जीवन में जब पहली बार इंडियन रेलवे के AC कोच में यात्रा की, आप सही पढ़े क्योंकि देश में आज भी ज्यादातर लोग स्लीपर और जनरल कोच में ही यात्रा करते हैं. तो मैंने अपनी मातारानी से बहुत स्टाइल में कहा, चादर और कंबल रखने की जरूरत नहीं क्योंकि वो ट्रेन में मिलता है. मतलब ठंडी-ठंडी हवा के साथ बिछावन और ओढ़न का मिलना भी बड़ी बात थी. यकीन से कह सकता हूं कि वातानुकूलित डब्बे की पहली यात्रा का आपका अनुभव भी कुछ मेरे जैसा ही रहा होगा. खैर ट्रेन यात्राओं का क्रम आज भी जारी है. मगर,
ट्रेन में मिलने वाला कंबल धुलता भी है या नहीं, जवाब रेल मंत्री Ashwini Vaishnaw से जान लीजिए
Indian Railways: ट्रेन में जो कंबल, चादर और तकिया का कवर मिलता है. वो धुलता है या नहीं. विशेषकर कंबल... और धुलता है तो कितने दिनों में. इतना पढ़ते ही आपको भी छींक आई होगी. क्योंकि कई बार कंबल में धूल होती है. जवाब मिला है वो भी खुद रेल मंत्री Ashwini Vaishnaw से.
एक सवाल का जवाब आज तक तो अनुत्तरित था. ट्रेन में जो कंबल, चादर और तकिया का कवर मिलता है. वो धुलता है या नहीं. विशेषकर कंबल और धुलता है तो कितने दिनों में. इतना पढ़ते ही आपको भी छींक आई होगी. क्योंकि कई बार कंबल में धूल होती है. जवाब मिला है वो भी खुद रेल मंत्री Ashwini Vaishnaw से.
कंबल की ‘कंबल कुटाई’ कब होती हैहालांकि ट्रेन के AC कोच में मिलने वाले चादर और तकिये के कवर को लेकर कोई संशय नहीं है कि वो धुले हुए होते हैं. क्योंकि कई बार उनके अंदर से साफ़ कपड़े वाली महक भी आ रही होती है और कई दफ़ा उनमें थोड़ा सा गीलापन भी रह जाता है. असल दुविधा तो कंबल जी को लेकर थी. जनाब की कुटाई मतलब धुलाई होती भी है या नहीं. अगर होती है तो कब. दुविधा को सुविधा में बदला मंत्री जी ने. दरअसल रेल मंत्री Ashwini Vaishnaw लोकसभा में रेलवे की साफ़-सफ़ाई पर पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे.
कांग्रेस के गंगानगर से सांसद Kuldeep Indora ने पूछा था,
क्या कंबल या ब्लैंकेट महीने में केवल एक बार धोए जाते हैं जबकि यात्री तो बेसिक स्वच्छता स्टैंडर्ड को पूरा करने वाले बिस्तर के लिए भुगतान तो ही कर रहे हैं
कुलदीप इंदौरा के सवाल के जवाब में अश्विनी वैष्णव ने बताया,
रेल यात्रियों को दिए जाने वाले कंबलों को महीने में कम से कम एक बार धोया जाता है और रजाई कवर के रूप में उपयोग के लिए बेडरोल किट में एक अतिरिक्त बेडशीट भी प्रदान की जाती है.
मतलब बिछाने के साथ एक और चादर होती है जिसे ओढ़कर उसके ऊपर कंबल डाला जाता है. रेल मंत्री ने अपने लिखित जवाब में बताया,
वर्तमान स्पेसिफिकेशन के अनुसार, भारतीय रेलवे में उपयोग किए जाने वाले कंबल हल्के, धोने में आसान होते हैं और यात्रियों को आरामदायक यात्रा अनुभव प्रदान करते हैं
उन्होंने बताया कि नए कंबलों के लिए BIS स्टैंडर्ड को भी बढ़ाया गया है. कंबलों की सफ़ाई के लिए मशीनों और लिक्विड का भी एक मानक तय किया गया है. इतना ही नहीं इनसे जुड़ी शिकायत के लिए RailMadad पोर्टल को भी अपडेट किया गया है.
कहने का मतलब कंबल की कुटाई या कहें धुलाई होती तो है. बाकी आपका विवेक.
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