ठगी ठगी ठगी, जब भी लगता है चलो अभी शांति है तभी कुछ नया सामने आ जाता है. लगता है मानो इन ठगों के पास कोई अलादीन का चिराग है जिसे घिसते ही ठगी का एक नया आइडिया बाहर आ जाता है. ठगी के तमाम मामले रोज़ सामने आते हैं. जिसमें से कई हम आपसे साझा करते हैं. ऐसा ही एक और मामला हमारी नजर में आया. मामला तो बतायेंगे मगर पहले इस बार ठगों की हिम्मत की दाद देते हैं. इतना जिगरा आ गया है कि बाकायदा घर पर आकर कैश ऑन डिलेवरी करने की बात कर रहे.
नई-नई कार खरीदी है तो ठगी के इस तरीके के लिए तैयार रहिए वरना ब्रेक...
ठगी के इस नए तरीके के टारगेट कस्टमर हैं कार मालिक, विशेषकर वो जिन्होंने नई-नई कार खरीदी है. ऐसे कार मालिकों को Roadside Assistance के नाम पर चूना लगाया जा रहा है. कार्ड बनाकर घर पर भेजने का लालच दिया जा रहा है. क्या है पूरा चक्कर, उसके लिए आप पहले अपनी कार को ब्रेक लगा लीजिए.
ठगी के इस नए तरीके के टारगेट कस्टमर हैं कार मालिक, विशेषकर वो जिन्होंने नई-नई कार खरीदी है. ऐसे कार मालिकों को Roadside Assistance के नाम पर चूना लगाया जा रहा है. कार्ड बनाकर घर पर भेजने का लालच दिया जा रहा है. क्या है पूरा चक्कर, उसके लिए आप पहले अपनी कार को ब्रेक लगा लीजिए.
Roadside Assistance के नाम पर चूनाठगी के इस नए तरीके के बारे में आगाह किया है labour law advisor ने. दरअसल ठगों ने इस बार गलत नंबर डायल कर लिया और उन्होंने लेबर लॉ एडवाइज़र के ऋषभ जैन को फोन घुमा दिया. ऋषभ ने पूरी बातचीत को रिकॉर्ड कर लिया. बातचीत के मुताबिक ठगों ने टाटा मोटर्स के आधिकारिक प्रतिनिधि के तौर पर अपना परिचय दिया. उनसे कहा कि आपने हाल फिलहाल में जो नई गाड़ी खरीदी है उसका Roadside Assistance कार्ड (RSA) cards अभी तक आपको नहीं मिला है. बताते चलें कि Roadside Assistance एक किस्म की सुविधा है जो कार कम्पनियां और बीमा कम्पनियां अपने ग्राहकों को मुहैया करवाती हैं. कई बार ये सर्विस ऑफर का हिस्सा होती है तो कई दफा इसके लिए पैसे भी अदा करने होते हैं. जो कभी गाड़ी बीच रास्ते बंद हो जाए या फिर कोई और दिक्कत आ जाए तो इस सर्विस की मदद से उसे ठीक करवाया जा सकता है. अगर दिक्कत बड़ी है तो नजदीकी गैराज तक पहुचानें का प्रबंध भी इसी सर्विस से होता है.
क्योंकि ऋषभ ने नई कार खरीदी थी तो ठग चले थे उनको असिस्टेंस देने. बोला गया कि कार्ड पांच साल तक वैलिड रहेगा और पूरे इंडिया में मान्य होगा. कार्ड को एक्टिव करवाने के लिए उनको 4500 रुपये चुकाना होंगे. कमाल की बात ये पैसा ऑनलाइन नहीं देना था. जब कार्ड घर पर पहुंच जाएगा तो फिर कैश या ऑनलाइन पेमेंट कर सकते हैं. ठगों के पास उनकी कार के डिटेल्स भी थे. ऋषभ और उनकी टीम खुद ऐसे कारनामों पर जनता को जागरूक करती है तो वो झांसे में नहीं आए.
मगर जरूरी नहीं कि हर किसी के साथ ऐसा होगा. ये फोन टाटा की तरफ से नहीं था. टाटा से लेकर कोई भी कार कंपनी या बीमा कंपनी ऐसा कोई कॉल नहीं करती हैं. Roadside Assistance के लिए उनका एक कस्टमर केयर नंबर होता है जहां फोन घुमाते ही काम हो जाता है. ये वाला एक फर्जी कॉल था. कार्ड आता तो जरूर मगर नकली होता. पैसे बर्बाद होते.
जागरूक रहिए
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