देश में मौजूद हर कार कंपनी आजकल एक बात को लेकर खूब डींगे हांकती है. कंपनियां कहती हैं कि उनकी SUV (Sports Utility Vehicle) की सेल में बंपर उछाल आया है. बिक्री का आंकड़ा '10वें गियर' में डला हुआ है. पता है, आप कहोगे कि भईया लल्लनटॉप कार में कब से ‘10 गियर’ आने लगे. अरे जनाब, बात जब डींगे हांकने की है तो कुछ भी बोल दो. खैर हम आपसे कोई डींग नहीं हांकते और अपनी लंतरानी पर ब्रेक लगा कर मुद्दे पर आते. कंपनियां कहती हैं कि कुल बिक्री का 49 फ़ीसदी SUV से आता है. मगर GST ऐसा नहीं मानता.
जिस गाड़ी को आप SUV समझ खरीद लाए हैं, असल में वो तो...
SUV की बिक्री के आंकड़ों (SUVs sales in India) में कार मेकर्स और GST के बीच फ़र्क़ है. तो क्या कार कंपनियां टैक्स में झोल कर रहीं हैं या मामला कुछ और है? ऐसा कुछ नहीं है, GST और कार कंपनी, दोनों अपनी जगह पर ठीक हैं. खेला तो आपके साथ हो रहा है. आप जिसे SUV समझ रहे हैं, दरअसल वो तो...
माने क्या कोई झोल है रे बाबा. कार मेकर्स और GST के आंकड़ों (SUVs sales in India) में अंतर क्यों है? क्या कार कंपनियां टैक्स में झोल कर रहीं हैं या मामला कुछ और है? आप आपने दिमाग़ के घोड़े को रफ़्तार दें उसके पहले ही हम बता देते हैं कि ऐसा कछु नहीं है. GST और कार कंपनी, दोनों अपनी जगह पर ठीक हैं. खेला तो आपके साथ हो रहा है. आप जिसे SUV समझ रहे हैं, दरअसल वो तो...
ग्रेट इंडियन SUV सागाअब ये मानने में किसी को कोई गुरेज नहीं है कि SUV किसी भी कार की तुलना में आरामदायक और फुल पैसा वसूल प्रोडक्ट है. रौला जमाने के लिए SUV से अच्छा क्या ही होगा. सड़क से लेकर पहाड़ों पर दम दिखाने तक के लिए SUV से बेहतर कोई ऑप्शन नहीं. नेता हो या अभिनेता, व्यापारी हो या बड़ा अधिकारी, सब SUV में घूमते नजर आते हैं. देश में SUV के ऑप्शन भी भतेरे हैं. एक तरफ़ देसी थार और स्कॉर्पियो उपलब्ध हैं तो दूसरी तरफ़ जापानी टोयोटा फॉर्चूनर से लेकर Mercedes-Benz G-Class तक लंबी रेंज है.
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मगर ये तो बात हुई ख़ास की जिनके पैसे में काई लग रही है. आम आदमी का क्या जो बड्डी सी गाड़ी में घुम्मी-घुम्मी करने की इच्छा रखता है? तमन्ना तो है मगर जेब उतनी भारी नहीं. माने जो SUV चाहिए तो 20 लाख तो खर्च करने ही होंगे. आम आदमी की इसी इच्छा और लालच पर ध्यान गया कार कंपनियों का. उन्होंने थोड़ा आपके दिमाग़ के गियर बदले और थोड़ा नियम-कायदों का फायदा उठाया.
कारों पर चला दिया रुंदाआप एकदम सही पढ़े. कार कंपनियों ने अपने प्रोडक्ट पर कारपेंटर के जैसे रुंदा मारा और जन्म हुआ आम आदमी की SUV का. Maruti Suzuki Brezza, Tata Nexon, Maruti Fronx, Hyundai Venue से लेकर तमाम कारें जो 10 से 15 लाख के अल्ले-पल्ले मिलती हैं और SUV के नाम पर बेची जाती हैं, वो असल में कुछ और हैं. चूंकि बिना नाम दिए बिक्री को स्पीड नहीं मिलेगी, इसलिए इनको ‘Compact SUV’ जैसे तमगे दे दिए गए. इसके साथ GST का SUV को लेकर जो नियम है, उसका थोड़ा फ़ायदा भी लिया गया.
GST के मुताबिक SUV होने के लिए किसी भी कार को तीन पैरामीटर पूरे करने ही होंगे. कार का इंजन 1500CC होना चाहिए. उसकी लंबाई 4000mm और ग्राउंड क्लियरेंस कम से कम 170mm होना चाहिए. हालांकि वास्तविक कंडीशन में इसे Four-Wheel Drive भी होना चाहिए और इसमें ज्यादा लोगों के बैठने का प्रबंध भी होना चाहिए. मगर बाद के दो पैरामीटर नहीं भी हों तो भी चलेगा. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कई पश्चिमी देशों में असली SUV को लाइक ट्रक कैटेगिरी में रखा जाता है. माने असल वाली SUV दमदार होगी और इसके ऊपर सरकार 28 फ़ीसदी GST और 22 फ़ीसदी कंपनसेशन सेस भी लगता है. माने बहुत महंगी गाड़ी.
कार कंपनियों की स्मार्टनेसजरा टाटा नेक्सॉन के पैरामीटर पर नजर डालते हैं. लंबाई 3995mm, इंजन 1497CC का है वो भी डीजल में. पेट्रोल में ये घटकर 1199CC हो जाता है. Hyundai Venue भी 3995mm लंबाई और 1493CC इंजन के साथ आती है. मतलब सिर्फ़ 5mm कम करके और इंजन की क्षमता को घटाकर टैक्स बचा लिया गया. सुई की नोक जितनी लंबाई कम करके बाहर के डिजाइन को SUV जैसा डील-डौल दे दिया. टैक्स कम तो क़ीमत कम और देश की सड़कों पर Compact SUV ने रफ़्तार पकड़ ली.
ये रफ़्तार इतनी तेज है कि कारों का सेडान सेगमेंट अब कम दिखता है. इसकी एक बानगी होंडा सिटी है. एक जमाने में इस कार का राज था देश में. साल 2014-15 में कंपनी ने भारत में 2.5 लाख कारें बेची थीं. मगर अब नई सेडान की बिक्री एकदम कम हो गई है. कंपनियों के ऐसा करने में कोई बुराई नहीं क्योंकि फ़ायदा तो ग्राहकों को ही मिला है.
कैफ़ी आज़मी ने फरमाया है,
इंसाँ की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं
दो ग़ज़ ज़मीं भी चाहिए दो ग़ज़ कफ़न के बाद
बस ऐसी ही ख़्वाहिशों का गियर हम लगा रहे SUV के नाम पर.
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