पेट्रोल पंप पर पेट्रोल या डीजल भरवाते समय आपने एक चीज पर गौर किया होगा. टंकी फुल होते ही या जरूरत के हिसाब से पेट्रोल डलते ही खटाक की आवाज आती है. अगर आप इसे जादू समझते हैं तो ये आपकी बड़ी मिस्टेक है. आज इसी मिस्टेक को ठीक करेंगे. बताएंगे कि टंकी फुल होते ही तेल के नोजल को कैसे पता चल जाता है कि अब काम खत्म रे बाबा, टंकी का पेट भर गया.
गाड़ी में पेट्रोल भरते ही नोजल की खटाक आवाज तो सुनी होगी, अब इसकी वजह भी जान लें
आपने गौर किया होगा, मतलब किया ही होगा की पेट्रोल पंप पर टंकी फुल होते ही फटाक से खटाक की आवाज आती है और पेट्रोल भरना अपने आप बंद हो जाता है. सवाल ये कि टंकी फुल होते ही तेल के नोजल को कैसे पता चल जाता है कि अब काम खत्म रे बाबा. टंकी का पेट भर गया.

ये भी पढ़ें: पेट्रोल पंप पर टंकी फुल कराते वक्त ये 'चूक' लंबा चूना लगवा सकती है!
नोजल के कोने में लगे होल का खेल है क्या?आपने ज्यादा गौर फरमाया हो तो आपको नोजल के मुहाने पर एक छोटा सा होल दिखा होगा. अब तो पक्का आपने मान ही लिया होगा कि यही छोटा सा होल चौकीदार है. इसके मुंह लगा तो हाथ आया. लेकिन नहीं जनाब, ये होल बाबू तो सिर्फ सिग्नल देते हैं. असल काम तो एयर प्रेशर और हैन्डल पर लगे ऑटोकट मैकेनिज्म का है.
नोजल के मुंह पर जो होल होता है वो एक पाइप से जुड़ा होता है. इस पाइप को कहते हैं Venturi Port. इस नाम को याद रखिएगा क्योंकि इस पूरी प्रोसेस का हीरो यही है. नोजल से जब फ्यूल बाहर आता है तो ये पाइप हवा बाहर खींचता है. जब टंकी फुल हो जाती है तो जाहिर सी बात है कि ये पाइप महाशय फ्यूल को खींचने की कोशिश करते हैं.

महाशय अपने मकसद में कामयाब भी हो जाते हैं, मगर यहीं बाजी मार ले जाती है पेट्रोल की प्रॉपर्टी. क्योंकि पेट्रोल की डेन्सिटी हवा से काफी ज्यादा होती है तो यहां बनता है तगड़ा एयर प्रेशर. प्रेशर क्या करता है वो तो बताएंगे ही, मगर ये भी जान लीजिए कि इनकी डेन्सिटी में आखिर फर्क होता कितना है.
सामान्य तौर पर हवा की डेन्सिटी 1.225 किलोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होती है तो फ्यूल की 715-780 किलोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर. डेंसिटी का मतलब किसी पदार्थ या उत्पाद के घनत्व से है. और आसान भाषा में बताने की कोशिश करें तो डेंसिटी का मतलब पदार्थ या उत्पाद के गाढ़ेपन से है. इसके बारे में हमने डिटेल में बताया है. लिंक नीचु मिलेगा.
अब बात एयर प्रेशर की जो फ्यूल और हवा के बीच ‘पहले हम-पहले हम’ के चक्कर में बना था. पाइप भईया फ्यूल खींच लिए और फंस गए. अब इससे जो प्रेशर बना था वो कहीं तो रिलीज होगा. टंकी की तरफ तो गला भरा हुआ है तो ये अचानक से बना प्रेशर रिलीज कहां होता है, नोजल के हैन्डल वाले इंटरनल पार्ट पर. इस प्रोसेस में यहां से प्रेशर

बस इतना ही है, मगर जैसे हमने कहा था कि Venturi Port को याद रखना. ये जो पूरा प्रोसेस है उसे विज्ञान की भाषा में Venturi Effect कहते हैं. प्रेशर के इस प्रोसेस की खोज 18वीं शताब्दी में भौतिक विज्ञानी Giovanni Battista Venturi ने की थी. प्रेशर रिलीज का ये प्रोसेस सिर्फ पेट्रोल पंप के नोजल तक महदूद नहीं है. इसका इस्तेमाल एयरक्राफ्ट में भी होता है.
जानकारी समाप्त.
अब जो आपको लगे कि ये बताने की क्या जरूरत थी, तो भइयो हर चीज के पीछू साइंस है और साइंस जितना भी जान लो, कम ही रहेगा.
वीडियो: शार्क टैंक में आया अनोखा ऐप आपको पेट्रोल पंप की लाइन में लगने से बचा लेगा