हमारे एक दोस्त कुछ महीनों पहले बड़े सुखी थे. चौड़े में आकार बताए थे कि उन्होंने नया iPhone और कुछ दूसरे इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट कम कीमत पर खरीदे हैं. बैंक डिस्काउंट तो लिया ही, साथ में GST पर बिल करके 18 फीसदी और बचा लिया है. दोस्त की खुशी में अपन भी खुश हो लिए. मगर अब जनाब दुखी प्रो मैक्स हो गए हैं. दोस्त ने दूसरे दोस्त का GST इस्तेमाल किया था प्रोडक्ट लेने के लिए. लेकिन अब उनको इनकम टैक्स से नोटिस आ गया है. पूछा जा रहा है कि भईया फोन तो आप बिजनेस के वास्ते लिए हो. अब साबित भी करो.
किसी और के GST पर प्रोडक्ट लेकर कर रहे हल्ले, तो पड़ेंगे IT विभाग के जोरदार बल्ले!
दोस्त के जीएसटी नंबर पर अगर आपने कोई प्रोडक्ट लेकर बचत कर ली है तो ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं. इनकम टैक्स आपके दोस्त को नोटिस थमा सकता है. पूछ सकता है कि भईया प्रोडक्ट तो आप बिजनेस के लिए लिए हो. अब साबित भी करो. अगर नहीं कर पाए तो फिर पेनल्टी और इंटरेस्ट भरो.

अगर नहीं कर पाए तो फिर पेनल्टी और इंटरेस्ट भरो. नहीं भरना तो फिर ट्रिब्यूनल में जाओ. कहने का मतलब जितना पैसा GST में बचाया था अब उससे कहीं ज्यादा चुकाना पड़ेगा अगर फोन बिजनेस में इस्तेमाल नहीं हो रहा. क्या करें फिर? चलिए बताते हैं.
क्या है GST का फंडा?इसको समझ लीजिए तो फिर काफी कुछ आसान हो जाएगा. GST बिल बनवाने पर टैक्स में बचत तो होती है, मगर वैसे नहीं जैसे आपको और हमें लगता है. मतलब जैसे कोई प्रोडक्ट 100 रुपये का है और उस पर 18 फीसदी GST है तो दिखने में लगेगा कि 82 रुपये देने से काम हो जाएगा. मगर असल में ऐसा नहीं है.
आपको पहले-पहल 100 रुपये ही देना होंगे. हां जो बिल बनेगा उसमें 18 फीसदी GST का जिक्र होगा. इसमें 9 फीसदी SGST, माने स्टेट का, और 9 फीसदी CGST यानी सेंट्रल का होता है. ये जो 18 फीसदी है वो मिलेगा GST रिटर्न के तौर पर. वही रिटर्न जो हर तीन महीने में GST धारक भरता है. आसान भाषा में कहें तो तीन महीने की खरीदी और बिक्री का हिसाब-किताब. हां पैसा अभी भी नहीं मिलेगा.

ये पैसा जाएगा GST अकाउंट में. मतलब जो आपके 18 रुपये बचे थे वो इस अकाउंट में रहेंगे. अब तिमाही का GST रिटर्न 100 रुपये बना तो GST धारक को 82 रुपये और देने होंगे. कहने का मतलब अगर जो आपको लगता है कि बिल के टाइम ही 18 रुपये बच गए तो भूल जाइए. वो तो भलमनसाहत में दोस्त आपको तुरंत पैसे दे देता है. GST का गुणा-गणित समझ लिया, अब वापस आते नोटिस पर.
इनकम टैक्स का नोटिसनोटिस आपको कुछ महीने में और कुछ सालों में आ सकता है. जो आप प्रोडक्ट वाकई बिजनेस के लिए इस्तेमाल कर रहे तो उसका प्रूफ बता दीजिए. मसलन, फोन कौन चलाता है और किसलिए इस्तेमाल करता है. फ्रिज ऑफिस में ही इस्तेमाल हो रहा या फैक्ट्री में. अगर नहीं तो फिर बिना हल्ले के इंटरेस्ट और पेनल्टी भर दीजिए. ट्रिब्यूनल में अपील करना और दुखी करेगा. वहां वकील की फीस इन सबसे महंगी पड़ेगी.
कथा सार ये कि कोई भी प्रोडक्ट GST पर तभी खरीदें जब वो वाकई में बिजनेस में इस्तेमाल होगा.
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