UPI पेमेंट हमारे देश में अब कोई फीचर नहीं रहा. ये अब हमारी जीवन शैली का एक हिस्सा है. क्या महानगर और क्या कोई छोटा सा गांव. खरीददारी के बाद अगर पेमेंट के लिए कैश थमा दो तो सामने वाला आंखें तरेरने लगता है. आंकड़े भी इसकी गवाही देते हैं. दिसंबर 2024 तक UPI से लेनदेन का आंकड़ा 16.73 बिलियन तक पहुंच गया था. ऐसे में UPI के एक ऐप की बात करना बनता है जो कभी परिवार का ‘नालायक और निकम्मा बेटा' (phonepe success story) था. मगर आज बाजार के आधे हिस्से पर काबिज है.
UPI के लिए PhonePe यूज करते हैं? 'निठल्ली औलाद से कमाऊ पूत' बनने की कहानी नहीं पता होगी
बात करेंगे PhonePe की. कैसे एक अदना सा पेमेंट ऐप (phonepe success story) जो शायद UPI के लिए बना ही नहीं था. मगर जब इसने अपना जलवा बिखेरना चालू किया तो विदेश में बैठी एक कंपनी की बल्ले-बल्ले हो गई. PhonePe के पास आज यूपीआई मार्केट का 49.76 फीसदी हिस्सा है.

बात करेंगे PhonePe की. कैसे एक अदना सा पेमेंट ऐप जो शायद UPI के लिए बना ही नहीं था, मगर जब इसने अपना जलवा बिखेरना चालू किया तो विदेश में बैठी एक कंपनी की बल्ले-बल्ले हो गई.
UPI में PhonePeसबसे पहले आज की तारीख के आंकड़ों से स्टार्ट करते हैं. फिर पूरी कहानी बताते हैं. PhonePe के पास UPI मार्केट का 49.76 फीसदी हिस्सा है. Google Pay के पास 36 फीसदी हिस्सा है तो Paytm सिर्फ 5.5 फीसद पर सिमट गया है. बचे हुए 8.74 में बाकी खिलाड़ी, मसलन बैंक या दूसरे ऐप्स हैं. PhonePe ने अपनी नंबर वन पोजिशन पिछले कई सालों से बरकरार रखी हुई है.
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यहां एक बात गौर करने लायक है कि बाजार की परंपरा से उलट PhonePe के पास first mover advantage भी नहीं है. मतलब UPI में इससे पहले Paytm आ चुका था. साल 2016 में Paytm और 2017 में गूगल ने एंट्री कर ली थी. वैसे तो PhonePe भी 2015 में बन गया था, मगर फ्लिपकार्ट के लिए.
फ्लिपकार्ट फेल तो PhonePe पासदरअसल साल 2014 में जब भी फ्लिपकार्ट कोई भी बड़ी सेल अनाउंस करता तो उसका पेमेंट सिस्टम बैठ जाता था. क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड के डिटेल स्क्रीन पर राउंड-राउंड घूमते रहते थे. इस बात की खबर लगी Sameer Nigam को जो एक समय फ्लिपकार्ट में बड़े पद पर थे.
समीर और उनके एक और पार्टनर Rahul Chari ने December 2015 में ऐप बनाया और अप्रैल 2016 में इसे फ्लिपकार्ट ने खरीद लिया. फ्लिपकार्ट का काम चलने लगा तो PhonePe भी धीरे-धीरे भारतीय बाजार में बढ़ रहा था. ऐप ने सबसे पहले सीधे बैंक अकाउंट से पैसे ट्रांसफर करने का ऑप्शन दिया जो यूजर्स को खूब पसंद आया.

कहानी बढ़ रही थी मगर रफ्तार से नहीं. तभी August 2018 में अमेरिकी दिग्गज वॉलमार्ट ने फ्लिपकार्ट का अधिग्रहण कर लिया. फ्लिपकार्ट गया तो उसके साथ PhonePe भी गया, मगर बस यूं ही. एकदम वैसे जैसे पुराने घर से नए घर में शिफ्ट होते हैं तो कोई पुराना सामान बस याद के लिए उठा लाते हैं. तब UPI नया-नया था और देश में भी इसके यूजर कम ही थे. मगर ये वही दौर था जब देश 2016 की नोटबंदी के बाद डिजिटल दुनिया में जा रहा था. वॉलमार्ट को PhonePe में पेमेंट का फ्यूचर नजर आया और उसने साल 2018 में 200 मिलियन डॉलर लगा दिए.
इधर PhonePe ने अपने आसान यूजर इंटरफेस और बेहतरीन सॉफ्टवेयर से अपना जलवा दिखाना चालू कर दिया था. वॉलमार्ट ने फ्लिपकार्ट का अधिग्रहण 11.8 बिलियन डॉलर में किया था और उस समय PhonePe की वैल्यू सिर्फ $1.5 billion डॉलर थी. मगर सिर्फ एक साल में यानी 2019 में इसकी वैल्यू 7 बिलियन डॉलर पहुंच गई. वॉलमार्ट के शेयर 125 डॉलर से 165 डॉलर तक उठ गए. नतीजतन, उसने साल 2020 में 700 मिलियन डॉलर और इन्वेस्ट किए.
बाजार का किंगआज PhonePe के पास बाजार का आधा हिस्सा है. कंपनी की वैल्यू 12 बिलियन मतलब 1 लाख करोड़ रुपये से ऊपर की है. दिसंबर 2022 में कंपनी फ्लिपकार्ट से पूरी तरह अलग होकर वॉलमार्ट का हिस्सा बन चुकी है.

कंपनी ने साल 2024 में 5,064 करोड़ का कारोबार किया है. हालांकि अभी भी कंपनी 2000 करोड़ के घाटे में है. मगर खुद वॉलमार्ट इसके भविष्य को लेकर आशान्वित है. ‘निठल्ला बेटा अब कमाऊ पूत’ बन गया है.
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