पिछले साल एक फोन आया था. अच्छा फोन था, मगर फोन्स की भीड़ में कहीं खो गया. कहने का मतलब जितना क्रेडिट मिलना चाहिए उतना मिला नहीं. अंडररेटिड होकर रह गया. इस साल इसी फोन का छोटा भाई आया है. हालांकि फोन वाली नंबरिंग में इसको बड़ा कहेंगे. फोन आ गया और अब दो महीने होने को आ गए इस्तेमाल करते हुए. काफी कुछ सुधर गया है. मिडरेंज सेगमेंट में तकरीबन परफेक्ट फीलिंग देने वाला फोन. क्योंकि इसमें शानदार डिस्प्ले है जबरदस्त कैमरा है और जिन्दाबाद लेवल की परफ़ॉर्मेंस है. बस एक चीज नहीं सुधरी है.
iqoo neo 9 pro: मिडरेंज सेगमेंट के इस 'ऑलराउंटर' में दम कितना है?
iQOO Neo 9 Pro 5G फ़्लैगशिप स्नैपड्रेगन Gen 2 चिपसेट और 144 हर्ट्ज रिफ्रेश रेट के साथ आता है. खिचक-खिचक करने के लिए 50 मेगापिक्सल कैमरा मिलता है तो 5160 mAh बैटरी भी फिट की हुई है. डिस्प्ले में स्क्रीन प्रोटेक्शन पहले से लगा हुआ है तो बैक कवर के साथ 120 वॉट का फास्ट चार्जर भी मिलता है.
iQOO Neo 9 Pro 5G फ़्लैगशिप स्नैपड्रेगन Gen 2 चिपसेट और 144 हर्ट्ज रिफ्रेश रेट के साथ आता है. खिचक-खिचक करने के लिए 50 मेगापिक्सल कैमरा मिलता है तो 5160 mAh बैटरी भी फिट की हुई है. डिस्प्ले में स्क्रीन प्रोटेक्शन पहले से लगा हुआ है तो बैक कवर के साथ 120 वॉट का फास्ट चार्जर भी मिलता है. इसके लिए कंपनी को आधा नंबर एक्स्ट्रा मेरी तरफ से. मतलब फोन लेने के बाद सिर्फ सिम खोंसने की जरूरत. अब बाकी तियां-पांचा समझते हैं.
डिजाइन और डिस्प्लेफ्लैट 6.78 इंच की स्क्रीन सामने की तरफ और पीछे वीगन लैदर और या मैट फिनिश वाला पैनल. फोन चाहे रेड और वाइट कलर वाला हो या सिर्फ ब्लैक वाला. हाथ में ग्रिप करने में कोई दिक्कत नहीं. बिना कवर के भी इस्तेमाल किया जा सकता है. फोन का वजन भी एकदम सही है. ब्लैक वेरियंट 196 ग्राम का है तो रेड एंड वाइट 190 ग्राम. 3000 निट्स पीक ब्राइटनेस वाला low-latency डिस्प्ले एकदम मक्खन है. इंस्टा पर रील देखने, यूट्यूब पर
हालांकि फोन में पीछू की तरफ दो कैमरे हैं मगर ये अच्छा ही है. क्योंकि मिडरेंज फोन में अक्सर जो तीसरा कैमरा लगाया जाता है वो बस नाम का ही होता है. मेन कैमरे के साथ एक अल्ट्रावाइड शूटर भी मिलता है.
तस्वीरें अच्छी आती हैं, मगर जूम हमें उतना कुछ खास अच्छा नहीं लगा. इस मामले में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वाला प्रोसेस भी कुछ खास हेल्प नहीं करता. तस्वीरों में नॉयस साफ नजर आता है.
हां कैमरे का कमाल लो-लाइट और पोर्ट्रेट मोड में वाकई अलग दिखता है. एकदम शानदार फ़ोटो आते हैं.
सेल्फ़ी वाले कार्यक्रम से मैं पहले भी खुश नहीं था और आज भी नहीं. फ़िल्टर और ब्यूटी मोड जैसी चीजों की जरूरत कैमरे को नहीं है. एक तो ये फ़िल्टर पहले से ऑन रहते हैं और बंद करने के बाद भी पूरी तरीके से पीछा नहीं छोड़ते.
मेरे हिसाब से कंपनी को इससे बचना चाहिए. रियल स्किन टोन का कोई मुकाबला नहीं. फ़िल्टर का काम ऐप्स को करने दीजिए.
बैटरी और चार्जिंग का चक्का5000 mAh से थोड़ा ऊपर की बैटरी दिनभर आराम से चलती है. दूसरे एंड्रॉयड स्मार्टफोन की तुलना में फोन का स्टेंड बाई टाइम भी अच्छा है. जहां कई फोन चार्जिंग से निकालते ही कुछ फीसदी कम हो जाते हैं वहीं iQOO Neo 9 Pro 5G कई घंटों तक स्टेबल रहता है. बात करें चार्जिंग की तो वाकई में बहुत फास्ट है. एक प्याला चाय बनाकर पीने में जितना वक्त लगता है, उतने में फोन 100 फीसदी चार्ज हो जाता है. 120 वॉट वाला चार्जर अपने आप में यूटिलिटी है. लैपटॉप और दूसरे डिवाइस भी चार्ज करता है. वैसे भी बैटरी की खपत और चार्जिंग कई कारकों पर निर्भर करती है. कभी कम और कभी ज्यादा. मगर फोन आपका साथ बरोबर देगा.
सॉफ्टवेयर और यूजर इंटरफ़ेसयहां iQOO हम नहीं सुधरेंगे वाली कसम खाकर बैठा है. वैसे तो फोन लेटेस्ट एंड्रॉयड 14 पर चलता है और आगे भी अपडेट मिलेंगे. लेकिन FunTouch ऑपरेटिंग सिस्टम पर कोई 'फन' नहीं आता. अच्छे सॉफ्टवेयर के साथ दुनिया जहान के फालतू ऐप्स क्यों देने हैं. कंपनी कह सकती है कि वो डिलीट हो जाते हैं लेकिन मैं कहूंगा जिस गली जाना ही नहीं उसका रास्ता पूछकर क्या मिलेगा. उम्मीद है कि कंपनी एक दिन FunTouch OS को वाकई मजेदार बनाएगी.
हमारा अनुभवरीव्यू हमने इसलिए नहीं कहा क्योंकि वो कुछ दिनों पहले ही साबित हो गया कि ओवररेटिड और बेजा इस्तेमाल होने वाला शब्द है. रही बात फोन की तो मिडरेंज में 35,999 रुपये की शुरुआती कीमत में आलराउंडर फोन है. हमें निराश नहीं करता. हम अभी इसको कुछ और दिन रगड़ कर इस्तेमाल करेंगे और जल्द वीडियो लेकर हाजिर होंगे.
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