दुनिया भर के रईसों के रुतबे के कई किस्से हमने और आपने सुने हैं और उनमें एक चीज कॉमन होती है. Rolls-Royce कौन सी है और कितनी है. ये नाम आपने आप में इतना दमदार है कि इसके आगे कार लिखने की भी जरूरत नहीं. जिसके पास Rolls-Royce है, वही उस शख्स की आर्थिक हैसियत का सबसे मजबूत पैमाना है. ऐसे रईसों के बीच तो बात सिर्फ़ इतनी होती है कि फलां के पास Rolls-Royce Phantom है तो दूसरे के पास Rolls-Royce Ghost. एक शब्द में लिख नहीं सकते, फिर भी कह देते हैं कि Rolls-Royce कार नहीं बल्कि एक स्टेटमेंट है.
रुतबा, रौला और Rolls-Royce, पर ये कंपनी तो मात्र 21 साल पुरानी ठहरी!
Rolls-Royce रईसों का रुतबा और रौला बताने वाली सदियों पुरानी गाड़ी है. पर ये असली Rolls-Royce है ही नहीं. असली Rolls-Royce तो कब की इतिहास में दर्ज हो गई. तो क्या ये नक़ली है. अरे नहीं जनाब. तौबा-तौबा कैसी बात कर दी. लेकिन ये वो भी नहीं जो हुआ करती थी. फिर ये है क्या? बताते.
मगर आप तो हमारे सुधि पाठक ठहरे. अब तक आपने अंदाज़ा लगा ही लिया होगा कि कुछ तो ऐसा है जो हम बताने वाले हैं. आप सही समझे. दरअसल ये असली Rolls-Royce है ही नहीं. मतलब अपने समृद्ध इतिहास वाली Rolls-Royce तो कब की इतिहास में दर्ज हो गई. तो क्या ये नक़ली है. अरे नहीं जनाब. तौबा-तौबा कैसी बात कर दी. लेकिन ये वो नहीं जो हुआ करती थी. फिर ये है क्या?
जब Rolls मिले Royce सेजो आपको लगे कि हम कोई बतोलेबाज़ी करने वाले हैं तो ऐसा बिल्कुल नहीं है. अभी की Rolls-Royce कंपनी महज़ 21 वर्ष पुरानी है. एक-एक बात बताएंगे लेकिन पहले जरा Rolls को Royce से मिला देते हैं. मतलब चलते हैं साल 1904 में जब Charles Rolls और Sir Henry Royce मिले और दुनिया की सबसे तेज कार बनाने का सपना देखा. 1877 में जन्मे Charles Rolls ने कैंब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. कॉलेज के पहले अंडरग्रेजुएट जिनके पास कार हुआ करती थी. यही कार का शौक इतना बढ़ गया कि लगे इंजन से खेलने. इतने मशहूर हो गए कि 'Dirty Rolls’ और ‘Petrolls’ जैसे निकनेम मिल गए. 1903 में उन्होंने अपनी कार को 83mph (133 किलोमीटर प्रति घंटा) से दौड़ा कर नया रिकॉर्ड भी बना दिया था. हालांकि सरकार ने सबूतों के अभाव में उसे माना नहीं. लेकिन Rolls बड़ा नाम बन चुके थे.
दूसरी तरफ़ थे Sir Henry Royce जो 1863 में पैदा हुए मगर एक बेहद ग़रीब परिवार में. अपना गुजारा चलाने के लिए उन्होंने अख़बार बेचे और तार विभाग में भी काम किया. 14 साल के होने पर उनको अपनी आंटी की मदद से Great Northern Railway Works में काम सीखने का मौक़ा मिला. इस मौके को उन्होंने जाने नहीं दिया और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग सीखी. इसके साथ फ्रेंच भाषा पर भी अपनी पकड़ बनाई. Royce ने अपने टैलेंट के दम पर दोस्त Ernest Claremont के साथ मिलकर एक कंपनी बनाई. कारों के जुनून के चलते उन्होंने French Decauville नाम की कार को ब्रिटेन में आयात किया और उसकी कई खामियां भी ढूंढ निकालीं. जब अपने मन की कार नहीं मिली तो ख़ुद साल 1903 में Royce 10hp नाम से कार बना डाली. उनका नाम भी उनकी कार की रफ़्तार जैसे खूब दौड़ा.
