दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनियों में शुमार Google को अमेरिका की एक अदालत ने बड़ा झटका दिया है. वर्जीनिया के एलेक्जेंड्रिया जिला न्यायालय ने गूगल को "ऑनलाइन ऐडटेक इंडस्ट्री में अवैध मोनोपोली (एकाधिकार)" कायम करने का दोषी ठहराया है.
"Google की बादशाहत पर कोर्ट की चोट!" अमेरिकी अदालत ने ‘विज्ञापन का गुंडा’ बताया!
Google Ad Tech Monopoly Case: अमेरिका के 'डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस' (DOJ) ने Google के खिलाफ ‘अविश्वास मुकदमा’ दायर किया था. इसी का फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कंपनी को दोषी पाया है. फैसला सुनाने के दौरान US डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की जज लियोनी ब्रिंकमा ने कहा कि, "गूगल ने इंटरनेट की लाइफलाइन को जकड़ लिया है!"
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किसने सुनाया फैसला?
जज लियोनी ब्रिंकमा ने कहा कि गूगल ने विज्ञापन की दुनिया में ऐसा जाल बिछाया कि कोई और कंपनी उठ ही नहीं सकी.
गूगल ने दो बड़े डिजिटल ऐड बिजनेस पर गैरकानूनी कब्जा जमा लिया,
Publisher Ad Server – जिससे वेबसाइट्स पर विज्ञापन दिखाए जाते हैं
Ad Exchange – जहां विज्ञापन खरीदे-बेचे जाते हैं (बिलकुल शेयर मार्केट की तरह)
कोर्ट ने कहा,
कौन-कौन रहा घाटे में?ये दोनों सिस्टम मिलकर इंटरनेट का ऐसा इंजन बनाते हैं, जिससे न्यूज़ वेबसाइट्स और ऑनलाइन क्रिएटर्स कमाई करते हैं. यही इंटरनेट की ‘लाइफलाइन’ है -और गूगल ने इसे अपने कब्जे में कर लिया.
पब्लिशर्स - जिन्हें कम रेवेन्यू मिला
प्रतिस्पर्धी कंपनियां - जो गूगल के सामने टिक नहीं पाईं
आम यूजर - जिन्हें विज्ञापनों की विविधता और गुणवत्ता से वंचित होना पड़ा
ये सब शुरू कैसे हुआ?साल 2023 में अमेरिका के Department of Justice (DOJ) ने गूगल पर एक “प्रतिस्पर्धा विरोधी मुकदमा” (Antitrust Lawsuit) दायर किया. उन्होंने कहा,
अब आगे क्या होगा? गूगल को बेचनी पड़ सकती है अपनी ‘कमाई की मशीन’?गूगल ऑनलाइन ऐड मार्केट को कंट्रोल कर रहा है. इसे तोड़ना ज़रूरी है ताकि बाकी कंपनियों को भी मौका मिले.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट की अगली सुनवाई में ये तय हो सकता है कि, गूगल को अपनी ऐडटेक यूनिट्स के कुछ हिस्से बेचने होंगे. DOJ की मांग है कि कम से कम ‘Google Ad Manager’ को गूगल को बेचना ही चाहिए. तारीख अभी तय नहीं हुई, लेकिन मामला अब और भी गर्माने वाला है.
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पहली बार नहीं है गूगल पर ये इल्ज़ाम…इससे पहले भी एक कोर्ट ने कहा था कि गूगल ने "ऑनलाइन सर्च मार्केट" में भी गैरकानूनी दबदबा बना रखा है.
यानी गूगल की 'डिजिटल बादशाहत' अब लगातार जांच के घेरे में है.
टेक्नोलॉजी की दुनिया में ‘फ्री सर्विस’ देने के नाम पर जो ‘पावर’ इकट्ठा की गई, अब वही कानूनी दायरे में फंसती दिख रही है. गूगल को अब तय करना होगा—वो ‘विज्ञापन का राजा’ बना रहेगा, या नियमों के मुताबिक नए खिलाड़ियों को भी मैदान में आने देगा.
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