दवा खरीदते समय सबसे पहले लोग क्या देखते हैं? एक्सपायरी डेट. कंपोजीशन भले ना देखें, एक्सपायरी डेट जरूर देखी जाती है. फिर टीवी में देख-देख कर लोग थोड़ा और सजग हो गए. अब होशियार लोग पैक्ड फूड पर भी एक्सपायरी डेट देख लेते हैं. लेकिन कभी किसी ये सोचा क्या कि अपने स्मार्टफोन की भी एक्सपायरी डेट होती होगी? शायद नहीं. इसके वजहें भी हैं. मसलन हम फोन तो कुछ साल में बदल देते हैं या अगर वो अपने से खराब हो जाए तो भी नया ले लेते हैं. मगर आपको जानकर हैरानी होगी की स्मार्टफोन की भी एक्सपायरी होती है. अगर उसके बाद फोन इस्तेमाल किया जाए तो दिक्कत हो सकती है. कैसे? अभी जान लीजिए.
दवा और दूध के पैकेट पर एक्सपायरी देखना छोड़िए, अपने फोन की एक्सपायरी डेट पता है आपको?
स्मार्टफोन की एक्सपायरी डेट (End Of Life) की बात करना इसलिए जरूरी है क्योंकि हाल फिलहाल में कई स्मार्टफोन कंपनियों ने कई सालों के लिए सॉफ्टवेयर अपडेट देने की बात कही है. सैमसंग जहां चार साल तक अपडेट देगा तो गूगल 7 सालों तक. ऐसे में ये समझना जरूरी है कि क्या इतने सालों तक फोन चलेंगे भी.
स्मार्टफोन की एक्सपायरी डेट (End Of Life) की बात करना इसलिए जरूरी है क्योंकि हाल फिलहाल में कई स्मार्टफोन कंपनियों ने कई सालों के लिए सॉफ्टवेयर अपडेट देने की बात कही है. सैमसंग जहां चार साल तक अपडेट देगा तो गूगल 7 सालों तक. ऐसे में ये समझना जरूरी है कि क्या इतने सालों तक फोन चलेंगे भी.
आमतौर पर स्मार्टफोन की उम्र को उसकी बैटरी से देखकर जोड़ा जाता है मगर ये पूरा सच नहीं है. मतलब स्मार्टफोन में इस्तेमाल होने वाली Li-ion बैटरी की एक उम्र होती है. मोटा-माटी 300 से 500 साइकिल. साइकिल से मतलब बैटरी का पूरी तरह डिस्चार्ज होकर 100 फीसदी चार्ज होना. अब ऐसा हर बार तो नहीं होता. मतलब कभी हम 50 फीसदी पर भी चार्ज करते हैं और कभी 70 पर भी. ऐसे में एक साइकिल का समय अलग-अलग होता है. इसलिए 300 से 500 साइकिल मलतब आराम से तीन साल.
ऐप्पल भी ऐसा ही मानता है. माने कि अगर आईफोन इस्तेमाल के दो साल बाद भी 80 फीसदी बैटरी क्षमता दिखाता है तो कोई दिक्कत नहीं. वापस आते हैं स्मार्टफोन की उम्र पर. अगर बैटरी तीन साल में अपनी क्षमता से बहुत कम भी हो गई तो कोई बात नहीं. नई लगवा लीजिए. हां, अगर ऐसा करने में देरी की तो बैटरी के केमिकल से फोन के दूसरे पार्ट खराब हो सकते हैं. इसका असर सीधा फोन पर पड़ेगा. अब अगर आपने समय रहते नई बैटरी लगवा ली तो आपको आराम से 4-5 साल मिलेंगे फोन के साथ.
स्मार्टफोन मेकर्स खासकर एंड्रॉयड भी आजकल इतने ही सालों का अपडेट देने लगे हैं तो ये बात सही भी लगती है. ऐप्पल तो पहले से 5-6 साल तक अपडेट देता ही है. लेकिन जैसा हमने कहा, ये एक फैक्टर है. एक और फैक्टर है फोन की स्क्रीन.
आजकल के मॉडर्न फोन एमोलेड डिस्प्ले के साथ आते हैं और समय के साथ इनकी क्षमता कम होती जाती है. स्क्रीन की ब्राइटनेस कम होने लगती है और साथ में टच रिस्पॉन्स में भी फर्क आता है. एमोलेड और OLED पैनल बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक LG तो इनके 1 लाख घंटे तक चलने की बात करती है. इस गणित (10000/24= 4166 दिन) के हिसाब से तो एक पैनल लगभग 10 साल से भी ज्यादा चलेगा.
मगर ये रोज के 10 घंटे से इस्तेमाल के लिए है. लेकिन फोन तो इससे कहीं ज्यादा इस्तेमाल हो रहे. तो अगर औसत 15 घंटा भी पकड़ें तो 6-7 साल. आपको लगेगा कोई एक आंकड़ा क्यों नहीं तो जनाब स्मार्टफोन का इस्तेमाल हर यूजर के हिसाब से अलग है इसलिए एकदम सटीक बताना मुश्किल है.
मगर अब जब गूगल ने अपने पिक्सल फोन के लिए सात साल का अपडेट का वादा किया है और आईफोन में पहले से 5-6 साल तक अपडेट आते हैं तो, ऐसा माना जा सकता है कि एक प्रीमियम फ़्लैगशिप की उम्र 5 से 7 साल के बीच होगी. वैसे ये यूजर के इस्तेमाल पर भी निर्भर करेगा. मसलन बेहद गरम और बेहद ठंडे मौसम में इस्तेमाल, लगातार चार्जिंग फोन की उम्र कम करते हैं. ये सारे वो फैक्टर हैं जो सामने दिखते हैं.
एक खेल सिक्योरिटी अपडेट का भी है. ये आपके फोन में जब मिलना बंद हो जाए, समझ लेना बदलने का टाइम आ गया. बिना सिक्योरिटी अपडेट वाला फोन हैकर्स के लिए सोने की खान है. आराम से सेंध लगा सकते हैं.
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