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OnePlus: कभी फ्लैगशिप किलर कही जाने वाली कंपनी सने-सने 'किल' हो रही है क्या

कभी फ्लैगशिप किलर रही OnePlus में से तकरीबन सब कुछ माइनस (OnePlus is dying) हो रहा है. कंपनी पूरे जतन के बाद भी इंडियन मार्केट में अपनी जगह बचाने के लिए संघर्ष कर रही है. बिक्री में भयंकर गिरावट के आंकड़े भी इसकी गवाही देते हैं.

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OnePlus के दिन वाकई बुरे चल रहे

साल 2014 की बात है जब एक बड़ा बदलाव हुआ. स्मार्टफोन के बाजार में साउथ कोरियन Samsung और अमेरिकी कंपनी Apple मजबूती से अपना रुतबा बना चुके थे. iPhone यूजर्स को सिर्फ मॉडल बदलने की चिंता होती थी और एंड्रॉयड में सैमसंग सबसे बढ़िया चॉइस था. लगता था कि कौन ही इनको चुनौती देगा. तभी एक चीनी कंपनी ने नई पारी स्टार्ट की. पहली ही बाल पर सिक्सर मार दिया. फिर शतक भी बनाया. लगा जैसे आराम से मैच जीत ही लिया. लेकिन दो ओवर रहते हार गए. इशारा OnePlus की तरफ है.

कभी फ्लैगशिप किलर रही OnePlus में से तकरीबन सब कुछ माइनस हो रहा है. कंपनी पूरे जतन के बाद भी इंडियन मार्केट में अपनी जगह बचाने के लिए संघर्ष कर रही है. बिक्री के आंकड़े भी इसकी गवाही देते हैं. हुआ क्या है?

OnePlus या सब माइनस

सबसे पहले जरा बिक्री के नंबर्स पर नजर डाल लेते हैं. IDC India की रपट के मुताबिक साल 2023 में कंपनी के पास बाजार में 6.1 फीसदी हिस्सेदारी थी मगर साल 2024 में ये गिरकर 3.9 रह गई है. यहां पर शायद आपको लगे कि क्या हुआ जो एक साल में 36 फीसदी हिस्सेदारी कम हो गई, तो जनाब कुछ साल पहले तक कंपनी बाजार के 21 फीसदी हिस्से पर काबिज थी. मतलब कुछ साल में 21 से 3 पर आ गिरे हैं. ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि कुछ साल पहले तक एंड्रॉयड स्मार्टफोन में नंबर 2 तक पहुंच गई कंपनी के साथ हुआ क्या है. फ्रेश और स्टॉक एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम वाली कंपनी का ‘सिस्टम’ क्यों हिला हुआ है. पहले सिर्फ स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनी आज स्मार्टवाच से लेकर टैबलेट भी बना रही है मगर मार्केट से सने-सने गायब होती जा रही है. इसके पीछे ढाई कीलें हैं.

ताबूत की पहली कील

वैसे तो हरे रंग को देखकर सुकून ही मिलता है मगर जब यही हरा रंग स्मार्टफोन की स्क्रीन पर दिख जाए तो चैन-ओ-सुकून खत्म हो जाता है. स्क्रीन का हरा रंग देखकर यूजर्स के मुंह लाल हो जाते हैं. OnePlus के साथ भी यही हुआ. वैसे तो स्मार्टफोन स्क्रीन में ग्रीन लाइन का आना तकरीबन हर कंपनी की समस्या है मगर OnePlus के लिए ये बड़ी लंबी लाइन साबित हुई.

OnePlus is now really struggling in India
OnePlus

2021 में जहां कुछ डिवाइस इस परेशानी से जूझ रहे थे वहीं 2023 आते-आते ये बड़ा मुद्दा बन गया. सोशल मीडिया ग्रीन लाइन की इमेज से रेड होने लगा तो कंपनी हरकत में आई. कुछ सीरीज के फोन को बदलने का ऑफर दिया और कुछ को थोड़ा पैसा लेकर अपग्रेड करने का. यूजर्स इससे खुश तो नहीं थे मगर जितना मिल रहा उतने में काम चला लिया.

लगा मामला सेटल हो जाएगा मगर पिछले साल यानी 2024 में फिर एक कांड हुआ. कई सारे स्मार्टफोन के मदरबोर्ड अचानक से उड़ने लगे. कोई बात नहीं क्योंकि प्रोडक्ट में दिक्कत आना समझ में आता है. मगर इसकी रिपेयर कॉस्ट ने बवाल कर दिया. उदाहरण के लिए OnePlus 10 के मदरबोर्ड को बदलने का खर्चा 42000 रुपये जबकि नया फोन ही 45000 हजार में उपलब्ध है. रिपेयर का ये खर्च फोन के वारंटी में होने पर है. ऐसे में वारंटी खत्म होने के बाद क्या होगा. उसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है. 

OnePlus is now really struggling in India
OnePlus

अक्सर ऐसा कुछ होने पर हम कहते हैं कि जितने के ढोल नहीं उतने के मजीरे फूट गए. लेकिन यहां तो पूरा ढोल और मजीरे दोनों फूट गए. वैसे प्रोडक्ट की गड़बड़ी के पीछे इसके फाउंडर Carl Pei का कंपनी छोड़ना भी माना जाता है. Carl Pei टेक दुनिया का बहुत बड़ा नाम हैं. वनप्लस छोड़ने के बाद उन्होंने Nothing ब्रांड बनाया.

ताबूत की आखरी कील

रिटेलर्स का टाटा भी कंपनी के डाउन फॉल की एक बड़ी वजह बना है. ऑनलाइन मार्केट से अपनी शुरुवात करने वाली कंपनी ऑफ़लाइन से 'ऑफ' हो गई. मई 2024 में गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में दुकानदारों ने वनप्लस से किनारा कर लिया. 4500 आउटलेट और 23 रिटेल चैन ने कंपनी से अपनी चैन तोड़ दी.

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प्रॉफ़िट मार्जिन, क्लेम में देरी और बंडल ऑफर्स में झोल को इसकी वजह बताया गया. बताते चलें कि ऑनलाइन भले आजकल बड़ा मार्केट है मगर ऑफलाइन में दुकान की चाय और भईया की हंसी का रुआब कोई कम नहीं हुआ है. वनप्लस का 50 फीसदी हिस्सा यहीं से आता था जो एक बड़ी वजह बना गिरावट का.

इन दो वजहों के साथ दोधारी तलवार चलाना (ढाई वाली कील यही है) भी कंपनी को काट गया. कंपनी ने OnePlus 8 से प्रीमियम सेगमेंट में अपनी जगह पक्की कर ली थी मगर फिर बजट सेगमेंट वाली Nord series लेकर आ गए. ये सीरीज खूब बिकी मगर कंपनी का फ्लैगशिप किलर वाला ठप्पा भी किल कर गई.

ऐसे में बिक्री के आंकड़े तो कंपनी के डाउनफॉल की तरफ साफ इशारा करते हैं मगर क्या वाकई में ऐसा होगा. वक्त में कुछ महीने और प्लस होते-होते पता चल जाएगा.  
 

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