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ई-स्कूटर लेना चाह रहे हैं, पहले यूज करने वालों का फीडबैक तो पढ़ लीजिए

E-Scooters को भारत की सड़कों पर चलते कुछ साल हो गए हैं. इतना वक्त काफी है इनको अच्छा या बुरा (E-Scooter Problems) साबित करने के लिए. लगता है जैसे ई-स्कूटर का स्पार्क स्टार्ट होने से पहले भी फुस्स हो गया है. सोशल मीडिया पर यूजर्स के भड़ास भरे पोस्ट और हालिया रिपोर्ट भी ऐसा ही कहती है.

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इलेक्ट्रिक स्कूटर्स के बेसिक्स ही क्लीयर नहीं हो पा रहे (तस्वीर साभार: copilot)

एक प्रोडक्ट अच्छा है या बुरा, ये पता करने के लिए कितने समय की जरूरत होगी. कुछ दिन या कुछ महीने. ज्यादा से ज्यादा एक साल काफी होगा. लेकिन अगर किसी प्रोडक्ट को 5 साल के अल्लेपल्ले हो चले हों और फिर भी उसके अच्छे होने का अंदाजा नहीं लगे, तो जाहिर सी बात है कि कई सारे सवाल स्पीड पकड़ेंगे. भले प्रोडक्ट रफ्तार पकड़े या नहीं. अंदाजा आपने लगा लिया होगा कि हम इलेक्ट्रिक स्कूटर (E-Scooter Problems) की बात करने वाले हैं. दरअसल बात हम नहीं बल्कि इसके असल यूजर्स कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं.

भड़ास ई-स्कूटर की परफ़ोर्मेंस को लेकर. भड़ास चार्जिंग स्टेशन की उपलब्धता को लेकर. भड़ास स्पेयर पार्ट्स में महीनों की देरी को लेकर. भड़ास सर्विस चार्ज को लेकर. हमने जानबूझकर इतनी बार भड़ास नहीं लिखा. आपको कुछ ताजा केस बताते हैं. फैसला आप कर लीजिए.

केस 1
अगस्त महीने के पहले हफ्ते में Eshwar नाम के यूजर ने अपने Ather स्कूटर की सर्विस का बिल पोस्ट किया. ईश्वर 8002 रुपये के बिल से बहुत ज्यादा खफा नजर आए. उनकी पोस्ट के मुताबिक उनसे कहा गया था कि ई-स्कूटर में घूमने वाले पार्ट्स कम होते है, इसलिए इसका रखरखाव कम होता है. उनकी पोस्ट पर कंपनी का नॉर्मल वाला जवाब है. ईश्वर के मुताबिक उनकी 10 साल पुरानी कार की सर्विस का खर्चा भी इससे कम है. 

Rushlane की रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी ने उनको फ्री सर्विस का ऑफर दिया और बदले में ट्वीट डिलीट करने को कहा. हालांकि ट्वीट अभी भी मौजूद है. Ather को लेकर ये कोई पहली शिकायत नहीं है. लोगों ने परेशान होकर एक अकाउंट ही बना लिया है, जहां आए दिन भतेरे पोस्ट होते हैं. 

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केस 2
यूट्यूबर Pratik Rai ने अपने चैनल Techwiser पर OLA और Ather के स्कूटर के एक साल के इस्तेमाल का वीडियो पोस्ट किया. वीडियो में दोनों स्कूटर के अच्छे और बुरे पॉइंट कवर किए गए हैं. मगर हमारी नजर पड़ी स्पेयर पार्ट्स की उपलब्धता पर. OLA स्कूटर का एक स्पेयर पार्ट आने में महीनों लगे. प्रतीक को इसके लिए कई बार मेल लिखना पड़ा. सोचने वाली बात है कि प्रतीक के लिए OLA या दूसरी किसी भी कंपनी में संपर्क करना उतना भी मुश्किल नहीं. लेकिन जब उनको भी मेल बाजी करनी पड़ रही तो आम यूजर का क्या होता होगा?

उन्होंने OLA के चार्जिंग स्टेशन बहुत कम होने के बारे में भी बताया. साथ ही ये भी बताया कि जहां स्टेशन दिखा भी रहा, वहां असल में कुछ मिला नहीं. उनको चार्जिंग के लिए नोएडा से दिल्ली तक आना पड़ा. वीडियो के मुताबिक Ather का चार्जिंग नेटवर्क अच्छा है. हालांकि आखिर में वो दोनों ही कंपनी के स्कूटर से खुश नजर आ रहे.  

