हमारे दोस्त अपना एक बैंक अकाउंट बंद करवाने ब्रांच में गए. फॉर्म वगैरा भरकर जब काउंटर पर पहुंचे तो जोर का झटका लगा. बैंक ने कहा कि आपके अकाउंट में बैलेंस नेगेटिव (negative balances in savings accounts) में है. पहले इसको कीजिए जीरो तभी बनेंगे आप हीरो. कहां वो अच्छे नागरिक का फर्ज अदा करने चले थे, कहां उनको नेगेटिव बैलेंस का दरेरा दे दिया गया. बेचारे हमारे पास अपना दुखड़ा लेकर आए. बोले यार अकाउंट सालों से बंद पड़ा था. मैं तो बचे पैसे निकालने गया था मगर वहां तो उल्टा मुझे पैसे देने पड़ रहे. हमने कहा चिंता नक्को.
जीरो बैलेंस छोड़िए, बैंक वाले असली खेल तो खाते में इतने पैसे रखने पर कर रहे हैं!
बैंक नेगेटिव बैलेंस (negative balances in savings accounts) होने पर आपसे एक पैसा नहीं लेगा और साथ में आपका अकाउंट भी बंद करेगा. और ये सब हमारे कहने से नहीं बल्कि देश में बैंकों के बॉस आरबीआई की गाइडलाइन की वजह से होगा. कैसे होगा वो जानते हैं लेकिन पहले जरा निगेटिव बैलेंस को पॉजिटिव करते हैं.

नेगेटिव बैलेंस होने पर बैंक आपसे एक पैसा नहीं लेगा और साथ में आपका अकाउंट भी बंद करेगा. और ये सब हमारे कहने से नहीं बल्कि देश में बैंकों के बॉस आरबीआई की गाइडलाइन की वजह से होगा. कैसे होगा वो जानते हैं लेकिन पहले जरा नेगेटिव बैलेंस को पॉजिटिव करते हैं.
क्या है नेगेटिव बैलेंस?मिनिमम बैलेंस का छोटा भाई. इसलिए पहले बड़े भाई को समझते हैं. आसान भाषा में, दिन के अंत में बैंक अकाउंट में जितने पैसे बचे हैं उसे नोट करें. अगले दिन भी ऐसा ही करें. पूरे महीने यही करें. अब इन सबको जोड़ दें. जितना आए उसको महीने में दिनों की संख्या से भाग दें. गणित के हिसाब से देखें तो अगर मिनिमम बैलेंस 1000 है तो एक दिन के लिए 30 हजार रखकर निकाल लीजिए. दिक्कत खत्म.
अगर एक दिन 900 रखे तो दूसरे दिन 1100 दिखना चाहिए. बोले तो बैंक से आपके खाते के हिसाब से जो लिमिट तय की है उतना पैसा दिन के अंत में अकाउंट में होना चाहिए. आरबीआई के दूसरे नियमों के इतर मिनिमम बैलेंस की पेनल्टी वसूलने की कोई लिमिट नहीं है. बैंक अपने हिसाब से वसूली करते हैं. कहने का मतलब, मुंह देखी पंचायत वाला मामला. इस पर हमने डिटेल में लिखा है जिसकी लिंक नीचु मिलेगी.
आपकी इस गलती से बैंक को इतना बड़ा फायदा हो जाएगा, ये कभी नहीं सोचा होगा!
हम वापस आते हैं नेगेटिव बैलेंस पर. आप अकाउंट ऑपरेट नहीं करते और बैंक वसूली किए जा रहा है. आपके अकाउंट से पैसे कटते रहेंगे जब तक जीरो नहीं हो जाता. मामला यहीं नहीं थमेगा. बैलेंस जीरो से नीचे जाएगा मतलब -100 या -500. इधर जो गलती से आपने अकाउंट में पैसे डाले तो तुरंत इतना अमाउंट उड़ जाएगा. अब जो आप अकाउंट ऑपरेट नहीं करते और फिर एक दिन आपका मन करता है कि चलो अकाउंट बंद करते हैं जैसे हमारे दोस्त का हुआ और अगर बैंक ना-नुकुर करे तो उनको आरबीआई का नियम बता दीजिए.
ये नियम 20 अगस्त 2014 से ही लागू है. आपने बैंक को बताना है. अगर बैंक नहीं सुनता तो फिर आरबीआई के Banking Ombudsman में शिकायत कीजिए. बैंक की वसूली जीरो तक है. उसके नीचु नहीं. बैंक की एक और ड्यूटी है. बैलेंस जीरो होने पर या अकाउंट ऑपरेट नहीं होने पर एसएमएस से सूचित करना. इसकी भी शिकायत कर सकते हैं.
वैसे अगर आप कोई अकाउंट ऑपरेट नहीं करते हैं तो उसे बंद करने में ही भलाई है. ऐसे अकाउंट कई बार साइबर अपराधियों के निशाने पर होते हैं.
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