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Haldiram के स्नैक्स बेचने के लिए कंपनियां 7,05,00,00,00,000 रुपये देने को तैयार

इक्विटी फर्मों ने हल्‍दीराम का सेव खाने के लिए 8-8.5 अरब डॉलर बोले तो 66,400-70,500 करोड़ रुपये का ऑफर किया है. मगर कंपनी सेव तो दूर चटनी भी नहीं दे रही. हालांकि अगर हल्‍दीराम मान गई और सौदा मंजूर हुआ तो ये भारत के इतिहास में FMCG सेक्‍टर में सबसे बड़ा अधिग्रहण होगा.

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हल्दीराम का सेव कौन खाएगा. (तस्वीर: इंडिया टुडे)

देश की एक कंपनी है जिसके अधिग्रहण के लिए दुनिया भर के धुरंधरों में होड़ मची हुई है. इस कंपनी के अधिग्रहण (Haldiram acquisition) के लिए दिग्गज इक्विटी फर्मों के बीच एक किस्म से जंग छिड़ी हुई है. एक तरफ है ब्लैकस्टोन जो अबू धाबी इनवेस्टमेंट अथॉरिटी और सिंगापुर के सॉवरेन वेल्थ फंड GIC के साथ इस कंपनी का अधिग्रहण करना चाह रही है. वहीं दूसरी तरफ बेन कैपिटल, जो सिंगापुर की टेमासेक के साथ इसको अपना बनाने का ख्वाब देख रही है. बड़े-बड़े दिग्गज मैदान में हैं, लेकिन पैकेट नहीं खुल रहा. शायद आपको लगे कि पैसा कम दे रहे होंगे. नहीं जनाब…

क्योंकि इन इक्विटी फर्मों ने इस कंपनी की सेव खाने के लिए 8-8.5 अरब डॉलर बोले तो 66,400 से 70,500 करोड़ रुपये का ऑफर किया है. मगर कंपनी सेव तो दूर चटनी भी नहीं दे रही. अंदाजा आपने लगा ही लिया होगा. कंपनी का नाम हल्‍दीराम है. अगर हल्‍दीराम मान गई और सौदा मंजूर हुआ तो ये भारत के इतिहास में FMCG सेक्‍टर में सबसे बड़ा अधिग्रहण होगा. लेकिन क्या ये पहली बार है? नहीं.

टाटा ने की कोशिश

साल 2023 में भी Tata Consumer Products ने हल्‍दीराम को खरीदने की कोशिश की थी. तब टाटा ने 51 फीसदी हिस्सेदारी लेने की बात सामने आई थी, मगर बाद में पता चला कि हल्‍दीराम ने अपनी वैल्यूएशन को 10 अरब डॉलर (85 हजार करोड़ लगभग) आंका था जो टाटा के हिसाब से बहुत ज्यादा था. अभी इस बात को कुछ ही महीने हुए हैं और कंपनी को इतने पैसे देने वाले मिल गए हैं. अब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ऐसा है क्या इस कंपनी में. दरअसल कंपनी में नहीं बल्कि देश के स्नैक्स मार्केट में है.

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यूरोमॉनिटर इंटरनेशनल के अनुसार भारत का स्नैक्स मार्केट तकरीबन 6.2 अरब डॉलर (50 हजार करोड़ रुपये) का है और हल्दीराम की इसमें करीब 13 फीसदी की हिस्सेदारी है. हालांकि 12 फीसदी के साथ Pepsi का भी इस मार्केट में दबदबा है जिसका Lays चिप्स अपना भौकाल बनाए हुए हैं. मगर वो पेप्सी का हिस्सा है, तो उसको खरीदना नामुमकिन है. ऐसे में हल्दीराम मुफीद ऑप्शन है.

पक क्या रहा है?

बेन कैपिटल पिछले महीनों में हल्दीराम चलाने वाले अग्रवाल परिवार के साथ चर्चा में रहा है. हालांकि शुरू में छोटे निवेश के इर्द-गिर्द बातचीत घूमती रही. इक्विटी फर्म हल्दीराम में 76 प्रतिशत तक हिस्‍सेदारी लेना चाहती है और अग्रवाल परिवार इसके लिए तैयार भी हो गया है. हालांकि इस अधिग्रहण में स्नैक्स व्यवसाय का विलय ही होगा. रेस्तरां चेन परिवार के पास रहेगा. शायद यही वो पॉइंट है जहां बात अटकी हुई है.

वैसे डील को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने अपनी मंजूरी दे दी है. दोनों दावेदारों का लक्ष्य अगले कुछ महीनों के भीतर NCLT की मंजूरी से विलय के साथ-साथ सौदे को अंतिम रूप देना है. रही बात हल्दीराम की तो कंपनी की स्थापना 1937 में हुई थी. नमकीन, चिप्स, मिठाई और बेवरेज सहित अलग-अलग प्रकार के स्नैक्स और फूड आइटम बनाती है. भारत समेत दुनिया-जहान में सेव फैलाए हुए है. 

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