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Elon Musk मुंह ताकते रह गए, Jio ने आसमान से इंटरनेट देकर धमाका कर दिया!

Jio के मुताबिक, भारत के चार सबसे दूरस्थ स्थानों को पहले ही Jio Space Fiber से जोड़ा जा चुका है. यह इलाके-गिर (गुजरात), कोरबा (छत्तीसगढ़), नबरंगपुर (ओडिशा) और जोरहाट (असम) हैं. यह तकनीक सैटेलाइट रिसीवर डिश के जरिए इंटरनेट ट्रांसमिट करने के लिए रेडियो वेव्स का इस्तेमाल करती है, जो एक मॉडेम से जुड़ा होता है. यह टेक्नोलॉजी 1GB प्रति सेकंड तक की स्पीड देने में सक्षम है.

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Jio Space Fiber

Jio 5G और Jio Air Fiber के बाद अब Reliance Jio ने सैटेलाइट बेस्ड ब्रॉडबैंड सर्विस Jio Space Fiber पेश कर दी है. कंपनी ने दूरदराज के इलाकों तक हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंचाने वाली इस सर्विस की पहली झलक 'इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2023' में दिखाई है. 'जियो स्पेस फाइबर' एक सैटेलाइट बेस्ड गीगा फाइबर टेक्नोलॉजी है, जो उन दुर्गम इलाकों को कनेक्ट करेगी जहां फाइबर केबल से ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी पहुंचाना मुश्किल भरा काम है. आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि एलन मस्क के मालिकाना हक वाली Starlink और एयरटेल वनवेब भी सैटेलाइट से इंटरनेट देने की होड़ में हैं.

कंपनी के मुताबिक, भारत के चार सबसे दूरस्थ स्थानों को पहले ही जियो स्पेस फाइबर से जोड़ा जा चुका है. यह इलाके-गिर (गुजरात), कोरबा (छत्तीसगढ़), नबरंगपुर (ओडिशा) और जोरहाट (असम) हैं. यह तकनीक सैटेलाइट रिसीवर डिश के जरिए इंटरनेट ट्रांस्मिट करने के लिए रेडियो वेव्स का इस्तेमाल करती है, जो एक मॉडेम से जुड़ा होता है. यह टेक्नोलॉजी 1GB प्रति सेकंड तक की स्पीड देने में सक्षम है.

हालांकि, कंपनी ने इसके प्लान और तकनीक के बारे में अभी ज्यादा जानकारी नहीं दी है, मगर स्टारलिंक के जरिए इसको काफी हद तक समझा जा सकता है. स्टारलिंक किट, जिसमें होता है एक डिश, एक वाई-फाई राउटर, पॉवर सप्लाई केबल्स और माउंटिंग ट्राइपॉड. खुले आसमान या छत के नीचे रखकर इसको एंड्रॉयड और iOS ऐप के जरिए मॉनिटर किया जाता है. लो ऑर्बिट मतलब धरती से 550 किलोमीटर ऊपर उड़ते करीब 2,700 से ज्यादा सैटेलाइट के जरिए इनको सिग्नल मिलता है. कंपनी के मुताबिक, उसने अभी तक 3,451 सैटेलाइट लॉन्च किए हैं और भविष्य में 12,000 सैटेलाइट लॉन्च करने वाली है. कंपनी दावा करती है कि सैटेलाइट नेटवर्क से यूजर्स देश के किसी भी कोने में हाई-स्पीड और लो-लेटेंसी इंटरनेट हासिल कर सकते हैं .

स्टारलिंक की सबसे बड़ी ताकत इसका लो ऑर्बिट में होना है. सामान्य तौर पर ऐसे सैटेलाइट धरती से 36,000 किलोमीटर दूर स्थित होते हैं और इनकी लेटेंसी 600 मिनट्स से अधिक होती है. दूसरी तरफ स्टारलिंक में ये सिर्फ 20 मिली/सेकंड के आस-पास होती है. आपको लगेगा ये लेटेंसी क्या बला है? तो लेटेंसी से मतलब वो समय जो डेटा को एक जगह से दूसरे जगह तक पहुंचने में लगता है. स्टारलिंक अपनी इसी तकनीक का उपयोग करके युद्धग्रस्त यूक्रेन में इंटरनेट दे रहा है.

रिलायंस जियो ने सैटेलाइट बेस्ड ब्रॉडबैंड सर्विस के लिए SES ग्रुप के साथ हाथ मिलाया है जो इस फील्ड में एक जाना-माना नाम है. इससे संबंधित बाकी डिटेल्स हम आपसे साझा करते रहेंगे.