इधर Charles Rolls थोड़े परेशान चल रहे थे. दरअसल वो अभी भी अपनी कार नहीं बना पाए थे और जर्मन कारों को आयात करते थे. इसी दौरान Royce की कंपनी के शेयर होल्डर Henry Edmunds ने Rolls को Royce से मिला दिया. 4 May 1904 की दस मिनट की मीटिंग और फिर जो हुआ वो इतिहास है. कंपनी बनी Rolls-Royce जिसने अगले 67 सालों तक दुनिया के रईसों के दिलों पर राज किया. कारों के साथ हवाई जहाज़ के इंजन भी बनाये. हालांकि कंपनी की इस सफलता में उनके मार्केटिंग मैनेजर Claude Johnson का भी खूब योगदान रहा. उनके काम की एक बानगी देखिए. उन्होंने अपनी एक कार के विज्ञापन में लिखा, ‘The six-cylinder Rolls-Royce – not one of the best, but the Best Car in the World.’ सब ठीक चल रहा था. लेकिन फिर आया साल 1971
तेल Rolls-Royce को बहा ले गयासाल 1971 में तेल की कमी ने ऐसा प्रभाव छोड़ा की लग्ज़री कार निर्माता के हवाई जहाज़ इंजन वाले डिवीजन को भयंकर दिक्कतें आईं. कंपनी आसमान से सीधे जमीन पर आ गई. ब्रिटिश सरकार को कंपनी के इस डिवीजन का राष्ट्रीयकरण तक करना पड़ा. इसका सीधा असर कार डिवीजन पर भी पड़ा. 1973 में Rolls-Royce Motors के नाम से नई कंपनी बनाई गई. हालांकि इसका असर तब नहीं दिखा बल्कि उसी समय लॉन्च हुई Corniche ने तो लग्जरी कार के लिए लोगों की दीवानगी और बढ़ा दी. लेकिन 1980 आते-आते कंपनी की रफ़्तार थमने लगी. इसी समय कंपनी को Vickers नाम के ग्रुप ने ख़रीद लिया. कंपनी ने बाज़ार में बने रहने के लिए कई नए प्रयोग भी किए. मसलन ग्राहक चाहते तो पिंक कलर में बाघ के प्रिंट वाली कार भी खरीद सकते थे. ब्रिटिश कंपनी इसके पहले तक अपने नियम से ही कारें बनाती थी.
अगले एक दशक में कंपनी की हालत बहुत ख़राब हुई और 1998 में Volkswagen Group ने Rolls-Royce का कार डिवीजन खरीद लिया. लेकिन-लेकिन-लेकिन यहां BMW ने खेला कर दिया. Volkswagen को सब मिला मतलब फैक्ट्री से लेकर मार्केट तक मगर Rolls-Royce नाम और उसकी असल पहचान logo बीएमडब्ल्यू के हिस्से आया. मतलब Volkswagen के हाथ तो आया मगर मुंह नहीं लगा. उन्होंने Bentley जैसे अपने बड़े ब्रांड से कारें बेचना भी चाहीं मगर Rolls-Royce का रुतबा नहीं मिला.
साल 2003 में बनी नई कंपनीJanuary 1, 2003 को BMW और Volkswagen के बीच समझौता हुआ और फिर BMW के मालिकाना हक वाली एक नई कंपनी बनी. इसी कंपनी ने उसी साल Rolls-Royce, Phantom लॉन्च की. 2009 में आई Ghost, 2013 में Wraith और 2015 में Dawn. साल 2018 में Cullinan के साथ कंपनी ने अल्ट्रा-लग्जरी SUV सेगमेंट में भी कदम रखा. आज कंपनी अपने पुराने रुतबे पर वापस लौट चुकी है मगर ये भी सही है कि Rolls और Royce वाली कंपनी तो इतिहास में कहीं खो गई. बचा ब्रांड नेम जो आज भी रौला जमा रहा.
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