इधर आपने ओवर स्पीड किया नहीं मतलब निर्धारित गति सीमा से ऊपर गाड़ी भगाई नहीं, उधर फट से आपका चालान कट जाता है. बाकायदा गाड़ी की नंबर प्लेट की फोटो के साथ जुर्माने की जानकारी दी जाती है. लेकिन कैसे? आखिर कैसे सड़क पर कहीं दूर लगा कैमरा गाड़ी की नंबर प्लेट को कैप्चर कर लेता है? कौन सी तकनीक है इसके पीछे? कोई भारी भरकम कैमरा सेटअप है या फिर मशीन लर्निंग का कमाल है? चलिए आप दिमाग को तेज मत दौड़ाइए क्योंकि हम बताते हैं कि आखिर ये सब होता कैसे है?
गाड़ी तेज चलाई नहीं कि चालान कट जाता है, इस तकनीक ने अब चोरों की नींद हराम कर दी है
इस तकनीक के बारे में एक-एक बात जान लीजिए.

ANPR मतलब स्पीड कैप्चर करने वाले कैमरे में इस्तेमाल होने वाली तकनीक. Automatic Number Plate Recognition. जैसा नाम से साफ पता चलता है कि ये बनी ही नंबर प्लेट को पकड़ने के लिए है. ये एक इमेज प्रोसेसिंग पर बेस्ड तकनीक है, जो वाहन नंबर (लाइसेंस) प्लेट्स को पढ़ने के लिए ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन (OCR) का यूज करती है.
ये मशीन लर्निंग पर बेस्ड सिस्टम है जिसको ट्रेंड किया गया है नंबर प्लेटस की फोटो पहचानने के लिए. ऐसे कैमरों को नंबर प्लेट की साइज से लेकर उसके ऊपर अंकित अक्षरों से फ़ीड किया जाता है. एकदम फोकस रखकर. कहें तो सिर्फ प्लेट पर ध्यान देना है. दुनिया-जहान पर नहीं. वैसे भी गाड़ियों की नंबर प्लेट कोई पचास किस्म की तो होती नहीं है. उसका एक स्टैंडर्ड है. हालांकि अभी भी कई गाड़ियां अलग-अलग डिजाइन वाली नंबर प्लेट्स इस्तेमाल करती हैं इसलिए इन कैमरों में उसका भी प्रबंध है. कहने का मतलब नंबर प्लेट के आकार वाली, एक सी दिखने वाली प्लेटस को भी सिस्टम में भरा गया है. इसका इस्तेमाल चोरों को पकड़ने के लिए भी होता है.
FPS मतलब फ्रेम पर सेकंड. मतलब एक सेकंड में कैमरा कितनी इमेज कैप्चर करेगा. दरअसल, आपके सामने जो फोटो आती है वो कई सारी फोटो का मिश्रण होती है. कैमरे की क्षमता के हिसाब से वो एक सेकंड में कई फोटो लेकर एक फोटो बनाता है. आम कैमरा जहां 25-30 फ्रेम हर सेकंड कैद करता है, तो दूसरी तरफ ANPR कैमरे 70-120 फ्रेम हर सेकंड कैद करते हैं. आपकी जानकारी को थोड़ा और बढ़ा देते हैं. जल्दी ही यही सिस्टम देश में फास्टटैग वाले टोल-टैक्स को भी रिप्लेस कर देगा.
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