गेम की एक-दो चीजों को छोड़कर इसके बारे में और कुछ अच्छा कहने के लिए शब्द नहीं मिले. अगर साफ़ शब्दों में कहें तो ये बस एक भरे-पूरे गेम का डेमो या ट्रायल मालूम पड़ता है. फ़ौजी में इस वक्त बस एक कैम्पेन मोड है, जिसमें आपका प्लेयर एक इंडियन सोल्जर है. गलवान वैली में अचानक हुए दुश्मनों के हमले में आप अपने साथियों से बिछड़ जाते हैं. अपने साथियों की तलाश में आप एक दुश्मन कैम्प से दूसरे दुश्मन कैम्प तक जाते हैं. गेम में कॉन्टेन्ट के नाम पर बस दिलासा है आज के टाइम में आप जितने भी पुराने मोबाइल गेम्स उठाकर देखेंगे तो पाएंगे कि ये सभी गेम शुरुआत में जैसे थे, अब उससे काफी अलग हैं. यूजर एक्सपीरियंस को अच्छा करने के लिए नया कॉन्टेन्ट और फीचर जुडते रहते हैं. Candy Crush से लेकर पबजी मोबाइल और कॉल ऑफ़ ड्यूटी जैसे गेम्स ने भी यही तरीका अपनाया है. ऐसे समझिए जैसे पहले ये सिर्फ टी-शर्ट और लोअर पहनकर आए थे, और अब थ्री-पीस सूट पहनकर टहल रहे हैं. इस हिसाब से देखा जाए तो FAU-G के बदन पर कपड़े तो दूर की बात, ये बिना खाल चढ़ाए ही मैदान में उतर आया है. मतलब कि फ़ौजी में कॉन्टेन्ट के नाम पर अभी बस दिलासा ही है.

फ़ौजी के बाक़ी के दो गेमिंग मोड आना अभी बाक़ी है.
आप या तो स्टोर में जाकर खरीदारी कर सकते हैं या फिर कैम्पेन मोड में खेल सकते हैं, जो भारत-चीन के बीच गलवान वैली क्लैश पर बेस्ड है. यहां आप बस लात-घूंसे चला सकते हैं, या फ़िर हाथापाई वाले डंडे वग़ैरह. और इन सब काम को करने के लिए बस एक ही बटन है. Team Death Match और Free for All मोड पर अभी काम चल रहा है. उम्मीद है कि इन मोड्स में गन होंगी. स्टोर में क्या है? फिलहाल FAU-G के स्टोर में भी चंद हथियारों की स्किन और दो कैरेक्टर हैं. इनको खरीदने के लिए आप सिल्वर या गोल्ड कॉइन का इस्तेमाल कर सकते हैं. सिल्वर कॉइन गेम में कीर्तिमान बनाने पर मिलते हैं. गोल्ड कॉइन असली वाले पैसे खर्च करने पर मिलते हैं. इस खरीदारी के लिए आपको टोकन स्टोर में जाना होगा, जहां पर 30 कॉइन 19 रुपए के हैं. टोकन स्टोर में ये भी लिखा हुआ मिलता है कि आपकी खरीदारी का 20% हिस्सा ‘भारत के वीर’ फाउंडेशन को जाएगा.

फ़ौजी गेम में मौजूद टोकन स्टोर.
आप ऊपर लगे स्क्रीनशॉट में गोल्ड कॉइन के अलग-अलग पैकेज के रेट देख सकते हैं. इसके अलावा गेम में एक वेबसाइट का लिंक भी है, जहां आप FAU-G मर्चन्डाइज़ खरीद सकते हैं. मतलब FAU-G ब्रांडिंग वाली टी-शर्ट और हुडीज़ वग़ैरह. ग्राफिक के मामले में FAU-G दिल जीत लेता है फ्लैगशिप एंड्रॉयड फ़ोन पर भी FAU-G ग्राफिक सेटिंग को मीडियम सेट करके रखता है. इसे सबसे ऊंची सेटिंग पर लगाने पर भी ग्राफिक में कोई खास फ़र्क नज़र नहीं आया. मगर दोनों ही सूरत में गेम के ग्राफिक काफ़ी अच्छे हैं. प्लेयर डिजाइन से लेकर गेम के एनवायरनमेंट तक तो बढ़िया से पॉलिश किया गया है. ‘कॉल ऑफ़ ड्यूटी मोबाइल’ से कंपेयर करें तो ग्राफिक परफॉर्मेंस थोड़ी हल्की है, मगर फ़िर भी FAU-G के ग्राफिक हमारी उम्मीद से काफी बेहतर निकले. एक मोबाइल गेम होने के चलते प्लेयर्स को FAU-G के ग्राफिक्स से कोई शिकायत नहीं होनी चाहिए. गेमप्ले बहुत ही निराश करने वाला है! गेम की सबसे जरूरी चीज उसका गेमप्ले एक्सपीरियंस होता है. और यहां पर FAU-G बहुत निराश करता है. 15 मिनट खेलने पर ही गुस्सा आने लगता है, मगर इस रिव्यू को लिखने के वास्ते FAU-G को 3 घंटे झेलना पड़ा.
अभी खेलने के लिए सिर्फ कैम्पेन मोड ही है, मगर यहां पर भी एक बटन को बार-बार दबाने के अलावा और कोई काम नहीं है. प्लेयर के पास चलने फ़िरने के लिए एक कंट्रोल पैड है, और कैमरा अजस्ट करने के लिए स्क्रीन का दायां हिस्सा इस्तेमाल होता है. इसके अलावा बस दो बटन हैं खेलने के लिए. एक बचाव या दुश्मन के हमले को ब्लॉक करने वाला और एक हमला करने वाला. न कूदने का कोई सिस्टम है, न बैठने का और न ही कुछ और.

