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FBI की ये बात अगर नहीं मानी तो फोन में हो जाएगा तगड़ा खेल, एक-एक पैसा उड़ जाएगा!

हैदरबाद में एक CEO के 16 लाख रुपये उड़ गए हैं.

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USB से हैकिंग के कई मामले सामने आए हैं. (तस्वीर: इंडिया टुडे)

अमेरिकी खुफिया एजेंसी FBI (Federal Bureau of Investigation) अगर कोई चेतावनी जारी करे और उसका सीधा संबंध आपके स्मार्टफोन से हो तो बात करना जरूरी हो जाता है. चेतावनी भले आपको थोड़ी पुरानी लगे लेकिन इससे जुड़े मामले कभी पुराने नहीं होते. कहने का मतलब, अगर आपको भी अपना स्मार्टफोन कहीं पर भी चार्ज करने की आदत है तो आप अनजाने में हैकिंग का शिकार बनने वाले हैं. चार्जिंग पोर्ट में हैंडसेट और सब साफ. देशी भाषा में भले इसको चार्जर हैकिंग कहते हैं लेकिन इसका टेक्निकल नाम है Juice Jacking. आखिर हुआ क्या है जो FBI को बोलना पड़ा, चलिए समझते हैं.

बेफिक्री भारी पड़ेगी 

आपके पास हो आईफोन या एंड्रॉयड, दिन खत्म होते-होते बैटरी हांफने लगती है. अमूमन हम ऐसे में क्या करते हैं. केबल उठाई और चार्जिंग पोर्ट में घुसेड़ दी. बेफिक्र, बिंदास, बिना किसी टेंशन के. यही बेफिक्री आपके लिए परेशानी का सबब बन सकती है. स्मार्टफोन हैक हो सकता है. खासकर, कोई भी पब्लिक प्लेस जैसे रेलवे स्टेशन, मॉल, एयरपोर्ट, मेट्रो और बस स्टैंड, होटल, रेस्तरां, ऑफिस इत्यादि. आसान शब्दों में कहें तो ऐसी कोई भी जगह जहां बहुत से लोग अपना फोन चार्ज करते हैं और वहां USB चार्जिंग पोर्ट लगे हुए हैं तो आपको सावधान होने की जरूरत है.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि Juice Jacking कोई नया शब्द नहीं है. 2011 में सबसे पहले ये शब्द सामने आया. जूस इसलिए क्योंकि आम भाषा में हम कहते हैं ना कि अभी बैटरी में कितना जूस है. मतलब कितनी पावर बची हुई है. चार्जर से होने वाली हैकिंग कितनी खतरनाक है, उसका अंदाजा सिर्फ एक उदाहरण से लग जाएगा. सिक्योरिटी एक्सपर्ट को Mactans नाम का एक USB चार्जर मिला जो आईफोन में मालवेयर डाल सकता था. 2019 में भी अमेरिकी सरकार को इसके लिए चेतावनी देनी पड़ी थी कि हो सके तो पब्लिक प्लेस पर USB चार्जिंग से बचिए. ठीक उसी समय ऐसी ही चेतावनी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने भी जारी की थी. 

पिछले साल यानी 2022 में हैदराबाद में एक कंपनी के CEO के साथ ऐसी ही ठगी का मामला सामने आया था. पब्लिक प्लेस पर अपना मोबाइल USB पोर्ट के जरिए चार्ज करते समय उन्हें पता चला की उनके अकाउंट से 16 लाख रुपये निकाल लिए गए हैं. दिल्ली एयरपोर्ट पर भी USB चार्जिंग स्टेशन एक महिला फोन चार्ज कर रही थीं. इस दैरान उनके खाते से एक लाख 20 हजार रुपये निकाल लिए गए थे. साइबर अपराधी इसके लिए जिस तकनीक का इस्तेमाल करते हैं उसको Crawler Program कहते हैं. 

क्या होता है Crawler Program? 

Crawler Program वास्तव में एक किस्म का बॉट है, जिसको Spider, Robots और Worms के नाम से भी जानते हैं. अपने नाम के मुताबिक ये बहुत धीमे चलने वाला प्रोग्राम है. इसका इस्तेमाल गूगल और दूसरी वेबसाइट कॉन्टेन्ट को ट्रांसफर करने के लिए करती हैं. इसी प्रोग्राम में सेंध लगाते हैं अपराधी. विशेषकर Zero-day वाले दिन. तकनीक में ये वो दिन होता है जब कंपनियां अपने सॉफ्टवेयर में बग्स का पता नहीं लगा पातीं या देर से पता कर पाती हैं. स्मार्टफोन है तो उसमें गूगल से लेकर तमाम वेबसाइट जरूर होंगी. आपकी किस्मत खराब हुई और Zero-day वाला दिन हुआ तो सेंध लगना तय है.  

अब ये समझना कोई बड़ी बात तो है नहीं कि जब भी किसी USB पोर्ट में आप अपना स्मार्टफोन लगाते हैं तो उनके बीच एक पाथ बनता है और यही पाथ 'हैकर्स हेवन' बोले तो ठगों का स्वर्ग है. अब इसके बाद क्या होगा, वो हम दसियों बार बता चुके, इसलिए समझते हैं की इससे बचना कैसे है.

सबसे पहले स्मार्टफोन का चार्जर इस्तेमाल करें: अब हम सब आलसी हो गए या फिर USB पोर्ट की उपलब्धता आसान हो गई है. हम अक्सर सिर्फ केबल साथ में लेकर चलते हैं. केबल के साथ चार्जर भी कैरी कीजिए. हो सके तो एक और चार्जर खरीद सकते हैं.

पावर बैंक का इस्तेमाल: खुद का USB पोर्ट बन जाएगा. बढ़िया क्वालिटी का पावर बैंक एक स्मार्टफोन कम से कम दो बार चार्ज करने के काम आएगा.

सॉफ्टवेयर सिक्योरिटी: अगर पब्लिक प्लेस पर USB से चार्ज करना ही पड़ रहा है तो फोन लॉक रखें. आजकल के स्मार्टफोन में By Default सिर्फ चार्जिंग का ऑप्शन इनेबल होता है. मतलब, डेटा ट्रांसफर ब्लॉक रहता है इसलिए हैकिंग के चांस कम हो जाते हैं. अगर ये ऑप्शन बंद है तो सेटिंग्स में जाकर ऑन कर लें. एक बात का ध्यान रखिए. ऐसा करना कोई गारंटी नहीं है क्योंकि हैकर्स स्मार्टफोन लॉक होने पर भी स्टोरेज तक पहुंच सकते हैं. आपको लगेगा कि भाई ऐसा कैसे, तो जब स्मार्टफोन स्विच ऑफ होने पर भी सर्च किया जा सकता है तो ये करना भी कोई मुश्किल तो है नहीं.    

USB ब्लॉकर: ऊपर के तीन उपाय से आपका काम बन जाएगा, लेकिन अगर आप जल्दी-जल्दी ट्रैवल करते हैं, तो ये डिवाइस खरीद सकते हैं. अपने नाम के हिसाब से ये डेटा चोरी रोकने का काम करता है. USB से सिर्फ पावर ट्रांसफर होगी, जैसे आपके स्मार्टफोन के वॉल चार्जर से होती है.

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