सर आप परेशान मत हो. चिंता नक्को. आपका एक पैसा खर्च नहीं होगा. आपकी गाड़ी की मरम्मत मुफ़्त में हो जाएगी. अपन सारा क्लेम इंश्योरेंस कंपनी (Insurance Claim) से लेंगे. ऐसे सारे डायलॉग आपने तब सुने होंगे जब आपने अपनी गाड़ी को रिपेयरिंग के लिए दिया होगा. अब लेते हैं एक अल्पविराम. अब आई इंश्योरेंस रिन्यू करने की बारी. जोर का झटका. प्रीमियम बहुत बढ़ गया. एक और अल्पविराम. आप गाड़ी बेच रहे. जांच करने वाले ने बताया ये तो एक्सीडेंट वाली गाड़ी है.
गाड़ी की नन्नू सी खरोंच पर इंश्योरेंस क्लेम लेकर खुशियां मना लीं, अब कटेगी जेब!
गाड़ी का insurance renew करवाने की बारी आई मगर जोर का झटका लगा. क्योंकि प्रीमियम बहुत बढ़ गया. आप गाड़ी बेच रहे और जांच करने वाले ने बताया ये तो एक्सीडेंट वाली गाड़ी है. हालांकि आपको कछु समझ में नहीं आ रहा होगा कि क्यों आपकी गाड़ी का प्रीमियम बढ़ गया या क्यों वो एक्सीडेंट वाली घोषित हो गई. हम बताते.

सुनकर आपको कैसा लगा होगा वो बताने की जरूरत नहीं. झटके से उबरने के लिए एक पूर्णविराम ले लेते हैं. हालांकि आपको कछु समझ में नहीं आ रहा होगा कि क्यों आपकी गाड़ी का प्रीमियम बढ़ गया या क्यों वो एक्सीडेंट वाली घोषित हो गई. हम बताते.
आज के फायदे में परसों का घाटादरअसल आप अपने लालच और गाड़ी रिपेयर करने वाले की चालाकी के शिकार बने हैं. आपको लगा कि चलो रिपेयर का खर्च बच जाएगा. ना सोचा ना पढ़ा और साइन कर दिए. वही साइन जो आप गाड़ी देते समय करते हैं. इसके बाद होता है असल खेला. आपकी गाड़ी के जिस हिस्से की मरम्मत होनी है उसे तबीयत से तोड़ा जाता है. पहले से खराब को और खराब और बदतर किया जाता है. गाड़ी के एक्सीडेंट की कहानी बनाई जाती है.

इसके बाद लिया जाता है क्लेम. अब चूंकि आपने साइन किए तो आपकी सहमति. वही सहमति जिसमें एक्सीडेंट से लेकर गाड़ी की तोड़फोडड का जिक्र होता है. तब तो आपको पता नहीं चलता, मगर अगले प्रीमियम पर जेब फट जाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि जैसे ही आपने क्लेम लिया तो NCB मतलब No Clame Bonus गया. ये कई बार 45 फीसदी तक होता है.
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आगे गुणा-गणित आप खुद लगा लीजिए. एक्सीडेंटल गाड़ी का ठप्पा लगता है सो अलग. क्योंकि आजकल सब ऑनलाइन है तो गाड़ी खरीदने वाले को सब पता करना कोई मुश्किल नहीं. आपको लग रहा होगा कि बहुत देर से हमने आपको दुखी कर रखा है. चिंता मत कीजिए, हम इससे बचने का उपाय बताते हैं.
माने कि गाड़ी के रिपेयर की कॉस्ट पता कीजिए. बोले तो पूरी गाड़ी में अगर एक दरवाजा पेंट होना है तो फिर जेब से पैसा देकर काम चला लीजिए. क्यों रिकॉर्ड में क्लेम और एक्सीडेंटल चढ़वाना. मतलब कुछ सौ और हजार के खर्चे के लिए बड़ा बिल क्यों फड़वाना.
हां जो वाकई में खर्चा लंबा है तो फिर इंश्योरेंस बना ही इसलिए है. मगर छोटू सी खरोंच के लिए क्यों अपना जी खरोंचना.
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