देश और दुनिया में कोई भी हलचल हो, सबसे पहले बोला जाता है कि मंदी आने वाली है. रूस और यूक्रेन लड़े तो मंदी की बात कही जाती है. शेयर मार्केट भरभराया तो मंदी का राग अलापा जाता है. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) 'आता माझी सटकली' वाले मूड में हों, मतलब टैरिफ-टैरिफ (trump traffic) खेल रहे हों, तब भी मंदी का नाम आने लगता है. वी ऑल हेट मंदी मगर मंदी का क्या है. अगर उसे आना होगा तो आएगी ही सही. 2008 में यही हुआ था. ‘डैडी अमेरिका’ भी कुछ नहीं कर पाया था. मगर एक सवाल है.
शराब की बोतल, लिपस्टिक, मेल अंडरवियर, सेक्स वर्कर, मंदी का अंदाजा इनसे भी पता चलता है
आखिर मंदी की आहट का पता चलता कैसे है? घंटी बजाकर तो आती नहीं है. दरअसल इसका पता हमारी और आपकी जीवनशैली, छोटी बोतल, ऑफिस के फ्रिज से लेकर पुरुषों के अंडरवियर और महिलाओं की लिपस्टिक से चलता है. कैसे, सब बताते.

आखिर मंदी की आहट का पता चलता कैसे है? घंटी बजाकर तो आती नहीं है. दरअसल इसका पता हमारी और आपकी जीवनशैली, छोटी बोतल, ऑफिस के फ्रिज से लेकर पुरुषों के अंडरवियर और महिलाओं की लिपस्टिक से चलता है. कैसे, सब बताते.
The Stripper Indexमंदी आने वाली है, इसका पता मार्केट के बड़े-बड़े दिग्गजों से पहले सेक्स वर्कर्स को चलता है. स्ट्रिप क्लब से लेकर वेश्यालय में काम करने वाले लोग सबसे पहले अंदाजा लगा लेते हैं कि हालत अच्छी नहीं. माना जाता है कि पैसे की आमद कम होते ही इंसान इस जगह जाना सबसे पहले बंद करता है या कम कर देता है. यहां दी जाने वाली टिप एक बड़ा इन्डिकेटर है. अगर टिप ज्यादा तो बाजार में सब ठीक है. और कम हो जाए तो मतलब दिक्कत आने वाली है. हालांकि ये कोई मीटर नहीं है, मगर इसे Stripper Index कहा जाता है. छात्रों से जुड़े अंतरराष्ट्रीय संगठन बिजनेस रिव्यू एट बर्कले (BRB) ने साल 2024 में बाकायदा सेक्स वर्कर्स से बात करके इसके बारे में जाना था. उनकी गिरती कमाई मंदी का संकेत समझ लीजिए.

हमारे और आपके ऑफिस में एक फ्रिज होता है. इसे वेंडिंग मशीन कहते हैं. पैसे डालो और खाने-पीने का सामान बाहर निकालो. विदेशों में ऐसे फ्रिज बड़े आम होते हैं. जो ये खाली हैं या जल्दी-जल्दी खाली हो रहे तो मार्केट में मौज चल रही है. अगर कर्मचारी इनसे खाना लेने के बजाय घर से लाया हुआ खाना खा रहे तो समझ लीजिए. बाजार में दिक्कत है. चीजें शायद काफी महंगी हैं और कर्मचारी उनको खरीदने में झिझक रहा है.

जरूरी नहीं कि बाजार में बिक्री कम होगी तो मंदी का पता चलेगा. शराब की बड़ी बोतल की बिक्री अचानक से कम होना और छोटी बोतल या कहें मिनिएचर की बिक्री में एकाएक बढ़ोतरी भी मंदी की आहट बताती है. अब जेब में पैसा भले नहीं है मगर शौक पूरा करना है या गंदी आदत है, तो बोतल ना सही मिनिएचर ही सही.
लिपस्टिक में मंदी 'स्टिक'ऐसे ही जब महिलाएं महंगे ब्यूटी प्रोडक्ट की जगह सिर्फ लिपस्टिक ज्यादा खरदीने लगें तो पता चल जाता है कि बुरा समय आने वाला है. लिपस्टिक महिला की खूबसूरती बढ़ाने का आम जरिया है. ये हमेशा बजट में भी मिल जाती है. जबकि बाकी प्रोडक्ट मसलन फुटवियर से लेकर ड्रेस के लिए ज्यादा दाम देना होता है. मतलब अचानक से लिपस्टिक की बिक्री बढ़ना कोई अच्छा संकेत नहीं.

पुरुष अपने अंडरवियर को लेकर कोई ज्यादा फोकस नहीं होते हैं. आमदनी कम हो या ज्यादा. पुरुष के अंडरवियर में छेद होना कोई बड़ी बात नहीं. वो उसे पहनते रहेंगे जब तक टोका ना जाए. मगर जब टोकने के बाद भी वो नई नहीं खरीद रहे तो समझ आने लगता है कि इकोनॉमी में भी छेद हो चुका है. बाजार की भाषा में इसे MUI (Men's underwear index) कहा जाता है. Federal Reserve के पूर्व चेयरमेन Alan Greenspan ने तो इसे मंदी पता करने का सबसे बड़ा टूल तक कहा था.
मार्केट के एक्सपर्ट ऐसी कई चीजों पर नजर रखते हैं ताकि मंदी का समय रहते पता चल सके. उदाहरण के लिए सिगरेट का डिब्बा कम बिकना और खुली सिगरेट की बिक्री में उछाल भी बताता है कि पब्लिक पैसा खर्च करने में झिझक रही है.
वैसे एक सच ये भी है कि सारे इंडेक्स एक्सपर्ट की डेस्क पर पड़े रहने के बाद भी मंदी आ ही जाती है. जैसे 2008 में Lehman Brothers के डूब जाने से पूरे विश्व में मंदी का दौर आया. हालांकि तब भारत पर उसका गहरा असर नहीं पड़ा था.
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