केस 3
सागर सिंह के पास OLA इलेक्ट्रिक स्कूटर था. स्कूटर में दिक्कत खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी. OLA ने आफ्टर सेल्स सर्विस भी ढंग से नहीं दी. आजिज आ चुके सागर ने स्कूटर के शो रूम के सामने ट्रॉली पर स्कूटर लादा और गाना गाकर विरोध जताया. उन्होंने स्कूटर पर फूलों की माला भी चढ़ा दी थी. क्यों, उसका जवाब हम सभी को पता है. 

केस 3
पंकज गुप्ता के TVS iQube स्कूटर की बैटरी 18 महीने में जवाब दे गई. कंपनी की तरफ से उनको तीन साल की वारंटी मिली है. उन्होंने कंपनी के सर्विस सेंटर पर पिछली 17 जुलाई को स्कूटर दिया और आज की तारीख में भी वहीं खड़ा है. उनके मुताबिक सर्विस सेंटर से उनको टका सा जवाब दिया गया- जब आ जाएगी तब लगा देंगे. यूजर ने अपनी तरफ से कंपनी को मेल भी किया है.

पंकज ने हमें अपनी व्यथा सुनाई. हमने उनके कहने पर कंपनी से बात की. कंपनी ने आठ दिन का समय और मांगा. मतलब इस महीने के आखिर तक. चलिए तब तक इंतजार करते. चूंकि ई-स्कूटर में बैटरी कुल कीमत का सबसे बड़ा हिस्सा होता है तो इसको बाहर से खरीदना मतलब ‘जितने के ढोल नहीं, उतने के मजीरे फूटने’ वाली कहावत हो जाएगी. तो इंतजार के अलावा अभी कोई चारा भी नहीं.  

ola Ather tvs e scooters problems: Why social media is flooded with so many basic problems of thesehicles 
पंकज गुप्ता के मेल का स्क्रीन शॉट 

हमने आपको तीन अलग-अलग कंपनियों के केस बताए. Ather जो ई-स्कूटर में कई सालों से है. OLA जिसके पास बाजार का सबसे बड़ा हिस्सा है और TVS जो दो-पहिया में बहुत बड़ा नाम. वैसे केस इतने भर नहीं हैं. सोशल मीडिया पर आपको कई केस मिल जाएंगे. यूट्यूब पर ई-स्कूटर से परेशान लोगों के वीडियो की लाइन लगी हुई है. परेशानियां बहुत बड़ी नहीं हैं. मतलब ये तो बेसिक है कि सर्विस चार्ज कम होना चाहिए. स्पेयर पार्ट्स टाइम पर मिल जाना चाहिए और चार्जिंग स्टेशन का भी प्रबंध होना चाहिए. इसलिए तो कहते हैं सबसे पहले बेसिक्स तो क्लियर कर लो. 

ई-स्कूटर की असल परीक्षा तो कुछ सालों बाद होगी जब ये सड़कों पर अच्छा-खासा सफर तय कर चुके होंगे. तब ये भी देखना होगा कि सेकंड हैंड मार्केट में इनकी क्या पोजीशन है. क्योंकि वहां पर अभी भी नॉर्मल वीकल का बढ़िया पैसा मिलता है. नॉर्मल वीकल में इंजन की कंडीशन देखी जाती है, यहां बैटरी को चेक किया जाएगा. मगर लगता है ई-स्कूटर का स्पार्क स्टार्ट होने से पहले ही फुस्स हो गया है. हालिया रिलीज हुई Park Plus की रिपोर्ट भी इसी तरफ इशारा करती है.

रिपोर्ट के मुताबिक 50 फीसदी इलेक्ट्रिक वीकल यूजर फिर से डीजल-पेट्रोल वाली गाड़ी पर लौटना चाहते हैं. मतलब हर दूसरा यूजर परेशान है. 88 फीसदी से ज्यादा यूजर्स को चार्जिंग खत्म होने की बहुत चिंता होती है. मतलब इसका सोचकर ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है. रिपोर्ट से इतर एक और खबर चौंकाने वाली है. इलेक्ट्रिक स्कूटर में सबसे बड़ी कंपनी Ola ने अपने इलेक्ट्रिक कार प्रोजेक्ट को भी बंद कर दिया है. बोले तो शायद सब कुछ ठीक नहीं है इलेक्ट्रिक वीकल के मार्केट में. कुछ तो गड़बड़ है दया.

ola Ather tvs e scooters problems: Why social media is flooded with so many basic problems of thesehicles 
ई-स्कूटर में सब ठीक नहीं 

वैसे सिक्के का दूसरा पहलू भी है. इतना सब होने के बाद भी देश में तकरीबन हर महीने नए इलेक्ट्रिक वीकल लॉन्च हो रहे. OLA ने अपनी ई-बाइक लॉन्च की है तो टाटा ने Curve.ev को गाजे-बाजे के साथ लॉन्च किया है. मतलब कंपनियों को तो होप नजर आ रही. हां कस्टमर…

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