मोबाइल फोन से लेकर इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) और LED टेलीविजन सस्ते होने वाले हैं. ये खबर आपको मिल गई होगी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने एक फरवरी को बजट में इसके बारे में बताया था. लेकिन अब सवाल ये है कि क्या वाकई में ऐसा होने वाला है? और अगर हुआ, तो ये सारे प्रोडक्ट्स कितने सस्ते हो जाएंगे? हमने ये समझने की कोशिश की. अब जो पता चला, वो आपको बताते हैं.
बजट में हुई मोबाइल सस्ते होने की बात, असली सच ये रहा!
क्या सच में ऐसा होगा?
बताया गया कि मोबाइल फोन में इस्तेमाल होने वाली लीथियम बैटरी (Lithium Ion) पर सीमा शुल्क हटाया गया है. दूसरी तरफ, इलेक्ट्रॉनिक वाहनों में लगने वाली बैटरी से भी कस्टम ड्यूटी हटा दी गई. लेकिन, ये दो अलग-अलग प्रोडक्ट हैं. मतलब कहां मोबाइल फोन, जिसमें छोटी सी बैटरी लगती है और कहां कार और स्कूटर, जिसमें बड़ा सा बैटरा फिट होता है. जाहिर है, दाम में भी फर्क होगा. मोबाइल की बैटरी कुछ सौ रुपये से लेकर हजार के अल्ले-पल्ले आ जाती है, तो दूसरी तरफ इलेक्ट्रिक व्हीकल की बैटरी हजारों और लाखों रुपये में आती हैं.
इतना ही नहीं, इनके ऊपर लगने वाली इम्पोर्ट ड्यूटी भी एक जैसी नहीं है. उदाहरण के लिए, मोबाइल वाली बैटरी पर 5 प्रतिशत और इलेक्ट्रिक व्हीकल पर 15 प्रतिशत. इस हिसाब से देखें तो हमारी लॉटरी लग गई. मतलब, अगर फोन का दाम है 50 हजार रुपये तो अब 47,500 रुपये का मिलेगा. यहां शायद कम लगे लेकिन कार और स्कूटर के केस में अच्छा खासा फर्क नजर आ रहा. एक लाख वाला स्कूटर 85 हजार में मिलना चाहिए. लेकिन क्या सच में?
हमें लगा, यहां अपनी अक्ल लगाने से अच्छा किसी एक्सपर्ट से बात करते हैं. इसलिए हमने बात की सूरज घोष. सूरज घोष S&P Global, Mobility के डायरेक्टर हैं. उन्होंने बताया,
जैसा हमें लग रहा वैसा अभी तो नहीं है. मतलब हाल-फिलहाल में EV के दाम पर कोई असर नहीं पड़ने वाला. दरअसल, सरकार ने सीधे बैटरी पर नहीं बल्कि बैटरी लगाने की फैक्ट्री पर राहत दी है. आसान भाषा में कहें, तो देश में जो भी EV से जुड़े मैन्युफैक्चरर हैं, अगर वो देश के अंदर बैटरी का उत्पादन करते हैं तो उनको इससे जुड़ी मशीनों और सेटअप पर इम्पोर्ट ड्यूटी में छूट रहेगी.
उन्होंने आगे बताया,
वैसे ये कोई चौकाने वाला भी नहीं है. सरकार ने अपनी Production Linked Incentive Scheme (PLI) के तहत इसके लिए आवेदन लिए थे. इस योजना में ओला से लेकर रिलायंस जैसी कंपनियां शामिल हैं. अब ये कंपनिया जब बैटरी का उत्पादन देश में करेंगी तो पूरी उम्मीद है कि दाम कम होंगे. वैसे ये कोई एक या दो दिन में होने वाला नहीं है. मतलब, बात लॉन्ग रन की है. आने वाले 2 से 3 सालों में जब प्रोडक्शन होगा तब दाम घट सकते हैं. हालांकि, अभी जो बैटरी दूसरे देश से इम्पोर्ट होकर आ रही उस पर कोई राहत नहीं है.
सूरज ने हमें ये भी बताया कि दाम घटकर कोई आधे हो जाएंगे, वैसा भी नहीं है. हां, एक लाख का स्कूटर शायद 90-95 हजार में मिलने लगे. कह सकते हैं कि शायद तुरंत कुछ फायदा नहीं हो, लेकिन आगे जाकर थोड़ा जेब कम हल्की होगी.
वीडियो: इलेक्ट्रिक स्कूटर लेने से पहले ये बातें जान लीजिए, फिर मत कहना बताया नहीं!