फ़ौजी का बैटल पास या ऑनर रोड जहां आपकी प्रोग्रेस दिखती है.
फाइट एक्शन के नाम पर तीन-चार टाइप के अटैक हैं, मगर आप उन्हें चुन नहीं सकते. बस एक ही बटन पीटते रहिए, और आपका प्लेयर लात-मुक्के चलाता रहेगा. 2 मिनट के बाद ही गेम से ऊब होने लगती है. ऐसा नहीं है कि इस टाइप की फाइट वाले मोबाइल गेम पहले किसी ने बनाए नहीं है. nCore दूसरे पॉपुलर मोबाइल गेम जैसे Marvel Future Fight या Shadow Fight से थोड़ा आइडिया ले सकता था कि किस तरह से अलग-अलग कॉम्बैट बनाकर उन्हें अलग-अलग बटन दिया जाना चाहिए.
अब बात आती है दुश्मनों की. अगर चाइना के सैनिक सच में ऐसे होते तो ऊपर वाला ही भला करता इनकी बॉर्डर सिक्योरिटी का. सब लाइन लगाकर खड़े हो जाते हैं मार खाने के लिए. चारों तरफ से घेर लेने के बाद भी कोई जहमत नहीं उठाता एक मुक्का मारने का भी. और अगर गलती से कोई हाथ-पांव चला भी दे तो आपके हिलते रहने की वजह से वो जल्दी लगता नहीं है.

FAU-G फाइट स्क्रीनशॉट
अगर आप बिना किसी को मारे बस आगे बढ़ते चले जाएं तो ये आपके पीछे आना छोड़ देते हैं. ठीक यही हाल वापस पीछे जाने पर भी होता है. खैर स्टेज में आगे बढ़ने पर ये थोड़ा-बहुत हाथ चलाना चालू कर देते हैं और तब गेमप्ले की दूसरी दिक्कत पता चलती है.
आपका प्लेयर कभी ये समझता ही नहीं कि वो एक अकेले दुश्मन से नहीं बल्कि पूरे जत्थे से लड़ रहा है. पंच या किक मारने से पहले ये अपना एक सिंगल दुश्मन सेलेक्ट करता है और उस पर सिर्फ और सिर्फ सामने से वार करता है. अगर कोई आपको साइड से मार रहा है तो आप उससे वहीं के वहीं निपट नहीं सकते. जब तक आपका सोल्जर उस पर नजरें न जमा ले, तब तक कुछ नहीं हो सकता. आसपास ज्यादा लोग होने की वजह से आप अपनी पसंद के दुश्मन को नहीं मार सकते. और सबको पीछे खींच-खींच कर लाकर एक-एक से निपटने में दिया हुआ वक्त खत्म हो जाता है.

FAU-G फाइट स्क्रीनशॉट
गेमप्ले में और एक चीज है जो बहुत ज़्यादा दिमाग खराब करती है. स्लो मोशन. जब आप किसी दुश्मन का काम तमाम कर देते हैं तो गेम स्लो मोशन मोड में आ जाता है. स्लो मोशन समझ में आता है. कूल लगता है. मगर ये फिनिशिंग मूव पर लगाया जाता है. जब आप आखिरी दुश्मन को ढेर कर दें और आप विजेता बनकर चौड़े हो रहे हों. इधर एक सिंगल बटन पीट-पीट कर जोरदार लड़ाई चल रही है, सिर पर 4 दुश्मन और खड़े हैं और उधर अचानक इस गहमा-गहमी में स्लो मोशन चालू हो जाता है. एक बार तो हमने एक दुश्मन को मारा, स्लो मोशन चालू हुआ और स्लो मोशन में ही दूसरे दुश्मन ने हमारा सिर बजा दिया. खुद को स्लो मोशन में मार खाते देखना इज़ टू मच.
बटन से याद आया, जमीन पर गिरे हथियार को उठाने के लिए भी कोई बटन नहीं है. इसके लिए आपको हथियार के ऊपर खड़े होना पड़ेगा. लड़ने वाली मुद्रा में प्लेयर हथियार उठाता भी नहीं है.

