स्टार्टअप से लेकर ब्रांड की सक्सेस स्टोरी तक तमाम किस्से हमने आपको बताए हैं. शार्क टैंक इंडिया में रौला जमाने वाली कंपनियों की कहानियां भी आपसे साझा की हैं. कभी Zomoto की सफलता का ‘स्वाद’ आपको बताया तो कभी Crocs की चप्पलें 'पहनाईं'. आज भी ऐसी ही कंपनी की सफलता का केक हम आपको खिलाएंगे, जिसकी क़ीमत आज की तारीख में ₹3,500 करोड़ के अल्ले-पल्ले हो चुकी है. बात करेंगे Theobroma बेकरी की जिसकी मालकिन बहनें कमरा भरकर पैसा कमाने वाली हैं. आप कहोगे कि इसमें क्या नया बताओगे, भईया हम आपको उस बंदे से मिलवाएंगे जिसकी बदौलत ये सब हुआ है.
Theobroma: 'संघर्ष की देवियों' की बेकरी, जिसे 'सफलता के देवता' ने 3500 करोड़ की बना दिया
Theobroma बेकरी की शुरुआत 2004 में दो बहनों, कैनाज और टीना मेसमैन ने की थी. आज इसकी वैल्यूएशन 3500 करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है. दोनों बहनें कमरा भरकर पैसा कमाने वाली हैं. हालांकि, थियोब्रोमा की असली ग्रोथ के पीछू एक और शख्स का हाथ है.
![post-main-image](https://static.thelallantop.com/images/post/1734453019101_theobroma_.webp?width=360)
कोरोना से पहले अगर इस नाम की बात करते तो शायद मुंबई में भी इनको कुछ ही लोग जानते. मगर आज इन्हें हर कोई जानता है. बेकरी जो केक, ब्राउनी, डेसर्ट, चॉकलेट, ब्रेड, यहां तक कि नमकीन भी बनाती है. थियोब्रोमा शब्द ग्रीक से लिया गया है, जिसका मतलब है ‘देवताओं का भोजन’. सिर्फ एक छोटे से कमरे से शुरू हुआ ब्रांड आज करोड़ों छाप रहा है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, थियोब्रोमा की वैल्यू करीब ₹3,500 करोड़ आंकी गई है. क्रिस कैपिटल थियोब्रोमा फूड्स को खरीदने की तैयारी कर रहा है. माना जा रहा है कि यह डील करीब ₹3,200 से ₹3,500 करोड़ के बीच हो सकती है. अगर यह डील डन हुई तो यह सौदा भारत में किसी भी फाउंडर्स के लिए सबसे बड़े कैश एक्ज़िट्स में से एक होगा. मतलब थियोब्रोमा की दोनो बहनों कैनाज़ और टीना को 700 करोड़ रुपये से ज्यादा मिलेगा.
कैनाज़ और टीना से याद आया कि हमें The Theobroma Story: Baking a Dream के पन्ने भी पलटने हैं. ये किताब लिखी है कैनाज़ ने जिसमें उन्होंने बेकरी स्टार्ट करने के बारे में बताया है. कैनाज़ एक प्रोफेशनल शेफ थीं और उन्होंने लंदन के मशहूर Le Cordon Bleu से ट्रेनिंग ली थी. Oberoi जैसे बड़े ग्रुप में पेस्ट्री शेफ थीं. लेकिन एक गंभीर बैक इंजरी की वजह से उन्हें होटल की नौकरी छोड़नी पड़ी.
यह एक मुश्किल वक्त था. लेकिन इसी मुश्किल ने कैनाज और उनकी बहन टीना को कुछ बड़ा करने का मौका दिया. दोनों ने मिलकर बेकरी का सपना देखने और उसे हकीकत में बदलने की ठानी. 2004 में पिता से एक करोड़ रुपये का लोन लेकर उन्होंने छोटे पैमाने पर शुरुआत की. पहले थियोब्रोमा सिर्फ मुंबई में था, लेकिन धीरे-धीरे इसका नाम बढ़ता गया. उनकी ब्राउनी और केक इतने मशहूर हुए कि लोग बार-बार आने लगे. 2014 में उन्हें 5 करोड़ की फंडिंग मिली, जिससे उन्होंने दूसरे शहरों में अपने आउटलेट्स खोले. आज भारत के तीस से ज्यादा शहरों में उनके 225 से भी ज्यादा आउटलेट्स हैं. लेकिन 'संघर्ष की देवियों' की इस सक्सेस में एक 'सफलता के देवता' का भी खास योगदान है.
2020 में जब पूरी दुनिया कोरोना की वजह से परेशान थी और बड़े-बड़े बिजनेस बंद हो रहे थे, उस समय ऋषि गौर ने फरवरी 2020 में थियोब्रोमा को जॉइन किया. तब बेकरी सिर्फ मुंबई और कुछ बड़े शहरों तक सीमित थी. लेकिन उनके आने के बाद थियोब्रोमा ने ऐसी उड़ान भरी कि अब यह पूरे भारत में मशहूर हो गई है.
ऋषि गौर ने न केवल थियोब्रोमा को बढ़ाया, बल्कि इसे उस ऊंचाई तक ले गए जो भारत के इतिहास में शायद ही किसी बेकरी ने हासिल की हो. ऋषि गौर ने IIM अहमदाबाद से पढ़ाई की है. इसके बाद उन्होंने Sodexo और RKHS Food and Allied Services जैसी बड़ी कंपनियों में अहम जिम्मेदारियां संभालीं. जब कोविड-19 महामारी के चलते सब कुछ बंद हो रहा था, कैफे और रेस्टोरेंट्स में ताले लग गए थे और लोग अपने घरों में कैद थे, तब ऋषि गौर ने इसे मुश्किल समझने के बजाय मौके बना लिया. उन्होंने थियोब्रोमा की पूरी रणनीति बदल दी और होम डिलीवरी पर ध्यान दिया. उन्हीं की अगुआई में यह तय हुआ कि थियोब्रोमा के ताज़ा और स्वादिष्ट प्रोडक्ट्स लोगों के घर तक पहुंचें. शुरुआती दिनों में मुश्किलें आईं, कंपनी को नुकसान भी हुआ. लेकिन महामारी के खत्म होते ही थियोब्रोमा ने 'सफलता का स्वाद' पकड़ लिया.
ग्राहकों की बदलती जरूरतों को समझते हुए ब्रांड ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया और ‘Easy to Reach’ मॉडल अपनाया. महंगे कैफ़े खोलने के बजाय ऋषि गौर ने क्लाउड किचन मॉडल को अपनाया. Swiggy और Zomato जैसे डिलीवरी प्लेटफॉर्म्स के जरिये थियोब्रोमा अब सीधे ग्राहकों के घर तक पहुंचने लगा. Mint की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी का रेवेन्यू FY20 में ₹120 करोड़ से बढ़कर FY22 में ₹254 करोड़ हो गया.
ऋषि ने थियोब्रोमा के सिग्नेचर प्रोडक्ट्स – जैसे ब्राउनीज़ और कुकीज़ – को ऑनलाइन बेचने का भी फैसला किया. ऋषि गौर आज भी थियोब्रोमा के CEO हैं और इसे और बड़ा बनाने की दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं. The Economic Times के अनुसार, उनका लक्ष्य है कि FY 2025 तक थियोब्रोमा का टर्नओवर 600 करोड़ रुपये तक पहुंचे और 175 से 200 नए आउटलेट्स खोले जाएं.
वीडियो: 'ठुकरा के मेरा प्यार' के पीछे क्या कहानी है?