इलेक्ट्रिक व्हीकलों ने सने-सने भारतीय बाजार में रफ्तार पकड़ी है. मगर रौला नहीं जमा है. इसकी वजह है इनका दाम जो डीजल और पेट्रोल वाली गाड़ियों की तुलना में बहुत तो नहीं, मगर ज्यादा तो है. इसके साथ EV की रेंज भी एक मसला है. हालत ये कि कई बार आप और हम नई EV लेने का मन बनाकर भी हाथ खींच लेते हैं. मगर-अगर-लेकिन के बीच सोच कर देखिए कि EV का दाम डीजल-पेट्रोल के बराबर हो जाये तो. रेंज की दिक्कत भी दूर हो जाये तो. आप खुश हो सकते हैं क्योंकि ऐसा जल्द होगा क्योंकि…
Nitin Gadkari ने बताया कैसे 994 रुपये में खेला कर देगी EV, बस इंतजार...
नितिन गडकरी ने 'जमघट' में बातचीत के दौरान बताया कि सिर्फ 994 रुपये का अंतर और बचा है. ये अंतर खत्म हुआ नहीं और EV के दाम पेट्रोल-डीजल व्हीकल के बराबर हो जाएंगे. गडकरी ने हाइवे पर EV की रेंज को लेकर भी बहुत कुछ बताया.
ये बात हमने नहीं खुद केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने कही. सिर्फ 12 डॉलर (994रुपये) का खेल और बचा है जिसके बाद दाम बराबर हो जाएंगे. दरअसल नितिन गडकरी ‘The Lallantop’ की पॉलिटिकल इंटरव्यू की सीरीज 'जमघट' के मेहमान बने. इसी प्रोग्राम में उन्होंने EV के दामों का पूरा गुणा-गणित बता दिया. EV को लेकर उन्होंने लल्लनटॉप के संपादक सौरभ द्विवेदी को बताया,
हम जब इलेक्ट्रिक व्हीकल लेकर आए तो इसकी कॉस्ट 150 डॉलर/किलोवॉट-घंटा थी. आज ये 112 डॉलर पर आ गई है. जैसे ही 100 डॉलर होगी. उसके बाद डीजल-पेट्रोल और EV वाली गाड़ियों का दाम एक बराबर हो जाएगा.
नितिन गडकरी इलेक्ट्रिक वाहनों में लगने वाली लिथियम-आयन (Li-ion) बैटरी की लागत के बारे में बता रहे थे. माने कि फर्क महज 12 डॉलर का रह गया है. अब जरा डॉलर/किलोवॉट-घंटा को समझ लेते हैं फिर जानेंगे कि रेंज के लिए उनका क्या प्लान है.
बैटरी की कीमत का गुणा-गणितलिथियम-आयन बैटरी की कीमत का कैलकुलेशन होता है kilowatt-hour (kWh) में. इसकी रेटिंग से तय होता है कि गाड़ी एक फुल चार्ज में कितने किलोमीटर चलेगी. kWh जितना ज्यादा उतनी ज्यादा रेंज. हालांकि ये सिर्फ एक पैरामीटर नहीं हैं क्यों क्योंकि और भी कई फैक्टर हैं जो रेंज पर फर्क डालते हैं. मसलन स्पीड, रोड, बैटरी की उम्र आदि.
भारत में अभी तलक मिलने वाली EV में 18.1 (kWh) से लेकर 91 (kWh) क्षमता वाली बैटरी लगी होती हैं. जैसे नितिन गडकरी ने कहा कि पहले इसकी कॉस्ट थी 150 डॉलर. मतलब आज के 12,430 रुपये. लेकिन इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं कि एक घंटा चलाने की कीमत इतनी है. इसका मतलब बैटरी से है. जैसे मान लेते हैं कि किसी गाड़ी में 40 (kWh) वाली बैटरी फिट है तो मोटा-माटी उसका दाम होगा 12,430*40= 4,97,200 रुपये. यही वो कीमत है जो EV का सबसे बड़ा फैक्टर है. कहने का मतलब EV में बैटरी का दाम कुल गाड़ी की कीमत का 50 और 60 फीसदी तक होता है. हमने इसके बारे में विस्तार से बताया है. आप नीचे दी हुई लिंक पर क्लिक करके जान सकते हैं.
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इसी दाम की वजह से EV के बेसिक मॉडल का दाम भी डीजल-पेट्रोल वाली गाड़ी से ज्यादा होता है. उदाहरण के लिए अगर नॉर्मल गाड़ी 10 लाख रुपये की है तो EV 13 लाख के अल्ले-पल्ले. लेकिन अब EV वाली बैटरी पर खूब काम हो रहा है. चीन जो अभी इसका सबसे बड़ा प्लेयर है. उससे इतर भी ऑप्शन तलाशे जा रहे हैं. भारत में भी इस पर खूब काम हो रहा. नतीजा अब 40 (kWh) बैटरी का दाम 40*9281 (112 डॉलर)= 3,71,240 रुपये तक आ चुका है.
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जैसे नितिन गडकरी को उम्मीद है कि जल्द ही ये घटकर 100 डॉलर हो जाएगा. मतलब 40 (kWh) वाली बैटरी 3,31,480 रुपये की हो जाएगी. तो गाड़ी के दाम बराबर भले नहीं हों मगर फर्क तो कम हो ही जाएगा. अब बात रेंज की.
बातचीत के दौरान जब सौरभ ने EV में बैटरी स्वेप करने मतलब राह चलते बैटरी बदलने की सुविधा के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा,
इसकी जरूरत नहीं है क्योंकि एक गाड़ी की रेंज फुल चार्ज में 400 किलोमीटर है. और वो दिन भर में 40-50 किलोमीटर चलते हैं. मतलब हफ्ते भर चलने के बाद भी दिक्कत नहीं. स्कूटर तो 20-25 किलोमीटर से ज्यादा नहीं चलता. इसके साथ रोज चार्ज भी तो होना ही है. इसलिए लोकल में जरूरत नहीं. रही बात दिल्ली से जयपुर या दिल्ली से कटरा (जम्मू) जाने की तो उसके लिए 670 से ज्यादा चार्जिंग स्टेशन बन रहे.
पेट्रोल पंपों पर भी ऐसी सुविधा मिलने वाली है.मतलब जल्द ही बैटरी खत्म होने की टेंशन भूलकर फर्राटा भरने का प्रबंध होने वाला है.
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