सोचा था कि ट्रेन में मजे से लैपटॉप पर काम करेंगे. उसके बाद मिर्जापुर सीजन 3 निपटाएंगे. ट्रेन सरपट दौड़ी और उसके साथ आपके लैपटॉप की बैटरी भी. आपने दन्न से चार्जर निकाला और फ़न्न से पॉइंट में खोंस दिया. मगर ये क्या, अभी तो गुड्डू भईया मिर्जापुर की गड्डी ढंग से संभाल भी नहीं पाए थे कि ट्रेन में लैपटॉप चार्ज करने के लिए आप पर जुर्माना लग गया. इतना पढ़कर शायद आपको लगेगा हम आपकी फिरकी ले रहे. लेकिन नहीं जनाब, ऐसा सच में हो सकता है. इतना ही नहीं, जुर्माना तो ट्रेन में गृहस्थी जितना सामान ले जाने पर भी लग सकता है. इसलिए रेलवे के कुछ नियम जानना बहुत जरूरी है (Five railways rules you should know).
रेलवे के ये 5 नियम याद कर लीजिए, ट्रेन के सफर में कभी 'Suffer' नहीं करेंगे
भारत में ट्रेन में यात्रा करने के कुछ नियम (five Railways rules you should know) हैं. मसलन लगेज कितना ले जा सकते हैं या फिर मिडिल बर्थ पर कब तक सो सकते हैं. टिकट की वैधता और इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस की चार्जिंग को लेकर भी रूल हैं. अगर इनको नहीं माना गया तो फिर तगड़ा जुर्माना लगना तय है.

अभी तक आप समझ गए होंगे कि हमारा इरादा आपकी फिरकी लेने का नहीं बल्कि आपको ट्रेन यात्रा के कुछ जरूरी नियम बताना है. जो आपने ये नियम जान लिए तो जुर्माने की फिरकी से बचे रहेंगे. जरूरी पांच नियम राजधानी की स्पीड से जान लीजिए.
ट्रेन में लगेज की लिमिट हैएकदम वैसे ही जैसे हवाई जहाज में होता है. ट्रेन में भी लगेज ले जाने की एक लिमिट है. रेलवे ने हर कोच के हिसाब से सामान की एक लिमिट तय की है. जैसे 40 किलो से लेकर 70 किलो तक का भारी सामान अपने साथ ट्रेन के डिब्बे में रख सकते हैं. स्लीपर में 40 किलो तक, एसी टू टीयर में 50 किलो, फर्स्ट क्लास एसी में सबसे ज्यादा 70 किलो. इससे ज्यादा सामान है तो लगेज वैन में बुक कीजिए वरना... आप समझदार हैं.

ट्रेन में जो चार्जिंग सॉकेट होता है वो सिर्फ मोबाइल चार्ज करने के लिए है. अगर आप ध्यान से देखेंगे तो इससे जुड़ी सूचना प्लग के पास लगी होती है. लैपटॉप, पावर बैंक, चाय बनाने वाली केतली या कोई और इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट चार्ज करने पर TTE आपको ‘चार्ज’ कर सकते हैं. बोले तो जुर्माना लग सकता है. दरअसल इसके पीछे का गणित बिजली की सप्लाई में है. आमतौर पर लैपटॉप चार्जर को 110/220V की पावर चाहिए होती है जबकि ट्रेन वाला प्लग इसका आधा आउटपुट ही देता है. माने कि प्लग में चार्जर खोंसने से वो बहुत स्लो चार्ज होगा. हां जुर्माना फास्ट लगेगा. इसलिए रहने दीजिए.

आपने टिकट बुक की A शहर से, मगर आपका मन हुआ कि हम तो B शहर से चढ़ेंगे. या फिर आपकी ट्रेन छूट गई और आपने तय किया कि चलो अगले स्टेशन से पकड़ लेंगे. आप ऐसा कर सकते हैं, मगर आगे के दो स्टेशन तक. मतलब आपके बोर्डिंग स्टेशन से अगले दो स्टेशन तक टिकट आपकी ही रहेगी. इसके बाद TTE अंकल उसको किसी और सवारी को दे देंगे.
जागो सवारी जागोये नियम है मिडिल वाली बर्थ के लिए. इसके ऊपर सोने का समय तय है. रात के 10 से सुबह के 6 बजे तक. इसके बाद मिडिल बर्थ को फोल्ड करके सोने देना होगा. हालांकि आपको तय सीमा से ज्यादा सोना है तो लोअर बर्थ और अपर बर्थ की सवारियों से सहमति लेनी होगी. आप जिद करके तय वक्त से ज्यादा नहीं सो सकते हैं.
बहुत काम का नियम है, जब आपको अपने आखिरी स्टेशन तक का रिजर्वेशन नहीं मिल रहा हो. आप एक स्टेशन या दो स्टेशन पहले का टिकट लेकर यात्रा कर सकते हैं. इसके बाद ट्रेन में TTE से कहकर आप बचे हुए स्टेशन का टिकट ले सकते हैं. कई बार आपके स्टेशन तक पहुंचते-पहुंचते यात्रियों की संख्या कम हो जाती है इसलिए आपको टिकट मिल सकती है. हां सीट या डिब्बा वही मिले जिस में आप यात्रा कर रहे थे, वो जरूरी नहीं.
ये कुछ नियम याद रखिए तो आपका ट्रेन का सफर अंग्रेजी का suffer नहीं बनेगा. और हां, अगर ट्रेन में कोई मदद की जरूरत हो तो ‘रेल मदद’ ऐप जिन्दाबाद.
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