हथियार उठाने के लिए कोई बटन नहीं है.
हेल्थ और स्टैमिना बढ़ाने के लिए आपको बैठकर आग तापनी होती है. सिस्टम तो बढ़िया है मगर इसमें टाइम बड़ा खर्च होता है. स्टेज को एक तय समय में खत्म करने के लिए आपको ये जितना कम करना पड़े, उतना अच्छा है मगर फ़िर भी मोबाइल डिवाइस को हाथ में लेकर बैठे हुए प्लेयर का असली का टाइम भी इसमें ज़ाया होता है.

हेल्थ पूरी करने के लिए आग तापनी होती है.
गेम के डायलॉग बड़े फिल्मी हैं. 1990 के आसपास बनी हुई सनी देओल की फ़िल्म से उठाए हुए लगते हैं. आपका खिलाड़ी अक्सर बोलता है, “अपने भाइयों को बचाना मेरा फ़र्ज़ है...और उनको पकड़ने वालों को मारना... मज़ा”, “वो हमेशा तो बॉर्डर के पीछे छुपकर नहीं रह सकते” और “मैं करीब पहुंच रहा हूं... वो डरकर भाग रहे हैं.” दुश्मन बड़ी ही अजीब सी टोन में अंग्रेज़ी में घिसे पिटे डायलॉग बोलते हैं, जैसे, “give up, before we make you.” मतलब कि हार मान जाओ वरना हम मनवा देंगे.
मगर हंसी तब आती है, जब डायलॉग स्क्रीन पर चलने वाले कार्यक्रम से बिल्कुल अलग होते हैं. आप खुद स्ट्रैटिजी के तहत पीछे हट रहे हैं, मगर आपका प्लेयर कह रहा है, “मैं करीब पहुंच रहा हूं... वो डरकर भाग रहे हैं.” इधर आपने दुश्मन की खोपड़ी खोल दी और उसका डायलॉग अपनी खुद की शेखी बघार रहा है.
गेम में कई तरह के बग्स भी हैं, मगर ये इतने ज्यादा नहीं है कि गेम खेलना मुश्किल हो जाए. इन बग्स को फ्यूचर अपडेट में सही किया जा सकता है. दिक्कत बस गेमप्ले की है जो खिलाड़ी को गेम में बांधने की बजाय बोर कर रहा है.

फ़ौजी में मौजूद स्किन और कैरेक्टर डिजाइन.
FAU-G कैम्पेन मोड को ही काफ़ी बेहतर बना सकता था. Marvel Future Fight की तरह प्लेयर के पास की टाइप के अटैक होने चाहिए थे, और हर किसी को चलाने के लिए अलग बटन. इसके अलावा और एक और रास्ता था जो इस मोड को बेहतरीन बना सकता था. nCore इस हिस्से को क्लासिक Hitman गेम की तरह भी बना सकता था, जिसमें आपको छुपते-छिपाते या भेष बदलकर या खामोश तरीके से दुश्मनों का सफ़ाया करना होता है. FAU-G review: निष्कर्ष FAU-G को देखकर लगता है कि ये अभी पूरी तरह से तैयार नहीं है. इसे 26 जनवरी की रिलीज डेट को सामने रख कर बनाया गया है. इतनी देर में गेम जितना बन पाया, उतना हमारे सामने परोस दिया गया. शुरुआत में कंपनी का ध्यान गेम के ऐसे फीचर पर होना चाहिए जो लोगों को गेम से जोड़े रखे, मगर nCore ने शुरुआत से ही पैसा कमाने पर ध्यान लगा दिया है. गेम के अंदर IceSpice पर मौजूद FAU-G मर्चन्डाइज़, गोल्ड कॉइन की बिक्री, स्किन और कैरेक्टर सेल इस बात की तरफ इशारा करते हैं.

FAU-G की होमस्क्रीन.
गेम के कैरेक्टर, एनवायरनमेंट और ग्राफ़िक्स देखकर लगता है कि FAU-G बहुत कुछ कर सकता था. मगर कॉन्टेन्ट और फीचर की कमी की वजह से गेमप्ले बोरियत से भरा है. और बस किसी गेम के ट्रायल या डेमो वर्ज़न की फीलिंग देता है. कंपनी FAU-G के कैम्पेन मोड को और बेहतर बनाकर उतार सकती थी या फ़िर दूसरे गेम मोड बन जाने के बाद इसे लॉन्च करती. अगर गेम की रिलीज कुछ महीने और आगे खिसक जाती, तब भी प्री-रजिस्टर करने वाले लोग तो इसे ट्राइ करते ही करते. लेकिन एक बार मन उचट जाने के बाद लोग वापस आएंगे या नहीं, ये कहना बड़ा मुश्किल है.