्राम से की. हालांकि, खबर लिखे जाने तक टेलीग्राम का कोई जवाब नहीं आया है.

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टेलीग्राम को लिखी गई शिकायत.

पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल (PMCH) में पढ़ाई कर रहे एक छात्र भी इसके शिकार हुए. जब उन्होंने टेलीग्राम से एक्टिव सेशन्स को ट्रमिनेट किया तो उन्होंने इस पर गौर किया. उन्होंने पाया कि संयुक्त राज्य अमेरिका के नॉर्थ बर्गन शहर से किसी ने उनके टेलीग्राम को एक्सेस किया था.

Telegram Fraud
एक्टिव सेशन का नोटिफिकेशन.
बचना कैसे है?

पहला तरीका है- लिंक के स्ट्रक्चर पर ध्यान देना. मसलन कि काम के लिंक .com, .in, .gov से खत्म होते हैं. अगर किसी url के अंत में ऐसा नहीं है तो उसे बिल्कुल क्लिक नहीं करना चाहिए. और अगर ऐसा है तो भी उस पर क्लिक करने से बचना चाहिए. अगर मैसेज भेजने वाला आपका परिचित है तो उसे फोन करके इस बात को कंफर्म करें कि ये किस चीज का लिंक है? उसके बारे में कुछ काउंटर सवाल भी पूछें. और पूरी तरह आश्वस्त होने के बाद भी अगर लिंक खोलने पर आपसे किसी तरह का OTP मांगा जाता है तो पीछे हट जाएं. क्योंकि आगे बढ़ने पर सिर्फ पैसों का ही नुकसान नहीं होता बल्कि आप मेंटल ट्रॉमा का भी शिकार हो सकते हैं.

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अब अगर किसी कारणवश लिंक क्लिक कर लिया और टेलीग्राम हैक हो गया तो क्या करें? सेटिंग में जाकर एक्टिव सेशन टर्मिनेट करें. लॉग आउट बिल्कुल भी ना करें. इससे अकाउंट सिर्फ आपके डिवाइस से लॉग आउट होगा और ठगों के लिए रास्ता और आसान हो जाएगा. टेलीग्राम को दिए सारे परमिशन कैंसिल करें. जैसे- कॉन्टेक्ट, गैलरी, फाइल्स, लोकेशन आदि. और अगर बहुत ज्यादा जरूरी ना हो तो कुछ समय के लिए टेलीग्राम अकाउंट डिलीट कर दें. याद रहे अकाउंट लॉग आउट करना, एक्टिव सेशन टर्मिनेट करना और अकाउंट डिलीट करना, ये तीनों अलग-अलग प्रक्रिया है. एक बार और याद दिला दूं कि लॉग आउट नहीं करना है.

और अगर बात इससे आगे बढ़ती है तो कुछ बेसिक बातें याद रखनी है. किसी को कोई OTP नहीं देना है बल्कि कोई भी व्यक्तिगत या बैंक संबंधित जानकारी नहीं देनी है. विदेशी नंबरों से आए कॉल अगर आपके परिचित के ना हो तो उसे उठाने से बचें. सबसे जरूरी बात, ये याद रखनी है कि डिजिटल अरेस्ट जैसा कुछ होता ही नहीं है. इन सब बातों को साइबर क्राइम की वेबसाइट पर जरूर रिपोर्ट करें. भले ही उसके लिए कई प्रयास करने पड़े. बाकी आप पुलिस से भी संपर्क करके देख सकते हैं.

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